सागर जिला के स्थानीय पत्रकार उमेश यादव की सोशल मीडिया पर जारी 'त्राहिमाम' मुहिम से कांग्रेस को मिला बड़ा सहारा लेकिन कांग्रेस फायदा उठाने में रही नाकाम | New India Times

परसराम साहू, सागर (मप्र), NIT:

सागर जिला के स्थानीय पत्रकार उमेश यादव की सोशल मीडिया पर जारी 'त्राहिमाम' मुहिम से कांग्रेस को मिला बड़ा सहारा लेकिन कांग्रेस फायदा उठाने में रही नाकाम | New India Times

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टेग लाइन “वक्त है बदलाव का” के अलावा किसी दल के सोशल मीडिया कैम्पेन ने कोई असर तो नहीं दिखाया लेकिन कई सीटों पर स्थानीय मुद्दों और प्रत्याशी की अस्वीकार्यता के चलते सोशल मीडिया के माध्यम से खूब चुनौतियां दी गयीं। ऐसी ही एक सीट सागर है जहां के एक युवा पत्रकार ने लोकल मुद्दों को सोशल मीडिया पर त्राहिमाम टेग लाइन के साथ रोचक तरीके से पेश कर अवाम को इतना जागृत और उद्देलित किया जितना किसी भी राजनैतिक संगठन ने भी कभी नही किया गया।

दरअसल सागर सीट 35 वर्षो से बीजेपी के कब्जे में है। सागर में विधायक के साथ ही सांसद और महापौर सहित सभी महत्त्वपूर्ण संस्थाओं पर दशकों से बीजेपी के काबिज होने के बाद भी सागर की तस्वीर आज भी किसी बड़े कस्बे जैसी ही है। बीजेपी के जिम्मेदारों के साथ ही जब पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने भी सागर को कस्बा निरूपित किया तब सागर के जनमानस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। सागर को कस्बे जैसा बनाये रखने के लिए सीधे तौर पर बीजेपी को जिम्मेदार माना जाने लगा, इस स्थिति में नैसर्गिग तौर पर सागर निवासी पत्रकार उमेश यादव की कलम भी सोशल मीडिया में जनता के पक्ष में ही चली और बीजेपी प्रत्याशी निशाने पर बने रहे।

स्थानीय पत्रकार उमेश यादव की सोशल मीडिया पर जारी त्राहिमाम मुहिम से कांग्रेस को बढ़ा सहारा मिला लेकिन इस मुहिम के प्रभाव के कारण बीजेपी के खिलाफ बने माहौल को भुनाने के लिए शहर में कई कथित समाजसेवियों की महात्त्वकांक्षाएं जागृत हो गयी, परिणाम यह हुआ कि 20 निर्दली चुनाव मैदान में आ डटे। चुनाव के आखरी दौर में कांग्रेस प्रत्याशी की कमजोर स्थिति और निर्दलीयों की फ़ौज से भ्रमित मतदाता मौजूदा बीजेपी प्रत्याशी और दो बार के विधायक शैलेन्द्र जैन की कार्यप्रणाली से असंतुष्ठ होने के बाद भी बीजेपी में वापस लौट गया और एन्टीइनकंवेंशी के बाद भी बीजेपी की पैतीस साल पुरानी सीट बच गयी और शैलेन्द्र जैन तीसरी बार विधायक बने गए।

हुआ यूं कि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय कांग्रेस संगठन और नेता गायब रहे और कांग्रेस प्रत्याशी नेवी जैन सिर्फ चंद मित्रों और परिजनों के सहारे बीजेपी से लोहा लेते रहे और पत्रकार उमेश यादव की त्राहिमाम मुहिम ही एक मात्र सहारा बनी रही। इस मुहिम का असर भी जबरजस्त हुआ। एक बार तो लगने लगा कि 35 वर्षो के बाद इस बार बीजेपी सागर सीट खो देगी लेकिन निर्दलियों की उपस्थिति और कांग्रेस का लचर प्रदर्शन मतदाताओं को बदलाव का विश्वास नहीं दिला पाया।

व्यवस्था के प्रति हमेशा आक्रोशित तेवर रखने वाले उमेश यादव मध्यप्रदेश के एक स्थापित रिजनल न्यूज़ चैनल में सागर के प्रतिनिधि हैं। सागर की अवाम की मनस्थिति की भांति उमेश का भी मानना था कि पैंतीस वर्षो से सागर बीजेपी के कब्जे में है और दो बार के विधायक जैन ने सागर की भोली जनता की कमजोर नस पकड़ ली है, सिर्फ वोट बैंक साधने के नजरिये से विधायक महिलाओ की भजन मंडलियों को ढोलक और मंजीरे बांटते हैं तो युवाओं को क्रिकेट की किट, सागर शहर के विकास को लेकर विधायक तनिक भी गंभीर नही हैं। यादव के इस आक्रोश ने बगावती तेवर तब अपना लिए जब सागर नगर निगम के भ्रष्टाचार और विधायक के चरित्र को लेकर रोज नई नई बातें सामने आने लगी। फिर क्या था अपने समाचार संस्थान के प्रति कर्तव्य निर्वाहन के बाद यादव जी फेसबुक पर त्राहिमाम टेग लाइन के साथ अपने शब्दों के जादू को लेकर जुट जाते, शहर की अवाम को जगाने में लेकिन विकल्प हीनता के कारण यह मुहिम अंजाम तक तो नहीं पहुंच सकी लेकिन मतदान के पहले तक पूरे शहर से त्राहिमाम त्राहिमाम के स्वर सुनाई देने लगे थे।


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