पंकज शर्मा, ब्यूरो चीफ, धार (म.प्र.), NIT:
ग्राम रायपुरिया (बोधवाडा) में 5 सितम्बर से प्रारंभ हुई सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का रविवार को समापन हुआ। भागवत कथा में चार वेद, पुराण, गीता एवं श्रीमद्भागवत महापुराण की व्याख्या प्रभुपाद पंडित जगदीश दवे महाराज ग्राम चिलूर के मुखारविंद से तुलनात्मक दृष्टि से मधुर वाणी में उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया। विगत सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर र कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित भी किया। इस धार्मिक अनुष्ठान के सातवें एवं अंतिम दिन भगवान श्री कृष्ण की सर्वोपरी लीला रुक्मणी विवाह, शिशुपाल वध एवं सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया।
भजनों ने कर दिया मंत्रमुग्ध
इस दौरान कथावाचक दवे ने उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। पंडित जी ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम अपने को उस अनुरूप आचरण करने कहा तथा बताया कि जो काम प्रेम के माध्यम से संभव हैं, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्मों द्वारा सदैव चिर स्मरणीय होते हैं, इतिहास इसका साक्षी है। लोगों ने इस संगीतमयी भागवत कथा का आनंद उठाया। इस सात दिवसीय भागवत कथा में गांव के अलावा आसपास के गावों से भी काफी संख्या में महिला- पुरुष भक्तों ने इस कथा का आनंद उठाया। सात दिनों तक इस कथा में पुरा वातावरण भक्तिमय रहा। कथा विराम के पश्चात उपस्थित भक्तों के बीच महाप्रसादी का वितरण भी किया गया।
गांव में निकाला जुलूस
कथा समापन पश्चात भागवतवक्ता दवे को घोड़ी पर बिठाकर एवं ग्रामीण भक्तों द्वारा भागवत पौथी को सिर पर रखकर नृत्य करके पुरे गांव में उत्साह से जुलूस निकाला गया। ग्रामीण ने तन मन धन से सहयोग करके इस आयोजन को सफल बनाया। संचालन एवं आभार प्रकट रायपुरिया के अरविन्द सिंह राठौर द्वारा किया गया।
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