नरेंद्र कुमार, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
“फेरीवालों को व्यवसाय करने का हक है इस लिए स्थानीय स्वराज संस्थाओं द्वारा उन्हें मदत की जाए, वहीं आम जनता को फेरीवालों की ओर से कोई परेशानी न हो इसका ख्याल फेरीवाले रखें. फसल बीमा योजना की तरह फेरीवालों को बैंक ऋण उपलब्ध करवाकर दें” यह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का 23 जुलाई का बयान है जो उन्होंने प्रधानमंत्री स्वनिधि महोत्सव कार्यक्रम ई संबोधन में दिया है. इस बयान को जामनेर के पीड़ित विस्थापित Maharashtra DGIRP इस सरकारी पेज पर मात्र अपनी तसल्ली के लिए पढ़ सकते हैं, इस बयान के बिल्कुल विपरीत नगर परिषद ने जामनेर में किया है. बरसात में किसी भी किस्म का अतिक्रमण निकालने की सरकारी मनाही के बाद भी जामनेर नगर परिषद ने शहर के सारे कच्चे अतिक्रमण पर लगातार कार्रवाई का हथौड़ा चलाना जारी रखा है. प्रशासन ने जब्ती और जुर्माने की कार्रवाई के बजाये लाखों रुपयों की संपत्ती को जानबूझकर बुलडोजर से कुचल दिया. निगम की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई के लिए स्थानीय पुलिस की व्यक्तिगत रुची एक कारण बताया जा रहा है. 16 जुलाई से जारी इस कार्रवाई के दौरान निजी संपत्तियों में बनाए गए टिन मार्केटों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं. अतिक्रमण उन्मूलन की इस संदेहजनक लंबी कार्रवाई में संलिप्त हर उस व्यक्ति और उसकी भूमिका की पड़ताल के लिए उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग न्यायप्रिय नागरिकों में जोर पकड़ रही है. पता चला है कि निगम ने विस्थापितों के पुनर्वास के लिए पखवाड़ा बाजार मैदान जो कि श्रीराम मंदिर ट्रस्ट की निजी जगह है उस मे एक योजना बनाई है जिसका पीड़ितो ने पूर्ववर्ती अनुभवो के तर्ज पर विरोध किया है. पीड़ितों की मांग है कि उनको मार्केट के बीच हॉकर्स नियमों के तहत अपने ठेले लगाने की अनुमति मिले वे अपनी ओर से अनुशासन का परिचय देंगे . मामले मे NCP ने प्रशासन की मनमानी और पक्षपात को लेकर मात्र एक पत्रकार परिषद की . जब कि निगम मे सत्तापक्ष भाजपा के 25 नगर सेवकों में से किसी ने कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी.
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