बेरोजगारी खत्म करने का गजब फार्मूला: 90 हजार पदों के लिए बेरोजगारों से रेलवे ने वसूले 500 करोड रुपये | New India Times

ओवैस सिद्दीकी, अकोला (महाराष्ट्र), NIT; 

बेरोजगारी खत्म करने का गजब फार्मूला: 90 हजार पदों के लिए बेरोजगारों से रेलवे ने वसूले 500 करोड रुपये | New India Times​पिछले लगभग एक महीने से जारी रेल्वे की विभिन्न रिक्त पदो के लिए रेल्वे भरती बोर्ड (RRB) द्वारा ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे जिसकी ऑनलाइन शुल्क भूकतान 30 मार्च 2018 के 23:59 बजे तक करनी थी तथा 31 मार्च तक पूर्ण आवेदन ऑनलाइन जमा करवाना आवश्यक था।

इस रेलवे भरती में सहायक लोको पायलट तथा विभिन्न टेक्नीशियन पदों के साथ ही ग्रुप डी के करीब 90 हजार पदों पर भर्ती की जानी है,  इसमें लोको पायलट की 26502, ग्रुप डी के 62907 पदों का समावेश है तथा इस की पूर्ती हेतू रेलवे भर्ती बोर्ड अजमेर समेत देश के सभी 21 रेलवे भर्ती बोर्ड में इन पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे।

सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार इन पदों के लिए करीब 2 करोड़ से अधिक आवेदन प्राप्त किए गए  हैं।अंतिम आंकड़ा ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद रेलवे जारी करेगा। विगत कई सालों बाद रेल्वे द्वारा लोको, ग्रुप डी एवं अन्य पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे जिसके चलते युवाओं में काफी हर्ष दिखाई दिया तथा अंतीम तारीख तक सभी ऑनलाइन कॅफे पर युवाओ का तांता बंधा रहा। माना जा रहा है कि यह रेलवे की अब तक की सबसे बड़ी परीक्षा होगी।

देश में एक ओर बेरोजगारी से युवाओं का बुरा हाल है तो दूसरीओर सरकारें परीक्षा के नाम पर भारी शुल्क वसुलती है। ज्ञात रहे की रेल्वे की इन पदों के लिए देश भर से करीब 2 करोड प्रत्याशियों ने आवेदन भरे हैं जिसमें मायनॉरिटी से संबंधित प्रत्येक प्रत्यशी से 250 रुपये तथा ओपन कॅटेगरी वालों से करीब 500 रुपये परीक्षा शुल्क भुगतान लिया गया है, जिसमें मायनॉरिटी से संबंधित प्रत्याशियों का शुल्क पूर्ण रिफंड किए जाने तथा ओपन कॅटेगरी के 400 रुपय शुल्क रिफंड का आश्वासन दिया गया है किंतु इसमें कितनी सच्चाइ है यह आने वाला समय ही बता पयेगा। पूर्ण शुल्क देखे तो गरीब बेरोजगार युवाओ से करीब 500 करोड रुपये वसूले गए हैं। बताते चलें कि उक्त पदें तो केंद्र सरकार द्वारा निकाली गई है किंतु राज्य में भी सरकारी नौकरी के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं की फीस को लेकर तथा बेरोजगारों को नौकरी देने के नाम पर राज्य सरकार उनसे परीक्षा फीस के रूप में करोड़ों रुपए वसूल करती है। जिसके संदर्भ मे मध्यप्रदेश के हाईकोर्ट में एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा जनहित याचिका भी दाखल की गइ थी जबकि रोजगार के अवसर पैदा करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। बहस सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट खुद कह चुकी है कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह लोगों के लिए रोजगार पैदा करे और उचित व्यक्ति को उस पर नियुक्त करे। परीक्षा के नाम पर सरकार मोटी फीस वसूल रही है। फीस में समानता भी नहीं है। अलग-अलग परीक्षा के लिए अलग-अलग फीस तय की जाती है जबकि शासन को इसके लिए अलग से अमला तैनात नहीं करना पड़ता। व्यक्ति नौकरी के लिए आवेदन ही इसलिए करता है क्योंकि उसके पास रोजगार नहीं है। परीक्षा के हफ्तों बाद भी परिणाम घोषित नहीं किए जाते। कई बार तो सरकार खुद मनमर्जी से परीक्षा निरस्त कर देती है, ऐसी स्थिति में आवेदक को फीस भी नहीं लौटाई जाती। शासन सिर्फ उतनी ही फीस वसूले जितना परीक्षा पर खर्च आ रहा है। जस्टिस पीके जायसवाल और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की डिविजनल बेंच ने याचिका पर बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। इसी प्रकार अन्य राज्यों मे भी सरकारी नौकरियों के आवेदन शुल्क में कमी की जाना चाहिए। वैसे भी महाराष्ट्र के साथ अन्य राज्यों में बेरोजगारी से युवा परेशान नजर आ रहे हैं। बेरोजगारी का आंकडे इससे ज्ञात हो सकते हैं की महज 90 हजार पदों के लिए 2 करोड आवेदन तथा 500 करोड शुल्क का भरा जाना।​बेरोजगारी खत्म करने का गजब फार्मूला: 90 हजार पदों के लिए बेरोजगारों से रेलवे ने वसूले 500 करोड रुपये | New India Times

ऑनलाइन आवेदन शुल्क की अंतीम तारीख 30 मार्च के 23 :59 बजे तक थी साथ ही 31 मार्च तक पूर्ण आवेदन प्रत्याशी को ऑनलाइन जमा करवाना अनिवार्य था किंतु विगत दो दिनो से साईट का सर्वर धीमी गती से चलने की वजह से काफी प्रत्यशी आवेदन भरने से वंचित रह गए हैं: सैय्यद मजरूद्दीन,नेट कॅफे संचालक अकोला।


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