केस पेपर फ्री होने के बाद एक हजार तक पहुंची ओपीडी, क्या राज्य में सबसे बीमार तहसील है जामनेर..? | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

केस पेपर फ्री होने के बाद एक हजार तक पहुंची ओपीडी, क्या राज्य में सबसे बीमार तहसील है जामनेर..? | New India Times

15 अगस्त 2023 से राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में केस पेपर फ्री किया गया है जिसके बाद जामनेर के उपजिला अस्पताल में प्रतिदिन एक हजार मरीज दर्ज होने लगे हैं।OPD खिड़की बंद होने के बाद लगभग 200 मरीजों को बिना इलाज के वापिस जाना पड़ता है। निजी हॉस्पिटल्स के महंगे इलाज और दवाइयों का खर्च झेलने में असमर्थ गरीब तबके के लिए सरकारी अस्पताल की चौखट किसी मंदिर से कम नहीं है। केस पेपर फ्री होने से पहले ओपीडी चार सौ या पांच सौ तक हुआ करती थी जो आज डबल हो चुकी है। ओपीडी के अधिकतम मरीज सर्दी – जुकाम, बुखार, टायफाइड से पीड़ित होते हैं‌ ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण महीने में दवाइयों का जितना स्टॉक लगता था वह पंद्रह दिनों के भीतर खत्म हो रहा है। डॉक्टर्स, नर्सेस और वार्ड बॉय समेत सभी स्टाफ पर काम का बोझ काफ़ी बढ़ चुका है जिसके चलते कर्मचारी अवसाद का शिकार होने लगे हैं।बेहतर होगा कि 50 बेड वाले उपजिला अस्पताल को जिला सरकारी अस्पताल घोषित कर दिया जाए जो तहसील गिरीश महाजन के रूप में बीते नौ सालों से केंद्र और राज्य की सत्ता में बना है उसके नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय इतनी भी नहीं की वह निजी अस्पतालों से बेहतर इलाज़ की अपेक्षा करें या यू कहें कि राज्य में सबसे अधिक बीमार तहसील के रूप में जामनेर का गौरव किया जाना चाहिए, क्या ऐसा करना यहां के जनप्रतिनिधियों की शान में ठीक होगा? NIT ने 11 जुलाई को एक खबर प्रकाशित की थी जिसमें RTI से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया था कि जामनेर ब्लॉक में बीते तीस साल में 57 नेत्र चिकित्सा शिविर आयोजित किए गए, 6353 मरीज पंजीकृत किए गए जिनमें से 1378 के आंखों का ऑपरेशन किया गया। जामनेर की राजनीति में आंखों के शिविरों के आयोजन का अपना अलग चुनावी महत्व है। ज्ञात हो कि NRHM अंतर्गत बना नेत्र चिकित्सा अस्पताल दो साल से शुरू नहीं किया गया है।


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