जिस तरह आज हम जानवरों को अल्लाह के लिए कुर्बान कर रहे हैं उसी तरह आज हम अपनी अना, दिलों का बुग्ज और हसद को भी कुर्बान कर दें: मौलाना मोहम्मद मुदस्सिर सलफी | New India Times

अबरार अहमद खान, स्टेट ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:

जिस तरह आज हम जानवरों को अल्लाह के लिए कुर्बान कर रहे हैं उसी तरह आज हम अपनी अना, दिलों का बुग्ज और हसद को भी कुर्बान कर दें: मौलाना मोहम्मद मुदस्सिर सलफी | New India Times

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में विभिन्न स्थानों पर ईदुल अज़हा की नमाज़ कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुऐ शान्तिपूर्वक अदा की गयी। सुबह 6:15 बजे न्यू कबाड़ खाना स्थित जामा मस्जिद अहले हदीस में मौलाना मोहम्मद मुदस्सिर सल्फ़ी ने नमाज़ अदा कराई। उसके बाद उन्होंने अपने भाषण में सब से पहले अल्लाह की प्रशंसा की फिर नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दरूद भेजा।

मौलाना मोहम्मद मुदस्सिर सल्फी ने लोगों से ख़िताब करते हुये कहा कि आज ईदुल अज़हा यानी कुर्बानी का दिन है। यह एक महान दिन है जिसमें पूरी दुनिया के मुसलमान हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत पर अमल करते हुये लाखों जानवर अल्लाह का तकर्रुब हासिल करने के लिए कुर्बान करते हैं। हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम अल्लाह का नाम कुराआन में 69 बार आया है जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आप अल्लाह के नज़दीक कितने महान थे।

जब इब्राहीम अलैहिस्सलाम 80 वर्ष के हुये तो उन्होंने ने अल्लाह से प्रार्थना की, “या अल्लाह, मुझे नेक बच्चा देना, फिर अल्लाह ने उन्हें अच्छी खबर दी,भगवान ने उनके साथ अपने रिश्ते का पहला परीक्षा लिया और कहा, “अपने बेटे और उसकी मां को एक निर्जन रेगिस्तान घाटी में छोड़ दो, जहां नहीं कोई इंसान या फलदायी फल न उगता हो और न ही पीने के लिए पानी मौजूद हो। इब्राहीम ने अपने छोटे से परिवार को मक्का में छोड़कर चले आए। जहां अल्लाह ने इस छोटे परिवार पर अपनी रहमतों की बारिश की। जब इस्माइल युवावस्था की उम्र तक पहुंचे तो इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने सपने में देखा कि मैं अपने बेटे को अपने हाथों से ज़बह कर रहा हूँ। तो उन्होंने ने अपने बेटे के सामने इस ख़्वाब को बयान किया तो हज़रत इस्माईल ने कहा आप को जो कुछ भी आज्ञा दी गई है वह सब कर गुजरिये, आप मुझे उन लोगों में से पाओगे जो धीरज रखते हैं।”

फिर इब्राहीम अलैहिस्सलाम अपने बेटे को लेकर मिना की ओर गये और माथे के बल लिटा कर जबह करने ही वाले थे कि अल्लाह की ओर से एक आवाज़ आई कि ऐ इब्राहीम तुम ने तो अपना ख्वाब सच कर दिखाया, फिर अल्लाह की ओर से एक मेंढ़ा आया जिस को आप ने जबह किया।

यह एक महान त्याग है, जिसके द्वारा हर साल लाखों जानवरों को अल्लाह का तकर्रुब हासिल करने के लिए जबह किया जाता है।
जो व्यक्ति कुर्बानी की ताक़त रखता हो और फिर कुर्बानी न करता हो तो उसे चाहिए की वह हमारी ईदगाह में न आये।
आज, हमारे कई मुस्लिम भाई जानवरों को ज़बह करेंगे । याद रखें कि अल्लाह के पास न तो मांस पहुंचता है और ना ही खून बल्कि अल्लाह के पास हमारा और आप का तक्वा पहुंचता है। कुर्बानी का गोश्त खुद भी खाएं रिश्तेदारों को भी खिलाएं साथ ही साथ गरीबों को भी बाटें। अंत में उन्होंने ने कहा कि जिस तरह क़ुर्बानी के जानवर का गोश्त बेचने की अनुमति नहीं है, वैसे ही उसके चमड़े को बेच कर उसका पैसा अपने ऊपर इस्तेमाल करने की भी अनुमति नहीं है। क़ुर्बानी के कुल चार दिन हैं।
अंत में मौलाना ने यह भी कहा कि जिस तरह आज हम जानवरों को अल्लाह के लिए कुर्बान कर रहे हैं उसी तरह आज हम अपनी अना, दिलों का बुग्ज और हसद को भी कुर्बान कर दें और आपस में भाई भाई बन कर जिंदगी गुजारें।
उसके बाद कोरोना महामारी के खात्मे एवं तमाम मुसलमानों और मुल्क के लिए अमन व अमान की दुआ की गई।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading