मो. मुजम्मिल, जुन्नारदेव/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:

क्षेत्र के विधायक सुनील उइके ने क्षेत्र के डूब प्रभावित किसानों को ढांढस और भरोसा दिलाते हुए कहा कि बांध निर्माण के मामले में जैसा क्षेत्र के आदिवासी किसान चाहेंगे वैसा ही होगा यदि इस मामले में आदिवासी किसानों के अधिकारों के हनन की बात आएगी तो वे उनके हक के लिए सड़क से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे।
बुधवार बड़ी संख्या में क्षेत्र के डूब प्रभावित आदिवासी किसानों ने विधायक सुनील उइके से भेंट कर कन्हान काम्प्लेक्स सिंचाई परियोजना के तहत प्रस्तावित बांध की अधिसूचना को निरस्त कराने की मांग की थी।
क्षेत्र के लगभग चौदह गांवों के प्रभावित आदिवासी किसान आज अपनी जमीनों को बचाने की गरज से विधायक सुनील उइके से मिलने जुन्नारदेव पहुँचे थे। वहाँ डूब प्रभावित किसानों ने विधायक को ज्ञापन के माध्यम से यह समझाने का प्रयास भी किया कि यह क्षेत्र पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है लिहाजा क्षेत्र वासियों की सहमति के बगैर बांध निर्माण का फैसला नहीं लिया जाए क्योंकि ऐसा करना क्षेत्र के पर्यावरण के लिए तो नुकसान दायक होगा ही साथ ही साथ असंवैधानिक भी होगा। आदिवासी किसानों के अनुसार बांध निर्माण की अधिसूचना जारी करते वक्त जनजातीय आयोग से विचार विमर्श नहीं किया गया। किसानों ने आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण सम्बन्धी अनुच्छेद का भी ज़िक्र करते हुए कहा कि इससे प्रदेश शासन द्वारा भारतीय संविधान की भी अनदेखी होगी। ग्राम सभा पेसा एक्ट समिति जैसी व्यवस्थाओं पर भी आंच आएगी लिहाजा बांध निर्माण की अधिसूचना निरस्त करवाने में मदद करें।

विधायक से मिलने आए किसानों में से कुछ लोगों ने यह भी कहा कि कन्हान सिंचाई काम्प्लेक्स कमलनाथ सरकार की देन थी इसीलिए वे ही बांध निर्माण की अधिसूचना को निरस्त करवाए। जनता के सवालों का जवाब देते कहा कि यह ठीक है कि क्षेत्र के विकास के लिए कमलनाथ सरकार ने कन्हान काम्प्लेक्स सिंचाई परियोजना की स्वीकृत की थी लेकिन इस बात का भी ख्याल रखा गया था और कहा गया था कि बनाए जाने वाले बांध में क्षेत्र का कोई भी गांव नहीं डूबेगा। किसी की पुस्तैनी जमीनें डूब क्षेत्र में नहीं आयेगी बल्कि शासकीय जमीनें ही इससे प्रभा,वित होगी।
विधायक सुनील उइके को लोगों ने बांध पर भाजपा के आरोपों की जानकारी देते हुए सहयोग मांगा। विधायक ने भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार 15 माह ही रही। भाजपा साढ़े तीन वर्षों से सत्ता पर काबिज है वे चाहते तो प्रस्तावित बांध निर्माण परियोजना को निरस्त भी कर सकते थे ।
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