रहीम शेरानी हिदुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
मुंबई कर्नाटक की जेएसडब्ल्यू कंपनी के द्वारा अधिकृत कटारिया ट्रांसपोर्ट इंदौर द्वारा मेघनगर के प्लेटफार्म से हैवी लोहे की क्वाॉयल वजन प्रति नग लगभग 25 टन से भी अधीक की मेघनगर रेक पॉइंट पर रेलवे रेक से नियम कायदे कानुन को ताख मे रख कर उठाई जा रही है।
नियमानुसार जो लोहे की क्वॉयल मेघनगर के रेलवे रेक पाइंट पर खाली होती है उसके लीये मेन लाइन से अलग साइडिंग होती है इस तरह की क्वॉयल की अनलोडिंग की अनुमति रेलवे द्वारा कतई नहीं दी जाना चाहिये।
क्योंकि जिस रेक पाइंट पर यह लोहे की क्वॉयल ठेकेदार द्वारा खाली की जा रही है उसे वह सीधे वैगन पर क्रेन लगाकर वेगन पर ही पलटा रहा है, और क्वॉयल उठाने के दौरान अगर क्रैन का वायर या कोई पार्ट्स टूटा तो यह लोहे की क्वॉयल पास गुजर रही रेल के सामने गिर सकती है
इस कारण गंभीर जान माल का नुकसान होना लाजमी है।
जबकि यह रेलवे से कॉइल अनलोडिंग का कार्य यहां पर 24 घंटे किया जाता है ऐसे में क्रेन के ऑपरेटर या ठेकेदार की लापरवाही के कारण वैगन के समीप दिल्ली -मुंबई मेन लाइन मात्र 5 फ़ीट होने पर यहां से एक्सप्रेस रेल गाडिय़ा स्पीड से गुजरती है।
ऐसी स्थिति में क्रेन द्वारा कॉइल मात्र 8 घण्टे में 2500 टन अनलोडिंग करते समय वैगन से लोहे की 25 टन की क्वॉयल पुरानी क्रेन उठाती है अगर यह क्रेन पास की पटरियों या रेलवे की हाई वॉल्टेज विद्युत लाइन पर गिर जाए तो भीषण जान-माल का नुकसान हो सकता है।
इस तरह का कार्य नियम विरुद्ध नहीं किया जा सकता है, वर्तमान में अनलोडिंग का कार्य क्रेन की बजाय रीच स्टेकर (कन्टेनर उठाने की मशीन) से किया जा रहा है जबकि इतनी वजन दार क्वॉयल को उठाने के लीये 100 टन से ज्यादा कैपिसिटी की क्रेन की आवश्यकता होती है।
इस प्रक्रिया को रेलवे प्रशासन ने जल्द ही नहीं रुकवाई तो हादसे के लिए वह जिम्मेदार होगा। इस प्रक्रिया के चलने से नागरिको में रोष व्याप्त है।
संसाधन हो चुके पुराने
जनचर्चा का विषय बना हुआ है कि ठेकेदार द्वारा जिस क्रेन से क्वॉयल उठाई जा रही है वह काफी पुरानी होकर ज्यादा भार उठाने में समक्ष नहीं है।
जबकि प्रति क्वॉयल का वजन लगभग 25-30 टन रहता है एवं उठाने वाली क्रेन की वजन क्षमता 15 से 20 टन ही है।
ऐसी स्थिति में 15 से 20 टन वाली क्रेन कब तक वजन उठाएगी यह आसानी से समझा जा सकता है।
ठेकेदार की हठधर्मिता के चलते जिस पुरानी क्रेन से क्वॉयल उठाने का कार्य किया जा रहा है, वह अन्य प्रदेश में रजिस्टर्ड है जिसका मध्यप्रदेश परिवहन का न तो टैक्स भरा हुआ है और ना ही उनके आरटीओ रजिस्टे्रशन में क्वॉयल उठाने का स्पष्टीकरण है। मध्यप्रदेश शासन को भी टैक्स का चूना लगाया गया है।
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