लियाक़त शाह, जलगांव/मुंबई (महाराष्ट्र), NIT:
इस समय राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अराजकता पैदा कर रही है, जिसका असर शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों पर पड़ा है. अभी कुछ दिन पहले राज्य के स्कूलों में 1 नवंबर से 20 नवंबर तक दिवाली की छुट्टी घोषित की गई थी. स्कूलों ने उसी के अनुसार पहले सत्र की परीक्षा की योजना बनाई गई थी. परीक्षा शुरू हुई लेकिन अचानक संयुक्त शिक्षा सचिव ने अवकाश पत्र रद्द कर दिया और नया पत्र जारी कर कहा कि स्कूल में नए परिपत्रक के अनुसार 28 अक्टूबर से 10 नवंबर तक दिवाली की छुट्टियां रहेगी. कई शिक्षक और छात्र तो अगले दिन स्कूल भी गए थे क्यों की परिपत्रक आते आते शाम हो गई थी. जिसके कारण शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को नोटबंदी की याद आ गई थी.
जानकारों का मानना है की शिक्षा विभाग को नियोजन का पाठ पढ़ाना होगा.
सरकार के हाल के छुट्टी के संबंध तुगलकी फरमान पर स्कूल का सारा नियोजन गड़बड़ा गया है, साथ ही जिन लोगों ने 10 नवंबर के बाद के रेलवे या बस या दीगर वाहन के टिकट का रिजर्वेशन किए हैं वो सब परेशान हो गए हैं. अभिभावकों के छुट्टी पर गांव जाने और आने का नियोजन भी प्रभावित होगी. ऐसे लगता है की शिक्षा विभाग को योजना और नियोजन का पाठ एक बार फिर पढ़ाने और सिखाने का समय आ गया है, जो छात्रों को नियोजन का पाठ देता है. इसके अलावा, वरिष्ठ अधिकारी या तो भूल गए या वे नियमों का पालन नहीं करना चाहते थे, हालांकि वे जानते थे की इसका विपरीत परिणाम क्या होगा. स्कूल कोड नियम संख्या 51.1 के अनुसार जिले के सभी स्कूल एक साथ शुरू होने चाहिए.
इस बारे में हमारे संवाददाता लियाकत शाह से बात करते हुवे भुसावल के भाजपा शिक्षक गठबंधन के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं नासिक संभाग के संयुक्त सचिव पी.एच. दलाल ने कहा कि अधिकारी शिक्षा अधिनियम, स्कूल संहिता, नई शिक्षा नीति आदि का गहराई से अध्ययन करेंगे तो उन्हें ऐसा अपमान नहीं सहना पड़ेगा.
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