नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

जलगांव जिले के जामनेर शहर में दो दिनों में दो अलग अलग घटनाएं हुई जिसमें एक आत्महत्या और दूसरी हत्या की थी। इन दोनों वारदातों की पार्श्वभूमि अपराध जगत के तीन डब्लू में से किसी एक के इर्द गिर्द घूमती है। बुधवार रात प्रकाश कापड़े नामक केंद्रीय पुलिस के जवान ने खुद को गोली मारकर अपना जीवन समाप्त कर लिया। मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रकाश की मौत के लिए रमी गेम को जिम्मेदार ठहराया गया। रमी के इतिहास और वर्तमान की जानकारी आपको सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिलेगी। शीर्ष अदालत ने SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा था। रमी ने देश की सबसे बड़ी पार्टी को 52 करोड़ रुपए का चंदा दिया है।

दूसरी घटना में गुरुवार की दोपहर 30 साल के सुमित ने शराब के लिए अपने पिता बाजीराव पवार का गला काट कर उनकी हत्या कर दी। बीते हफ्ते वाकडी में बेटे सुभाष ने अपनी 90 साल की पेंशन भोगी वृद्ध मां राधाबाई परदेशी को पैसों के लिए मार डाला। फैमिली के तौर पर सदियों से अमन पसंद रहे जामनेर के बाशिंदों को पारिवारिक हिंसा के इन मामलों ने गहरी सोच में डाल दिया है। आम लोगों की मिलिजुली संस्कृति और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था ने कभी भी जामनेर को पेशेवर मुजरिमों, अपराधियों का शहर नहीं बनने दिया। लेकिन गुजरे हुए बीस सालों में जो वारदाते हुई उनके आंकलन से मालूम पड़ता है कि अकस्मात यानी अकाल मृत्यु के मामले सर्वाधिक है। इस कड़ी में अवसाद के कारण आत्महत्याओं का स्कोर कई गुना ज्यादा है, रही बात हत्याओं की तो इसकी जड़ शराब है। क्राइम रिपोर्टिंग के नाम पर लोकल अखबारों के झोला छाप पत्रकार लापता लड़किया, महिलाएं, युवक, पुरुषों के डेटा के सहारे सैराट टाइप चटपटी रोमांटिक खबरें छापते हैं और इन खबरों में जायके के लिए अफसरों के बयान प्रकाशित करते हैं।
नेताओं की नाकामी से बढ़ी बेरोजगारी-जलगांव में अमलनेर, जलगांव ग्रामीण, पारोला, जामनेर, बोदवड़, मुक्ताईनगर ये वो तहसील क्षेत्र है जिनका बीते तीस साल में किसी भी किस्म का कोई औद्योगिक विकास नहीं किया गया। 1990 बेरोजगारी की मार झेलते हजारों लड़के रोजी रोटी के लिए घर छोड़ कर पुणे मुंबई सूरत अहमदाबाद पलायन कर गए। 2002 में जन्मी पीढ़ी को नेताओं ने 2019 की धार्मिक राजनीति में धकेल दिया। जलगांव की राजनीत में शराब ने अहम भूमिका निभाई है, कोरोना काल के दौरान प्लास्टिक बैग में मिलने वाली जहरीली शराब से सैकड़ो मौतें हुई इन मौतों को प्रशासन ने कोरोना में समाहित कर दिया अकस्मात मरने वालों का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। संसदीय दायित्व को भूलकर धर्म की राजनीति करने वाले पाखंडी नेताओ ने मानव समाज की तीन पीढियां बर्बाद कर दी है।
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