बुलढाणा जिलाधीश के सख्त रवैये के बाद गोडाउन कीपरों ने ज्ञापन देकर की तबादले की मांग | New India Times

कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT;​बुलढाणा जिलाधीश के सख्त रवैये के बाद गोडाउन कीपरों ने ज्ञापन देकर की तबादले की मांग | New India Timesजिले में राशन तस्करी का मामला काफी गरमाया हुआ है. गरीब जनता के इस अनाज की तस्करी को रोकने के लिए जिलाधीश चंद्रकांत पुलकुंडवार व एसपी शशि कुमार मीणा की कड़ी भूमिका के बाद कई स्थानों पर कालाबाजारी में जा रहा राशन का अनाज पकड़ा गया है। जिलाधीश पुलकुंडवार ने जिले के सभी राशन अनाज के सरकारी गोदामों की जांच के आदेश दिए थे ताकि कालाबाजारी के एक माध्यम पर अंकुश लगाया जा सके। प्रशासन द्वारा लगई गई इस लगाम के बाद जिले के शासकीय गोदामों पर कार्यरत गोडाउन कीपरों ने आज जिलाधीश को एक ज्ञापन देते हुए कहा है कि वह काफी मानसिक दबाव में है इसलिए उन्हें गोदामों से हटाकर उनके तबादले तहसील कार्यालयों में किये जाएं।

ज्ञापन में कहा गया है कि,सरकारी अनाज के गोदामों पर काम करते हुए गोडाउन किपरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.शासन द्वारा उन्हें लंबे समय से ज़रूरी यंत्र सामुग्री उपलब्ध नही कराई गई है.जिलाधीश का ध्यान इन मुद्दों की तरफ आकर्षित करते हुए बताया गया कि 2014 से गोदामों पर सुतली नही दी गई है अपने जेब से उन्हें सुतली खरीदना पड रही है.क्लारिकल गलती के कारण उन्हें निलंबन जैसी कड़ी सजा भुगतनी पड़ती है जिसका उदाहरण पिछली दो घटना है.गोदाम से अनाज ले कर बाहर जानेवाली गाडी की पूरी ज़िम्मेदारी यातायात प्रतिनिधि व यातायात ठेकेदार की होते हुए भी उनपर कार्रवाई की जाती है.यातायात ठेकेदार को आवश्यक सुचना देने का बाद भी मांग अनुसार अनाज समय पर उपलब्ध नही कराया जाता है जिसके कारण अनाज का आवंटन पूरा नही हो पाता है और ठेकेदार की इस लापरवाही का खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है.अन्नसुरक्षा योजना लागू होने के बाद से गोदामों में जगह कम होने के कारण अनाज रखने के लिए दिक्कत आ रही है.कई सालों से जप्त किया गया अनाज और खाली पोतों की वजह से गोदाम में खाली जगह कम हो गई है.गोदामों पर लगाए गए सीसीटीवी कई स्थानों पर बंद पड़े हुए है तथा कुछ गोदामो में बिजली की व्यवस्था नही है. इलेक्ट्रॉनिक वजन कांटे,फवारनी पंप और छन्नी खराब हालत में है.कुछ गोदामो की छतें खराब है तथा गोदामो को सुरक्षा दीवारें नही होने जानवर घुस आते है जिस से अनाज का नुकसान होता है.गोदाम पर रेकॉर्ड लिखने,हमालो सहित अनाज की आवक और वाटप पर नियंत्रण रखना,द्वार पहोंच योजना के अनाज की पासेस तैयार करना,ये सभी काम एक ही समय में एक व्यक्ति को करना पड़ता है काम के इस बोझ से अनजाने में कुछ गलती होने की संभावना बनी रहती है.काम के इतने बोझ को देखते हुए गोदाम पर गोदाम पाल और एक सहाय्यक ऐसे दो पदों की ज़रूरत होते हुए भी केवल गोदाम पाल इस एक कर्मी को ये सब संभालना पड़ता है.ज्ञापन के अंत में कहा गया है कि इतने सब काम को देखते हुए अब सभी गोदाम पालों की गोदाम पर काम करने की मानसिकता नही है इस लिए उन्हें तहसिल कार्यालयों में नियुक्त कर दिया जाए.ज्ञापन मर जिले के 12 गोदाम पालों के हस्ताक्षर मौजूद हैं।​
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खामगांव गोदामपाल मुसले निलंबित

खामगांव के सरकारी गोदाम पर कार्यरत गोदाम पाल विलास मुसले को जिलाधीश चन्द्रकांत पुलकुंडवार ने एक आदेश के तहत 4 अक्तुबर को निलंबित कर दिया है.विगत 20 अगस्त को खामगांव में कालाबाज़ारी में जा रहा 20 टन राशन के अनाज के साथ ट्रक को पकड़ा गया था जबकि 1 अगस्त को वाडी परिक्षेत्र में एक गोदाम पर छापा मारते हुए 72 टन राशन का अनाज जप्त किया गया था.इन दोनों कार्रवाई को खामगांव के थानेदार यु.के.जाधव ने अंजाम दिया था.राशन का इतना अनाज आया कहाँ से? तथा राशन तस्करी की अन्य घटनाओं को देखते हुए इस की खोज के लिए जिलाधीश ने जिले के सभी सरकारी गोदामो की क्रॉस जांच कराने के आदेश जिले के सभी उपविभागीय अधिकारियों को दिये थे.खामगांव गोदाम की जांच मलकापुर एसडीओ द्वारा किये जाने के बाद वहाँ के रेकॉर्ड में गड़बड़ी और अनियमितता सामने आई थी.इसी जांच को देखते हुए गोदामपाल मुसले को निलंबित किये जाने की जानकारी प्राप्त हुई है।

जिलाधीश पर दबाव बनाने का प्रयास

अनेक राशन दुकानदार गोदाम से पूरा अनाज उठा कर नही ले जाते थे और फिर ये बचा हुआ अनाज राशन माफिया गोदाम पर खरीद के कालाबाज़ारी में बेच देते.ये गोरखधंदा बिना अधिकारी व कर्मी की मिलीभगत के संभव नही है.द्वार पहोंच योजना के इस अनाज की कालाबाज़ारी पर अंकुश लगाने के लिए एसडीओ द्वारा गोदामों की क्रॉस जांच का जिलाधीश मा.पुलकुंडवार द्वारा लिया गया निर्णय एक सराहनीय कदम माना जा रहा है.इस जांच में अब तक गोदामो में की गई काली करतूत बेनकाब होने का अंदेशा मंडरा रहा है.जिलाधीश द्वारा दोषी पाए जाने के बाद खामगांव एफसीआई गोदाम के वाहतूक प्रतिनिधी चोपड़े को जुलाई में और अब हाल में खामगांव गोदाम के मुसले को निलंबित कर चुके है. निलंबन कारर्इवाई की ईस यादि में कुछ और गोदाम पालों का नाम जुड़ने का खतरा भांपते हुए अब ये कहा जा सकता है कि खुद को बचाने के लिए सभी गोदाम पाल एकजुट हो कर विविध कारणों को बताते हुए जिलाधीश पर दबाव बनाने का प्रयास तो नही कर रहे है? अब ये प्रश्न खड़ा हो रहा ह।


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By nit

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