रुखे जंगलों ने ली 30 भुखे जानवरों की जान | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

रुखे जंगलों ने ली 30 भुखे जानवरों की जान | New India Times

जामनेर तहसील के मोयगांव दिगर – सामरोद से सटे आरक्षित जंगलों में करीब 18 नीलगायों तथा 11 जंगली सूवरों के मौत का मामला मंगलवार सुबह प्रकाश में आया है।

मामले को लेकर वन अधिकारी श्री समाधान पाटील से संपर्क बनाने पर उन्होने घटना की पुष्टि की है। पाटील ने बताया कि हमें घटना की जानकारी मिली है, हम वन विभाग की टीम और पशु अधिकारी समेत मौके पर पहुंच रहे हैं। मृत जानवरों के शवों का पंचनामा कर मुआयने के बाद ही जानवरों की मौत की कोई ठोस वजह बताई जा सकेगी। निजी कंपनी में फिल्ड कर्मी श्री दीपक कचरे ने पर्यावरण प्रेमी तथा सजग नागरीक की भूमिका का निर्वहन करते हुए संवाददाता को इस मामले की जानकारी तथा घटनास्थल के फ़ोटोज साझा किए हैं। सामरोद के पुर्व ग्राम प्रधान श्री श्रीकांत पाटील ने बताया कि जंगल में घांस भक्षी पशुओं की संख्या अधिक है अब अकाल के कारण पुरा जंगल रुखा हो चुका है। इस परीपेक्ष में जानवरों को पीने के पानी की विपुलता है लेकिन पर्याप्त खाद्यान्न जंगलों में नहीं है ऐसे में इतने जानवरों की अचानक मौत कैसे हो गयी यह बडे़ आश्चर्य की बात है। वहीं कुछ लोग इन जानवरों की मौत के लिए दुराई जाती की घास को भी जिम्मेदार बता रहे हैं। जानकारों के मुताबिक दुराई यह ऐसी घास है जिसे खाने के बाद जानवरों को फुड पौइजनिंग होती है। वहीं दुराई जाती की घास खाने के कारण इन जानवरों की हुयी मौत का अंदेशा जमीनी हकिकत से इस लिए भी मेल खाता नहीं नजर आता है क्योंकि सूखे जंगलों में जहां घास का एक पत्ता भी दिखाई नहीं पडता वहां दुराई का अस्तित्व भला कैसे स्विकार किया जा सकता है?

रुखे जंगलों ने ली 30 भुखे जानवरों की जान | New India Times

विदित हो कि भयानक सूखे के चलते तहसील के जंगलों में जानवरों के लिए घास ही नहीं बची है। मानसून के भरोसे जो घास उगती है उसे वन विभाग द्वारा सरकारी नीलामी के जरीये निजी व्यापारियों को बेचा जाता है और बची खुची घास जंगलों में लगने वाली कथित आगजनी में जलकर राख हो जाती है। कुछेक वनबीटों में घास के डेपो बचाकर भी रखे गए तो उन्हें पालतु मवेशी चट कर जाते हैं ऐसे में इन रुखे जंगलों में जानवरों को आसपडोस के स्त्रोतों से जहां पानी तो आसानी से मिल जाता है पर पेट भरने के लिए चारा नहीं मिल पाता। घटनास्थल पर जगह जगह पर मृत जानवरों के शव गले अवस्था में दिखायी पडे़ हैं। वन विभाग की टीम ने दिनभर जंगलों में मृत जानवरों की खोजबीन के लिए सघन तलाशी अभियान चलाया। शवों के विसेरा सैंपल को जांच के लिए जमा कराया गया है अब इन विसेरा कि रिपोर्ट से ही इन जानवरों की मौत का असली कारण पता चल सकेगा।


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