नरेंद्र कुमार, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
डेढ़ करोड़ की लागत से जामनेर के उपजिला अस्पताल के प्रांगण मे बन रही दो इमारतों में से नेत्र चिकित्सालय की इमारत के फोटो को गौर से देखने पर पता चलता है कि अंडर ग्राउंड फाउंडेशन के पिलर को आपस में जोड़ने वाले पिलर्स को आधे तक कांक्रीट से भरा गया है उसके बाद आगे उसे ईंटों से कोट कर दिया गया है. अगर आप खुद इस काम की समीक्षा करने जाएं तो देख सकते हैं कि किस तरह रेत बचाने के लिए इस्तेमाल की जा रही घेसु में नाममात्र सीमेंट मिलाकर पैसेज और पिलर भरे जा रहे हैं. बाहरी प्लास्टर की गुणवत्ता कुछ ठीक ठाक है. NRHM की ओर से किए जा रहे इस निर्माण को लेकर NIT ने खबरों के माध्यम से प्रशासन और विकासक की भ्रष्ट गठजोड़ की पोलखोल करने की कोशिश की जिसके परिणामस्वरूप मजबूती के लिए इमारत पर पानी छिड़कने की कवायद तेज की गई लेकिन रेत गिट्टी घेसु सीमेंट स्टील इट इन चीजों के अनुपात को बेमेल करना जारी रखा गया है. आने वाले कुछ महीनों में इन इमारतों का काम पूरा कर इन्हें रंगरोगन कर चमकाया जाएगा फिर चुनावी महूरत निकालकर नेताजी के करकमलों से लोकार्पण का भव्य आयोजन कर ये बताने की कोशिश होगी कि क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास में पहली बार किसी नेता ने इतना अभूतपूर्व काम किया है. अतीत में ठेकेदारों द्वारा विज्ञापन के शक़्ल में मिले चंदे के बदले मीडिया के बड़े तबके ने सैकड़ों करोड़ रुपयों के बोगस निर्माण कार्यों और भ्रष्टाचार की वास्तविकता से किनारा कर लिया है इससे नागरिक अनुमान लगा सकते हैं कि इस चेन में कौन कौन से तत्व शामिल हैं.
प्रशासन की चुप्पी – घटिया निर्माण के इस मामले पर जिलाधिकारी और जिला शल्य चिकित्सक के दफ्तर की ओर से कोई ऐक्शन नहीं ली गई है. जनता की ओर से कंस्ट्रक्शन ऑडिट की आवश्यकता की मांग को लेकर अधिकारियों के कान पर जू तज नहीं रेंगी है. लोगों ने मांग की है कि मामले में स्वास्थ सचिव की ओर से उच्चस्तरीय जांच बिठाई जाए साथ ही ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर अगले पेमेंट्स को रिलीज करने पर रोक लगाने की मांग में भी तेज हो रही है.
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