मो. मुजम्मिल, जुन्नारदेव/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:
शासकीय महाविद्यालय जुन्नारदेव की राष्ट्रीय सेवा योजना छात्र एवं छात्रा इकाई का विशेष शिविर महाविद्यालय प्राचार्य एवं रासेयो जिला अधिकारी डॉ वाय के शर्मा के मार्गदर्शन में एवं एनएसएस छात्रा इकाई अधिकारी डॉ रश्मि नागवंशी एवं छात्र इकाई अधिकारी डॉ एसके शेण्डे के निर्देशन में लगाया गया है शिविर के तीसरे दिन रासेयो के स्वयंसेवक सेविकाओं ने ग्रामीण अंचल में नशा मुक्ति अभियान के तहत रैली निकालकर ग्रामीणों को नशा मुक्त भारत अभियान से जुड़ने का संदेश दिया. इस दौरान विद्यार्थियों ने नशा है नाश की जड़ से दूर रहे हम तंबाकू का सेवन हमको करता है खत्म जैसे नारे दिए. नशा मुक्ति रैली के साथ साथ ही ग्रामीण अंचल में श्रमदान अभियान भी चलाया गया जहां पर ग्राम में जर्जर हो चुकी पुलिया के पास पत्थर भराव एवं साफ सफाई की गई।
बौद्धिक परिचर्चा में कोरोना और नशा मुक्ति अभियान पर हुई चर्चा
शिविर के तीसरे दिन बौद्धिक परिचर्चा के दौरान शासकीय महाविद्यालय जुन्नारदेव के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ एके दांडेकर, डॉक्टर सागर बालोतरा, डॉ रीना मेश्राम उपस्थित हुए. डॉक्टर दांडेकर द्वारा परिचर्चा के दौरान कोविड-19 पर उद्बोधन देते हुए कहा गया कि वर्तमान में यह बीमारी एक बार फिर से अपने पैर पसार रही है और हमें इससे बचने के साथ-साथ दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करना है. राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्र-छात्राओं द्वारा लगातार जन सेवा के कार्य व स्तर पर किए जाते हैं, वर्तमान में भी इस सात दिवसीय शिविर में आप निश्चित ही इस ग्राम के ग्रामीणों को करोना के प्रति जागरूक करने में पूर्णता सफल होंगे यह मेरा विश्वास है। डॉक्टर सागर मंत्रा द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान मास्क का उपयोग करने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने साबुन से बार-बार हाथ धोने सहित विभिन्न प्रकार के कोरोना महामारी से बचने के उपाय एवं इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने के लिए किए जाने वाले उपायों की जानकारी दी गई। डॉ रीना मेश्राम द्वारा नशे के दुष्प्रभाव के बारे में छात्र छात्राओं को जागरूक किया गया इस दौरान विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थों से होने वाली बीमारियां जैसे कैंसर फेफड़े खराब होना, जबड़े खराब होना आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई साथ ही शिविर के माध्यम से ग्रामीणों को नशा प्रवृत्ति से दूर रहने के लिए जागरूक करने का आग्रह भी किया गया. शिविर के दौरान बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के अतिरिक्त ग्रामीण जन भी बौद्धिक परिचर्चा में उपस्थित थे.
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