नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
बीते चार महीने के नियमित और PMGKY के मुफ्त राशन वितरण में दुकानदारों द्वारा किए गए घपले की खबरे NIT में चलने के बाद इस प्रकरण को लेकर आम जनता में धन्यवाद भाव प्रकट किया जा रहा है। फ्री और नियमित राशन के वितरण में दुकानदारों द्वारा किए गए धांधली की जांच को लेकर प्रशासन की ओर से फ़िलहाल कोई कदम नहीं उठाया गया है। सोमवार के बाद कुछ सेवाभावी लोग इस मसले की आधिकारिक जांच की मांग करने वाले हैं। ऑनलाइन सिस्टम को करेक्ट रखकर किए गए इस घोटाले की तकनीकी स्तर पर अगर ईमानदारी से जांच की गई और जांच के दौरान कार्ड धारकों के बयानों को दर्ज किया गया तो हम दावे के साथ कहते हैं कि पूरे जलगांव जिले में राशन चोरी का एक बड़ा स्कैम उजागर होगा। इस स्कैम में घपला कर व्यापारियों को बेचा गया राशन रिकवरी कर लोगों को वापिस देना चाहिए जिसके लिए जांच जरूरी है। राशन दुकानों के लाइसेंस की बात करें तो लगभग 80 फीसद दुकानें स्थानीय नेताओं के आशिष का नतीजा हैं। आने वाले दिनों में सारे के सारे सरकारी राशन दुकान सीधा CCTV कैमरे के जद में और जिलाधिकारी के निगरानी में होने चाहिए ऐसी मांग जनता की ओर से की जा रही है साथ ही ब्लॉक स्तर पर तहसीलदार द्वारा सार्वजनिक वितरण विभाग को लेकर लोगों के बीच जनजागृति की आवश्यकता है !
MLC नतीजो के बाद सन्नाटा
महाराष्ट्र विधान परिषद में स्नातक अध्यापक श्रेणी से रिक्त कुल 5 सीटों के नतीजों में बीजेपी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा है जिसके बाद जलगांव जिले में भाजपा में कमाल का सन्नाटा देखा गया। पार्टी अपनी नागपुर की सीट बचा नहीं सकी यहाँ कांग्रेस से MVA के सुधाकर आड़बोले, अमरावती में कांग्रेस MVA के धीरज लिंबाड़े, औरंगाबाद में NCP MVA के विक्रम काले, नासिक में पूर्व कांग्रेसी वर्तमान निर्दलीय सत्यजीत तांबे, कोंकण में बीजेपी के एकमात्र प्रत्याशी ज्ञानेश्वर म्हात्रे ने भाजपा का खाता खोला। 5 में से MVA को 3 सीटें मिली हैं। नतीजों के बाद मंत्री कैमरे से दूर भाग रहे हैं उनकी जगह पर न्यूज चैनलों के एंकर सफाई दे रहे हैं। भाजपा के कई ऐसे संकट मोचक फेम नेता जिनका अपने निर्वाचन क्षेत्र के बाहर कोई प्रभाव नहीं है वह नदारद हैं।
स्नातक शिक्षक सरकार से नाराज़
बेरोजगारी, महंगाई, पुरानी पेंशन को लेकर स्नातक शिक्षक वर्ग सूबे की डबल इंजिन सरकार से नाराज हैं। इसी नाराजगी में एक पहलू संप्रदायिकता से संबंधि फैलाए जाने वाले अतिवादी प्रोपेगंडा का भी है।
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