अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
CAA-NRC-NPR के खिलाफ 1 जनवरी से जारी सत्याग्रह के दसवें दिन ‘शाहिद उल हुसैनी स्मृति शिक्षा संवाद’ का आयोजन किया गया। इसमें ‘मसौदा शिक्षा नीति 2020 बेदखली का घोषणापत्र’ विषय पर परिचर्चा हुई।
शाहिद भाई, जो पिछले तीन दशक से स्कूल टुडे नाम की पत्रिका का संपादन कर रहे थे और तालीम में बराबरी की लड़ाइयों से जुड़े हुए थे, उनका हाल ही में इंतकाल हो गया। शाहिद भाई को इस मौके पर याद करते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व सचिव शरद चन्द्र बेहार ने कहा कि शाहिद भाई हमेशा न्याय के पक्ष में खड़े रहने वाले एक बहादुर इंसान थे।
परिचर्चा में वक्तव्य देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के पूर्व अध्यक्ष और अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच से जुड़े प्रो. अनिल सदगोपाल ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत शिक्षा नीति का मसौदा देश की गरीब, वंचित मेहनतकश अवाम को तालीम से बाहर करने की साज़िश है। उन्होंने कहा कि इस नीति के जरिए देश की शिक्षा व्यवस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कब्ज़ा कायम किया जाएगा। इससे देश को बांटने वाली हिंदुत्ववादी ताकतें मजबूत होंगी और देश का संवैधानिक ढांचा खतरे में पड़ जाएगा। इसके अलावा सरकारी स्कूलों को बड़े पैमाने पर बंद करने के लिए नीति में बकायदे इंतजाम किया गया है। यहां तक कि उच्च शिक्षा भी कॉरपोरेट हाथ में देने का इरादा है।
भारत ज्ञान विज्ञान समिति और आल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क की तरफ से बोलते हुए आशा मिश्रा ने कहा कि इस नीति में देश को आगे के जाने की कोई दिशा नहीं है। बल्कि इससे उलट यह देश में मनुवाद लागू करने का एजेंडा है। ये नीति शिक्षा में केंद्रीकरण, निजीकरण, सांप्रदायीकरण को बढ़ावा देती है। साथ ही, ये देश के फेडरल ढांचे को भी तोड़ने की दिशा में जाता है।
इसके बाद वक्ताओं ने लोगो के सवालों के जवाब दिए। साथ ही, 17 जनवरी को मसौदा शिक्षा नीति का दहन कर विरोध प्रदर्शन का फैसला किया गया साथ ही महिला समूहों की 2 मीटिंग हुईं। अमान शादी हाल बोगदा पुल और फिरदौस शादी हाल, बाग उमराव दूल्हा में। इनमें सत्याग्रह समिति के साथी विजय कुमार ने एनआरसी, एनपीआर और सीएए के संबंध में सवालों के जवाब दिए।
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