कन्या के घर से धन लेना और किसी की मृत्यु के उपरांत भोजन करना कहां का न्याय है, कहां प्रासंगिक है: संत कमल किशोर नागर; सात दिनों के श्रीमदभगवत कथा का हुआ समापन | New India Times

अविनाश द्विवेदी, भिंड ( मप्र ), NIT; ​कन्या के घर से धन लेना और किसी की मृत्यु के उपरांत भोजन करना कहां का न्याय है, कहां प्रासंगिक है: संत कमल किशोर नागर; सात दिनों के श्रीमदभगवत कथा का हुआ समापन | New India Timesविश्व प्रसिद्ध राष्ट्रीय संत कमल किशोर नागर ने श्रीमदभगवत कथा के अंतिम सातंवे दिन समाज में व्याप्त दहेज और मृत्यु भोज जैसी तमाम कुरीतियों पर कठोर प्रहार किया। संत श्री ने आज स्पष्ट शब्दों में कहा कि कन्या के घर से धन लेना और किसी की मृत्यु के उपरांत भोजन करना कहां का न्याय है और कहाँ प्रासंगिक है ?  श्री नागर ने कथा श्रवन करने आये हजारों धर्म प्रेमी बन्धुओं से आवाह्न किया कि वे दहेज और तेरहवीं मृत्युभोज जैसी सामाजिक कुरीतियों का परित्याग करें। आज कथा श्रवण करने भाजपा के प्रदेश महामंत्री बी डी शर्मा , पूर्व सांसद डॉ रामलखन सिंह मुख्य रूप से मौजूद रहे।​कन्या के घर से धन लेना और किसी की मृत्यु के उपरांत भोजन करना कहां का न्याय है, कहां प्रासंगिक है: संत कमल किशोर नागर; सात दिनों के श्रीमदभगवत कथा का हुआ समापन | New India Timesश्री नागर जी ने आगे कहा कि कभी कड़वा मत बोलो, कभी किसी की आलोचना निंदा मत करो, भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों से विरह पीड़ा के समन के लिए कथा श्रवण उपाय बताया, कलयुग में प्राणी जब दुखी हो तो प्रभु की कथा सुनें, पर आत्महत्या आदि जैसे कठोर निर्णय कभी ना लें, भगवान की कृपा से कथा श्रवण से आपका दुख का समय बुरा समय कट जाएगा, भगवान को भजते भजते जब तुम थक जाओगे तो प्रभु तुमको याद जरूर करेगा, और प्रभु ने जिस दिन आपको याद कर लिया उस दिन प्रभु के आप निकट पहुंच गए। उन्होंने आगे कहा कि ‘या + द – याद । द+या – दया, कर + पा  अर्थार्थ तू जो करेगा वो पायेगा, जो हमने करा है वो हमारे सामने आयेगा, दया के बाद कृपा का मतलब समाप्त हो जाता है, प्रभु को याद करो तो उसको दया अवश्य आएगी, जीवन काटने का एक मात्र उपाय कथा है, जैन समाज के संतों का आशीर्वाद भी प्राप्त किया मैंने, ज्ञान बढ़े गुणवान की संगत ….क्रोध बड़े मूर्ख के साथ, त्रिया के साथ काम बढ़े नारियों का साधुओं के सामने नाचना गाना उचित नही, नाचगाना, डीजे आदि काम की सेना है वासना पैदा करती है।

सजावट काम की सेना है काम के कार्यकर्ता हैं ये, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अश्लीलता ठीक नहीं, निषेध है और ये निश्चित है छोटे से पाप।की बड़ी सजा।मिलती है, एक गलती की बड़ी सजा तो बहुत गलती की कितनी सजा…कथा श्रवण दर्शन से पाप कट जाते है, जो प्रभु के द्वार आता है उसका कल्याण हो ही जाता है  ये किसी छोटे को दबाना बन करो , कभी किसी को दबाओ मत, मूरख ह्रदय न चेत..अभी भजोगे वो आगे मिलेगा, भविष्य सुधरेगा,पाप कटेगा
आपस में प्रबुद्धजन सत्संग अवश्य करें, बड़ों का असर छोटों पर अवश्य पड़ता, सत्ताधरी सत्ता में न डूबे धर्म में आगे आएँ, दूषित बातावरण को बदलने प्रबुद्ध समाज आगे आये, सत्संग करे…,मैं दिव्यांग नहीं मैं , मैं दहेज नहीं लूंगा, घर कच्चा वेसक मिले पर वर संस्कारी हो…गुण देखो, अगला जन्म अच्छा होगा बच्चे अच्छे होंगे, संकल्पित हों दहेज न देंगे और ना लेंगे,ब्राह्मण पूज्नीय है वो आशीर्वाद दे सकता है इसलिए उसे में प्रणाम करता हूँ, जो गायत्री जपे , संध्या उपासना करें उनके आशीर्वाद से उम्र बढ़ती है। कथा विसर्जन के समय एक प्रशस्ति पत्र आयोजक परिवार की ओर से भेंट किया गया, जिसका वाचन शिक्षक नरेश सिंह भदौरिया ने किया, साथ ही प्रशस्ति पत्र को बिहारी महाविद्यालय के चेयरमैन राजेश शर्मा, रामकुमार पुरोहित, रामबाबू शर्मा, उमाशंकर शर्मा और कप्तान सिंह विदुर ने भेट किया। कार्यक्रम का आभार आयोजक कमल शर्मा के द्वारा व्यक्त किया और कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी  पत्रकार गणेश भारद्वाज के द्वारा किया गया।


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