ओवैस सिद्दीकी अकोला (महाराष्ट्र), NIT; महाराष्ट्र प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए प्रदेश में दोपहिया, चार पहिया वाहन से लेकर अन्य मोटर वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न एवं पटाखा फोडने से उठती आवाज, साइलेंसरों के उपकरणों के निर्माण, बिक्री,खरीद-बेच, फिटिंग एवं प्रयोग पर 1 अक्तूबर 2017 से मुकम्मल पाबंदी लगाए जाने की जानकारी है। विभाग द्वारा निकाले गए नोटिस में कहा गया था के वाहनों में लगाए गए प्रेशर हार्न एवं अन्य ध्वनि प्रदूषण आम लोगों के लिए असुविधा का कारण बनते हैं एवं मानसिक परेशानी पर प्रभाव डालते हैं। प्रेशर हॉर्न की ध्वनि सेहत के लिए खतरनाक मानी गई है तथा शहर में ध्वनि करीब 55 डेसिबल से कहीं ज्यादा बताई गई है। पाबंदी के बावजूद भी यह प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की फाइलों में ही दबकर रह गया है। प्रेशर हॉर्न के प्रयोग पर कार्रवाई करने की बजाय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से मात्र समाचार पत्रों में ही छपकर रह गया है तथा इस संदर्भ में कोई कारवाई नहीं की जाती है।शहर में मॅकेनिकों द्वारा बुलेट एवं अन्य बाइक के साइलेन्सर में विविध निर्माण कार्य कर ज्यादा आवाज पैदा किया जा रहा है, जो नागरिकों के लिए असुविधा का कारण बन रहा है एवं मानसिक परेशानी पर प्रभाव डाल रहा है। इस प्रकार आवाज पैदा कर वाहन धारक बडाइ समझते हैं एवं नागरिकों के नाक में दम कर रखा है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वार अपनी कुंभकरणी नींद से जाग करीब 40 डि.सी से अधिक साइलेन्सर एवं कर्कश हॉर्न द्वारा ध्वनी प्रदूषण निर्माण कर रहे इन वाहन धारकों तथा निर्माण कार्य करने वालों पर सख्त कारवाई की जानी चाहिए, लेकिन ध्वनी प्रदूषण के संदर्भ में संबंधित अधिकारी से सम्पर्क करने पर यह मामला पुलिस के कार्यक्षेत्र में होने का कारण बता अपना पल्ला झाड लिया जाता है। आखीर इन विविध प्रदूषण निर्माण कार्यो पर कौन अंकुश लगाएगा यह सवाल पहेली बन गया है।
विविध प्रदूषणों से जुझ रहे अकोला वासी विगत महीनों से वाहनों एवं अन्य उपकरणों, कारणों की वजह से भी शहर मे ध्वनी प्रदूषण में बढोतरी होने की जानकारी सामने आई है। एक तरफ शहर के दो बस स्टैंड एवं रेल्वे स्टेशन पर ऑडिओ जाहिरात एवं संगीत दिन भर जारी रहती है, तो दूसरी ओर शादियों एवं पार्टियों में बडे पैमाने पर डी.जे, लाउडस्पीकर का उपयोग हो रहा है, जिसकी वजह से शहर में अधिक ध्वनी प्रदूषण पैदा होने की जानकारी विशेषज्ञों द्वारा प्राप्त हुई है। शहर के नागरिक विविध प्रदूषण से परेशान हैं, दूसरी ओर शहर का डम्पिंग ग्राउंड सब से ज्यादा जनसंख्या वाले अकोट फाईल परिसर में होने के कारण नागरिकों को लिए दर्द ए सर बना हुआ है। डम्पिंग का कचरा जलाए जाने की वजह से कइ प्रकार की जहिरीली गैसे निर्माण होती है जिसकी वजह से बच्चे एवं अन्य लोग विविध प्रकार की गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। ज्यादातर अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ गई है। जाडे के मौसम में तो वायू प्रदूषण की समस्या और गहरी हो जाती है तथा आम इन्सान को भी सांस लेने में कठिनाई होती है। इस संदर्भ में प्रभाग 1 के पार्षद रहीम पेंटर द्वारा विगत कई सालों से प्रदूषण विभाग को शिकायत कर कारवाई करने की मांग की जा रही है लेकिन मामला जूं का तूं नजर आ रहा है तथा समबंधीत विभाग आंखे बंद किए हूए है।
डम्पिंग ग्राउंड को शहर से जलद हटाने के संदर्भ में मनपा प्रशासन को समय समय पर नोटिस दिए गए हैं लेकिन मनपा द्वारा अब तक इस संदर्भ में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इसके लिए डम्पिंग के लिए नई जगह ढूँढने का करण बताया जा रहा है।
समबंधीत प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी अकोला
- विगत महिनों मे करीब 12 मोटरसाइकिल धारकों पर कारवाई की गई है तथा भारी जुर्माना भी वसुला गया है। शहर के करीब 12 बाइक सवारों से करीब पांच- पांच हजार रुपये जुर्माना वसुला गया, जिन्होंने मोडीफाईड साइलेन्सरों एवं कर्कश हॉर्न का प्रयोग किया था: विलास पाटील, शहर यातायात पुलीस निरीक्षक
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