शारिफ अंसारी, कल्याण/ठाणे (महाराष्ट्र), NIT:
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका हैं, उम्मीदवार वोट मांगने की झोली लेकर अब घर-घर घूमेंगे, रेलवे यात्रियों की सुविधाओं के बारे में भी बात करेंगे जबकि हकीकत यात्रियों को मालूम है।
बता दें कि, 26 जून 2018 को कल्याण स्टेशन की समस्याओं को जानने के लिए सांसद कपिल पाटिल, स्थानीय विधायक नरेंद्र पवार के साथ कल्याण रेलवे स्टेशन का दौरा किया था। उसके बाद दूसरे सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे ने भी स्टेशन का मुआइना किया, जिससे लोगों को लगा की हालात बदलेंगा, कल्याण स्टेशन का कल्याण होगा मगर ऐसा हुआ नहीं, आज भी स्टेशन पर अस्वच्छता के साथ स्काईवॉक पर फेरीवालों का कब्जा है।जगह-जगह पर पान की पिचकारिया, टिकटों के लिए लंबी लंबी कतारे लगी हैं, रिजर्वेशन के लिए तकलीफ, दलालों की दादागिरी, स्टेशन के बाहर अवैध तरीके से रिक्शा पार्किंग की जाती है, जिससे आने-जाने वाले यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऊपर से रिक्शा चालकों की मनमानी से भी नागरिक परेशान हैं, बाहर गांव से आये यात्रियों को गरदुल्ले और पाकेटमारों का शिकार होना पड़ता है। कुछ महीनों पहले कल्याण स्टेशन पर भीख मांगने वाली किष्किंधा जाधव नामक गर्भवती महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया, रेलवे प्रशासन के पास आपातकालीन वैधकीय सुविधा, डॉक्टर, नर्स नहीं होने के कारण महिला लगभग ढाई घंटे तक दर्द और तकलीफ में रही, जिससे नागरिकों में भी गुस्सा देखने को मिला था। फेरीवाले और रिक्शा की अवैध पार्किंग कल्याण रेलवे स्टेशन का नजारा कल्याण रेलवे स्टेशन को भद्दा बनाता है।
वहीं कल्याण जंक्शन को कल्याण टर्मिनस बनाने की मांग वर्षों से हो रही है। सरकारें बदलीं, मंत्री बदले, सांसद बदले लेकिन नही बदला तो कल्याण रेलवे स्टेशन का भाग्य……..। कल्याण में रेलवे यार्ड बनाने की घोषणा हुई है, इसी से नेता फूले नहीं समा रहे हैं जबकि यह कब तक बनकर तैयार होगा यह जवाब दे पाना लगभग मुश्किल है। मात्र टर्मिनस बनाने के प्रस्ताव पर किसी स्थानीय सांसद, नेता, मंत्रीगण पहल करते दिखाई नहीं दिए।कल्याण जंक्शन होने के नाते दूसरे राज्य से आने जाने वाली सभी ट्रेनें कल्याण रेलवे स्टेशन पर रुकती हैं, मगर एक जंक्शन को जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए वैसी सुविधाएं इस स्टेशन से कोषों दूर हैं। स्थानीय विधायक और सांसद व मंत्री नेतागण केवल स्टेशन पर जाकर मुआइना करके बड़े बड़े वादे करते हैं मगर इनके वादे कहीं से सही साबित होते दिखाई नहीं देते हैं। बस इन विधायक-सांसदों और नेताओं के केवल बड़े बोल बच्चन हैं, तो ऐसे में कैसे होगा कल्याण जंक्शन का कल्याण? आखिर कल्याणकर यात्रियों को कितना और यातना सहन करना पड़ेगा, ऐसा सवाल यात्री पूछ रहे हैं।
सांसद कपिल पाटिल ने कहा था कि, स्टेशन स्वच्छ किया जाएगा, स्टेशन से फेरिवाले हटाए जाएंगे, स्टेशन पर एयरपोर्ट जैसी सुविधाए मिलेंगी। यह बड़ा बयान 26 जून 2018 को स्टेशन का मुआयना करते समय दिया था, मगर साल बीतकर 2019 आ गया, ना तो एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं कही दिखाई दे रही हैं, न ही फेरीवाले हटे और आश्वासन केवल आश्वासन ही रह गया क्या?
कल्याण जंक्शन स्टेशन पर हर दिन लाखों यात्री यात्रा करते हैं। एक जंक्शन को जैसी सुविधा मिलनी चाहिये वैसी सुविधा इस स्टेशन से कोषों दूर है। कल्याण स्टेशन भग्यवान है, दो सांसद हैं। आपसी मनमुटाव और श्रेयवाद के कल्याण स्टेशन का कल्याण हुआ, यह कल्याण स्टेशन का दुर्दैव है। सत्ताधारी पार्टी के सांसद कपिल पाटिल, सांसद डॉ श्रीकांत शिंदे और स्थानीय विधायक नरेंद्र पवार, गणपत गायकवाड़ भी हैं मगर इन सांसद और विधायकों का क्या फायदा जो केवल खुद को चमकाने की राजनीति करते हैं और यात्रियों की सुविधा राम भरोसे छोड़ देते हैं, अब आप ही बताइए ऐसे में कैसे होगा कल्याण जंक्शन का कल्याण???
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