देश-विदेश के जानीमानी हस्ती हैं भाईंदर निवासी उद्योगपति व कर्मठ समाजसेवक विजय पारीख | New India Times

सुभाष पांडेय, मीरा-भाईंदर/मुंबई (महाराष्ट्र), NIT:

देश-विदेश के जानीमानी हस्ती हैं भाईंदर निवासी उद्योगपति व कर्मठ समाजसेवक विजय पारीख | New India Times

मुंबई में जन्में-पले, बड़े हुवे,  पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़े हुवे भाईंदर निवासी पेशे से  मैकेनिकल इंजीनियर ‘ अल-कैन एक्सपोर्ट ‘ के फॉउंडर चेयरमैन विजय पारीख को कौन नहीं जानता। उनके बारे में लिखना सूरज को रोशनी दिखाने के बराबर है। साथ ही वे सामाजिक संस्था ‘ नोबल फॉउंडेशन ‘ के भी संस्थापक अध्यक्ष हैं। ज्ञात हो कि, विजय भाई अपने नाम से नहीं अपने अच्छे कर्मों से जाने जाते हैं। बहुत ही सरल स्वभाव है उनका, ऊंचा व्यक्तित्व, उच्च शिक्षा ग्रहण कर, उद्यम एवं समाजसेवा में निपुणता के साथ-साथ, परोपकारी, मानवतावादी, बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उन्हें देश-विदेश में कई सम्मान-पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। विजय भाई सम्मान-पुरस्कार के लिए काम नहीं करते बल्कि, ‘ मानवता, समाजसेवा ‘ कार्य को देखकर सतत सुकार्य करते हैं। जिसके कारण उन्होंने ‘ देश और समाज ‘ मे ख्याति अर्जित की है। विजय कृष्णदास पारीख का जन्म 07 नवंबर 1958 है।

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मुंबई के जी. टी. स्कूल में 1976 में पढ़ते थे। ततपश्चात सेंट ज़ेवियर कॉलेज से ग्रेजुएशन की। देश के नामचीन अभियांत्रिकी संस्थान वीजीटीआई (विक्टोरिया जुबली टेक्निकल इंसीटीयूट) अब वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंसीटीयूट, दादर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा-ग्रहण की। आपके पिताजी कृष्णदास मणिलाल पारीख ‘ देना बैंक ‘ में सेवारत थे। भाईंदर ( पूर्व ) में सन 1985 में आकर एक छोटी सी फैक्टरी शुरू की। सन 1986 में ‘अल-कैन एक्सपोर्ट’ की स्थापना की। तत्पश्चात पालघर जिला के तलासरी में अल-केन इंटरनेशनल कंपनी की विशाल फैक्टरी शुरू की। जहाँ आज हजारों लोग काम करते हैं, उन्हें रोज़गार मिला हुवा है।

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उल्लेखनीय है कि, हाल ही में ‘ भाईंदर गुजराती समाज ‘ द्वारा काशिमिरा दहिसर चेकनाके के समीप स्थित मनपा का ‘भारतरत्न लतामंगेशकर हॉल’ में भगवान कृष्ण, श्रीनाथ जी की लीला पर मुम्बई के’ सूरनर्तन अकादमी ‘ के सुप्रसिद्ध कलाकारों ने भव्य गीत, नृत्य का प्रदर्शन किया। जिसका रसास्वादन हॉल में खचाखच भरे दर्शकों ने लिया।

बता दें कि, भारत में  ‘अल कैन एक्सपोर्ट्स’ द्वारा निर्मित आपातकालीन स्थिति में जरूरतमंदों के लिए’ आक्सीजन किट सिलेंडर’ का निर्माण का लाभ भारत के दूर-दराज राज्यों, गांव-शहरों में लोग इसका लाभ उठाया। फेफड़े से संबंधित बीमारी, श्वसन क्रिया में होनेवाली तकलीफों में बड़े ही फायदेमंद साबित हुवी है यह अल-कैन की ‘ ऑक्सिकिट। ‘ खासकर अस्थमा, पीयूरेल् ईफेक्शन, आक्सीजन की कमी होने पर श्वसन क्रिया में तकलीफ़ के समय, सीनियर-सिटिज़न को जरूरत के समय, ऊंचाई पर चढ़ते समय, पर्वतारोहियों के लिए, कहीं हिल स्टेशनों पर ट्रावेलिंग के दौरान, सड़क दुर्घटना में तत्काल ऑक्सिजन की उपलब्धता हेतु, स्पोर्ट्स एवं बाइक एम्बुलेंस हेतु अत्यंत लाभकारी है यह ‘अल-कैन ‘ का ऑक्सिकिट। आसानी से इसका एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है। यह घर-घर के लिए बहोत ही उपयोगी साबित हो रही है ‘ ऑक्सीजन किट।’

ज्ञात हो कि, भायंदर (पूर्व ) गोल्डन नेस्ट सर्कल के करीब फाटक रोड पर स्थित ‘ अल-कैन एक्सपोर्ट्स ‘ द्वारा विभिन्न प्रकार के  एल्युमिनियम एवं स्टील के बॉटल्स, सिलेंडर का निर्माण किया जाता है। ‘ अल-कैन एक्सपोर्ट्स ‘  प्रायवेट लिमिटेड की हेड ऑफिस मुम्बई, फैक्टरी पालघर के तलासरी एवं अंतरराष्ट्रीय कार्यालय युनाइटेड स्टेट अमीरात, दुबई एवं फ्रांस में स्थित है। अल-कैन एक्सपोर्ट्स एशिया महाखंड समेत सैंतीस देशों में विभिन्न प्रकार के गैस सिलेंडर, कनस्तर, कंटेनर निर्यात करनेवाला एक बड़ा फर्म है। इस अल-कैन एक्सपोर्ट के संस्थापक-संचालक विजय कृष्णादास पारीख हैं। जोकि, भारत के नामचीन उद्योगपतियों में एक हैं। अन्य ट्रस्टियों में निशा विजय पारीख, चिंतन एवं समीर पारीख इस कंपनी के महत्वपूर्ण पदों पर रहकर सुचारू रूप से कार्यभार देख रहे हैं। ‘ अल-कैन एक्सपोर्ट्स ‘ द्वारा 5 मिलीलीटर से 32 मिलीलीटर तक स्टील एवं एल्युमिनियम की निर्यात की जानेवाली बोतलें, एल्युमिनियम कनस्तर, एल्युमिनियम कैन और एल्युमिनियम कंटेनर शामिल हैं।

गौरतलब है कि, एल्युमिनियम बॉटल्स और केन्स का उपयोग व्यापक रूप से एसेंशियल ऑयल्स, पसयुमरी, फ्लेवर और फ्रेगरेंस, फार्मास्युटिकल्स और कॉस्मेटिक उद्योग में काम किया जाता है। अल-कैन द्वारा निर्मित एल्युमिनियम की बोतलों को संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अनुसार ख़तरनाक माल के परिवहन के लिए अनुमोदित किया गया है। एल्युमिनियम बॉटल और कैन की लगातार बढ़ती मांगों को दूर करने के लिए, अल-कैन ने उत्पादन को विशिष्ट रूप से बनाये रखा है और परिष्कृत बुनियादी ढांचे से सुसज्जित है। ‘ अल-कैन ‘ की विनिर्माण इकाई , एक विस्तृत क्षेत्र में फैली हुवी है और कुछ सबसे स्वचलित उत्पादन सुविधा और परीक्षण उपकरणों से सुसज्जित है।
लगभग 28 वर्षों से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, ‘ अल-कैन ‘ नवीनतम तकनीक और उच्च गुणवत्ता और प्रतिबद्धता के मानकों को पूरा करते हुवे वर्षों से ‘ अल-कैन ‘ सक्रिय रूप से कार्यरत है।

ज्ञात हो कि, ‘अल-कैन’ द्वारा निर्मित ‘ मेडिकल गैस सिलिंडर ‘ के लिए हाई-प्रेशर गैस सिलिंडर का पहला निर्माता है और होम -केयर , अस्पताल, एम्बुलेंस तथा इमरजेंसी किट के लिए अन्य ‘ मेडिकल गैस ‘ उपलब्ध है। ‘ अल-कैन ‘ सिलिंडर पोर्टेबल, लाइट-वेट, इजी टू हैंडल, करप्शन रेसिस्टेंस और नॉन- मैग्नेटिक है। इन सिलिंडरों का उपयोग अस्पताल में, एनेस्थीसिया मशीन, लेप्रोस्कोपी मशीन, स्ट्रेक्चर, ऑपरेशन थियटर, इमरजेंसी वार्ड और इनक्यूबेटर के लिए किया जाता है। सिलेंडर ‘ अल-कैन ‘ के साथ लाइट वेट एल्युमिनियम ऑक्सीजन गैस सिलिंडर वाल्व, रेगुलेटर ( 0-15 L फ्लो रेट एडजेस्टेबल ), मास्क और कैरी बैग के साथ आता है। सिलेंडर और वाल्व भारत-सरकार द्वारा अनुमोदित है – PESO ( पेट्रोलियम और विस्फोटक विभाग ) । स्टील सिलेंडर की तुलना में एल्युमिनियम सिलेंडर 40 % प्रतिशत लाइट वेट है। उक्त’ मेडिकल ऑक्सीजन ‘ गैस सिलिंडर ‘ गैर-चुम्बकीय , जंग प्रतिरोधी, सीमलैस , लाइट वेट सिलेंडर, ऐसे संभालना और इसका परिवहन करना आसान है। कोई विशेष रखरखाव की आवश्यकता नहीं है, केवल पांच साल में आवश्यक हो तो आवश्यकता होती है।

बता दें कि, ‘अल-कैन’ का ‘ ऑक्सीजन गैस सिलेंडर ‘अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार एवं अनुरोध पर उपलब्ध है। इस उच्च दवाब सिलेंडर की गुणवत्ता का आत्मजांच, तृतीय-पक्ष निरीक्षण और पेट्रोलियम एवं एक्सप्लोजिव डिपार्टमेंट द्वारा विक्री के लिए प्रमाणित है। जिस पर पी.आई. और सी. आई. मार्क उपलब्ध है। मिश्र धातु 7060 एवं उच्च शक्ति एल्युमिनियम मिश्र धातु 6061 ए द्वारा उक्त ऑक्सीजन सिलेंडर घर-घर के लिए उपलब्ध है।

‘कोविडकाल ‘ में  ‘आपातकालीन ऑक्सीजन आपूर्ति सेवा ‘ हेतु ‘ अल-कैन एक्सपोर्ट्स ‘ के संस्थापक-संचालक विजय पारीख द्वारा ‘ ऑक्सीकिट अल – कैन ‘ के साथ लाइट वेट एल्युमिनियम ऑक्सीजन गैस सिलेंडर वाल्व, रेगुलेटर, मास्क एवं कैरी बैग के साथ आता है। साथ ही इस लाइट वैट सिलेंडर को भारत में किसी भी गैस निर्माता या गैस डीलर से रिफिल किया जा सकता है। इसके अलावा, यह पोर्टेबल और प्रयोग करने में आसान है। ‘ अल-कैन ‘ का यह ऑक्सीकिट श्वसन विकार से पीड़ित मरीज़ ( डॉक्टर के मार्गदर्शन / नुस्खे के तहत), भलाई के लिए वरिष्ठ-नागरिकों के लिए, लोगों को तनाव से मुक्त करना, यात्री गण एवं पर्वतारोहियों के लिए, ऊंचे स्थानों पर आसानी से सांस लेने के लिए ट्रैकर है। इसकी उपयोगिता एथलीट और खिलाड़ी भी उठा सकते हैं। विशेषतः दैनिक वायु-प्रदूषण से भी यह ” अल-कैन ऑक्सीकिट ” ताजगी प्रदान करता है।

उल्लेखनीय है कि, अल-कैन द्वारा निर्मित मेडिकल गैस सिलेंडर, होम-केयर-ऑक्सीकिट के अलावा स्कूबा सिलेंडर, पेच सिलेंडर, अग्निशामक सिलेंडर, पेंटबाल सिलेंडर, हीलियम सिलेंडर का भी निर्माण कार्य करता है। ‘ अल-कैन ‘ प्रोडक्ट से संबंधित अधिक जानकारी के लिए वेबसाईट www.alcaninternational.com ,गूगल, फेसबुक, यू ट्यूब , ट्विटर एवं दूरभाष क्रमांक 22 28 19 31 22 / 22 28 14 24 77 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

भाईंदर में ‘ नोबल फॉउंडेशन ‘ द्वारा धर्मांतरण एवं आतंकवाद के ख़िलाफ़ जागरूकता अभियान चलाया। भाईंदर में सामाजिक संस्था ‘ नोबल फाऊंडेशन ‘ के संस्थापक अध्यक्ष व भाईंदर गुजराती समाज के अध्यक्ष विजय पारिख ने महिलाओं, युवतियों व युवाओं में जागरूकता-अभियान के तहत हज़ारों लोगों को भाईंदर ( पश्चिम ) स्थित मेक्सेस मॉल में ‘ द केरल स्टोरी ‘ फ़िल्म देखने की निःशुल्क व्यवस्था की। इस मौके पर ‘ अन्याय विरोधी संघर्ष समिति ‘ के अध्यक्ष व वरिष्ठ-पत्रकार  सुभाष पांडेय, विश्व हिन्दू परिषद  एवं  बजरंग दल  से जुड़े कर्मठ समाजसेवक  गौरांग कंसारा, ‘ नोबल फाऊंडेशन ‘ से जुड़े विजय  शाह, श्रुति गावड़े, संजय चंदारणा, अल्पा सावलिया,  हेतल परिख, नितेश मोरे, रत्ना खड़तरे, अल-कैन एक्सपोर्ट के एडमिन मैनेजर परशुराम लोधिया,अमर मिश्रा ‘ बजरंगी ‘, दीपेश जॉनी आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

गौरतलब है कि , द केरल स्टोरी  सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल शाह द्वारा निर्मित हिंदी भाषा की एक भारतीय फिल्म है। कथानक केरल की महिलाओं के एक समूह की कहानी है जो धर्मान्तरित होकर मुसलमान बन जाती हैं और चरमपंथी इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) में शामिल हो जाती हैं। फिल्म ने खुद को एक सच्ची कहानी के स्पष्ट चित्रण के रूप में प्रस्तुत किया है और यह बताया है दुनिया की हजारों महिलाओं को इस्लाम में जबरदस्ती परिवर्तित किया जा रहा है और आईएसआईएस में भर्ती किया जा रहा है। फिल्म को वास्तविक जीवन की घटना पर आधारित बताया गया है, जबकि दिखाए गए आंकड़ों की विश्वसनीयता किसी भी वास्तविक साक्ष्य द्वारा समर्थित नहीं है। 3 नवंबर 2022 को जारी किए गए टीज़र, में अदा‌ शर्मा को फातिमा बा – एक हिंदू मलयाली नर्स – का किरदार निभाते हुए दिखाया गया है – जो एक अफगान जेल में मरने से पहले इस्लाम में परिवर्तित हो गई थी और आईएसआईएस में शामिल हो गई थी।

वह हिंदू और ईसाई समुदायों की उन 32,000 लड़कियों में से एक होने की पहचान करती है, जो केरल से लापता हैं और इस्लाम में परिवर्तित होने के बाद आईएसआईएस (ISIS) में भर्ती की गई। दावा किए गए आंकड़े व्यापक रूप से गलत हैं, जो गलत अनुवादों, गलत उद्धरणों और असंबंधित आंकड़ों की गलत प्रस्तुतियों से बहिर्वेशन पर आधारित हैं। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने 2019 की एक रिपोर्ट में कहा है कि 2014 और 2018 के बीच लगभग 60 से 70 व्यक्ति केरल से आईएसआईएस में शामिल हुई थी। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में कुल 100 – 200 से अधिक भारतीय संगठन में शामिल नहीं हुए थे, जो कि पर्याप्त मुस्लिम आबादी वाले किसी भी देश के सबसे छोटे आंकड़ों में से एक है। अमेरिकी विदेश विभाग ने आतंकवाद पर अपनी 2020 की रिपोर्ट में दस्तावेज किया था कि भारत के कुल 66 व्यक्ति थे जो उस समय आईएसआईएस से संबद्ध थे।

फिल्म में दिखाई गई घटनाएं केरल की चार महिलाओं परर केन्द्रित लगती हैं, जिन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और 2016-2018 के बीच आईएसआईएस में शामिल होने के लिए अपने पतियों के साथ अफगानिस्तान चली गईं। वे 2016 में आईएसआईएस में शामिल होने वाले केरल के 21 सदस्यीय समूह का हिस्सा थे, 2019 में आत्मसमर्पण करने के बाद से अफगानिस्तान में कैद हैं। फिल्म की रिलीज के दिन, केरल उच्च न्यायालय ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। यह कहते हुए कि फिल्म में आरोप आईएसआईएस के बारे में थे, न कि किसी विशेष धर्म के बारे में। निर्माता उस टीज़र को हटाने पर सहमत हो गए, जिसने विवादास्पद दावा किया था कि आईएसआईएस में 32,000 लड़कियों की भर्ती की गई थी।

सर्वविदित है कि, भायंदर में ‘ नोबल फॉउंडेशन ‘ द्वारा  सतत ‘ निःशुल्क चिकित्सा शिबीर ‘ का आयोजन जारी है। ‘ शिक्षा एवं चिकित्सा ‘ मामले में शहर की मानी-जानी एनजीओ ‘ नोबल फॉउंडेशन ‘ एवं ‘ फैमिली केयर हॉस्पिटल ‘ द्वारा निःशुल्क चिकित्सा शिबिर का आयोजन भायंदर ( पूर्व ) स्थित केबिन रोड़ पर व्याप्त मथुरा अपार्टमेंट में ‘ नोबल फॉउंडेशन ‘ द्वारा संचालित दवाखाना में किया गया। जहां मीरा-भायंदर शहर के गरीब, जरूरतमंद, मध्यमवर्गीय लोगों ने इस ‘ निःशुल्क चिकित्सा शिबिर ‘ का लाभ उठाया। उक्त ‘ निःशुल्क चिकित्सा शिबिर ‘ का आयोजन ‘ सोशल डिस्टनसिंग ‘ एवं ‘ कोविड नियमों ‘ को ध्यान में रखकर भायंदर के कर्मठ समाजसेवक, उद्योगपति, ‘ अल-कैन एक्सपोर्ट ‘ के मालिक विजय पारीख ने अपने ‘ स्वर्गीय माता मधुबेन कृष्णदास पारीख ‘ एवं ‘ पिता स्वर्गीय कृष्णदास मणिलाल पारीख ‘ की पावन स्मृति में किया था।

गौरतलब है कि, इस ‘ निःशुल्क चिकित्सा शिबिर ‘ में जरूरतमंद लोगों को चश्मा का भी वितरण किया गया। ‘ नोबल फॉउंडेशन ‘ द्वारा संचालित दवाखाना की डॉक्टर कविता पाटील एवं ‘ फैमिली केयर अस्पताल ‘ की ‘ एग्जेक्युटिव डायरेक्टर ‘ शालिनी पाटीदार एवं डॉक्टरों ने सैकड़ों लोगों का बीपी, शुगर, ईसीजी, आंखों, वजन व लंबाई, तापमान आदि बीमारियों की भी जांच की। इस मौके पर मुम्बई से प्रकाशित होनेवाले अंग्रेजी दैनिक ‘ बिजनेश स्टेंडर्ड ‘ के वरिष्ठ पत्रकार व ‘ सीनियर प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंस ‘ सुशील मिश्रा तथा ‘ मीरा-भायंदर एडिटर एसोसिएशन ‘ के महासचिव पत्रकार सुभाष पांडेय को ‘ स्मृति-चिन्ह ‘ देकर आयोजक विजय पारीख ने सम्मानित किया । साथ ही भाईंदर ( पूर्व ) व ( पश्चिम ) क्षेत्र में निःशुल्क तथा कम शुल्क में दवाखाना व पैथोलॉजी मात्र 10/- रुपये में ‘ चिकित्सा एवं मेडिकल ‘ जांच उपलब्ध है। इसी तरह मात्र 10/- रुपये में रोजाना भरपेट भोजन की भी  व्यवस्था संस्था करती है। कार्यक्रम को सफल बनाने में चिंतन पारीख, संजय चंदाराणा, दिपेश जानी, हेतल पारीख, गौरांग कंसारा, हेमा मेहता, अल्पा सावलिया, परशुराम लोधिया, विजय शाह, श्रुति गावड़े, नितेश मोरे, बजरंगी मिश्रा, मुनीराम, चंदन ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई। भाईंदर ( पश्चिम ) में हर गुरुवार को अंबे माता मंदिर मार्ग के नुक्कड़ पर खिचड़ी बांटा जाता है। पालघर जिला में वृद्धाश्रम का सुकार्य चल रहा है। शीघ्र ही एक बड़े पैमाने पर हर तरह से मेडिकल से सुसज्जित ‘ हाईटेक कैंसर अस्पताल ‘ बनाने की योजना भी चल रही है।


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