गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT:
ड्रग इंस्पेक्टर अनीता कुरैल की अनदेखी के आगे दवा बिक्री नीति जिले भर में फ्लाप शो बनकर रह गई है। दवा दुकानों में मनमानी और जिले में नशीली दवाईयों के कारोबार से ही समझा जा सकता है कि औषधि निरीक्षक किस तरह से दवाई दुकानों का निरीक्षण कर रहे हैं। जिसका एक नमूना जिले के जलालपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत मित्तूपुर को जाने वाली रोड से 500 मीटर की दूरी पर संजय मेडिकल सेंटर के पास इस तरह का मेडिकल स्टोर चलता है जिसका नाम पता भी नहीं है। दरअसल जिस विभाग को दवा दुकानों पर नियंत्रण करने की जिम्मेदारी सौंपी है वहां पर तैनात ड्रग इंस्पेक्टर निरीक्षण के नाम पर महज अपनी दुकानदारी ही चला रहे हैं, जिसके चलते दवा दुकानों में रोजाना मरीज लुटने को मजबूर हैं।
ड्रग इंस्पेक्टर की मेहरबानी से मेडिकल स्टोर्स पर बगैर फार्मासिस्ट के ही दवाओं की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है।और सबसे बड़ी मजे की बात तो यह है कि यहां मेडिकल स्टोर किराने की दुकानों में चलता है शासन की चेतावनी के बाद भी ड्रग इंस्पेक्टर अप्रत्यक्ष रुप से मेडिकल स्टोरों पर मेहरबान हैं। जबकि इस संबंध में शासन ने एक आदेश जारी कर औषधि निरीक्षकों को पत्र जारी कर दवा विक्रय नीति का पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन इसका पालन सिर्फ कागजों में ही हो रहा है। आंकड़ो की जादूगिरी में ही दवा विक्रय नीति का पालन ड्रग इंस्पेक्टर के द्वारा किया जा रहा है। ड्रग इंस्पेक्टर की निष्क्रियता के चलते जिले में धड़ल्ले से अवैध फर्जी मेडिकल स्टोर चल रहे हैं। इस विभाग के अधिकारी शासन के निर्देश को रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं
जबकि इस संबंध में औषधि निरीक्षकों को दुकानों के निरीक्षण आदि का प्रारुप दिया गया था। जिसके तहत दवा विक्रय नीति के संबंधित सभी जानकारी देने के साथ ही दवा के रख रखाव, फ्रिज आदि की व्यवस्था, क्रय विक्रय का ब्यौरा आदि की पूरी जानकारी जुटाकर शासन को मुहैया कराया जाना है।
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