हिमांशु सक्सेना, ग्वालियर (मप्र), NIT:
कोरोना के कारण उपजी तकलीफें एक साल पूरा होने के बाद भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते साल 22 मार्च 2020 को कोरोना के कारण देशभर में लाकडाउन प्रभावी हो गया जिसके कारण तमाम आर्थिक गतिविधियां सिथिल हो गईं। कोरोना के कारण इस साल ग्वालियर व्यापार मेला भी देरी से लग सका। दिसंबर में लग जाने वाला मेला करीब दो महीने देरी से 15 फरवरी से लगना शुरू हुआ। मगर व्यापारियों के दुख में अब और अधिक वृद्धि होने वाली है। क्योंकि व्यापार मेला एक तो देरी से आया, मर फिर भी दुरुस्त नहीं हो पाया। कोरोना का साया तो पहले से ही था, मगर अब वह काली छाया में परिवर्तित हो गई है।
मेले में जहां व्यापारियों ने लाखों रुपये खर्च कर अपनी दुकानें व अस्थाई शोरूम बना लिए है, वहीं मेले की अवधि घटाने की कवायद प्रदेश सरकार द्वारा शुरू कर दी गई है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के कारण ऐसा किया जा रहा है।
रात 10 बजे मेला बंद करने से घटी सैलानियों की दिलचस्पी
गौरतलब है कि प्रशासन द्वारा व्यापार मेले को रात 10 बजे बंद कराने का आदेश पूर्व में ही जारी कर दिया गया है। पुलिस प्रशासन द्वारा इस फैसले का सख्ती से अनुपालन भी कराया जा रहा है। ऐसे में मेले में आने वाले सैलानियों की दिलचस्पी लगभग पूरी तरह से खत्म हो गई है। चूंकि दिन में शाम 4 बजे तक तेज धूप व भीषण गर्मी रहती है। ऐसे में मेले में दिनभर सन्नााटा छाया रहता है। शाम को मेले में रौनक बढ़ती है, मगर मेले का यूं गुलजार होना केवल भीड़ के तौर पर ही देखी जा रही है।
खानपान सेक्टर को सबसे अधिक नुकसान
गर्मी के कारण सैलानियों ने गर्मगर्म पकवान खाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिसके कारण खानपान सेक्टर को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। आलम यह है कि बड़े रेस्टारेंट संचालकों के स्टाफ व अन्य खर्चे भी नहीं निकल पा रहे हैं। वहीं मेले में इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर अभी तक तैयार ही नहीं हो पाया है। एक-दो को छोड़कर कोई भी इलेक्ट्रानिक्स व्यापारी मेले में नहीं आया है। शासकीय प्रदर्शनियां भी मेले में नहीं लग सकी हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी भव्यता से आयोजन नहीं हो रहा है। अकेला आटोमोबाइल सेक्टर ही ऐसा है, जिनके व्यापारियों ने मेले में जमकर चांदी काटी है। आरटीओ टैक्स में 50 फीसद छूट के कारण बड़ी तादात में वाहनों की बिक्री हुई है।
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