गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT:
अंबेडकर नगर जिले का थाना बसखारी पूरी तरह दलालों के चंगुल में जकड़ चुका है। काम चाहे जैसा भी हो पैसा फेंको तमाशा देखो। जब थाने पर बैठे थानेदारों को पीड़ित की चीख नहीं सुनाई देती तब सत्ता के कुछ नेता मरहम लगाने के लिए वहां पहुंचते हैं फिर उन्हें भी खरी-खोटी सुननी पड़ जाती है और पुलिस की बेइज्जती का शिकार होना पड़ता है।
इस हालत में पीड़ित अपने क्षेत्र के नेताओं से मदद मांगने के लिए जाता है। थाने में इन दिनों दलालों की चांदी है और फरियादी बेहाल हैं। फरियादियों को अपनी बात कहने के लिए दलालों के पास से होकर गुजरना पड़ता है।जिसमें कुछ तथाकथित पत्रकार का चोला पहनकर भी शामिल हैं। ऐसे लोगों को पत्रकारिता से कोई भी सरोकार नहीं है, ये 500 रूपये के लिए थानेदारों के आगे पीछे दुम हिलाते रहते हैं और पत्रकारिता की छवि धूमिल करते चले आ रहे हैं।
दूसरी तरफ जिस खाकी के ऊपर कानून का जिम्मा सौंपा गया है अगर वही लोगों की रक्षा करने के बजाये भक्षक बन जा रहे हैं। शासन के फरमान के बाद भी पुलिस और फरियादियों के बीच का रिश्ता नहीं सुधर रहा है। इसके कारण फरियादी पुलिस के पास जाने से कतराते हैं और इसका बेजा फायदा थाने में सक्रिय दलाल उठाते हैं। यह फरियादियों का काम कराने के एवज में मोटी रकम वसूलते हैं और उसमें साहब भी खुश और दलाल भी मालामाल हो रहे हैं।
थाने में कुछ दलाल अपनी गहरी पैठ बना बैठे हैं। थानाध्यक्ष कोई भी रहे, उनके संबंध हमेशा से ही मधुर रहते हैं क्योंकि दलाल साहब को एक मोटी रकम दिलाते हैं, जिसका प्रतिफल उन्हें भी मिल ही जाता है।
बसखारी थाने में अगर कोई फरियादी थाने के अंदर गया तो दलाल उसे गिद्ध की निगाहों से घूरते हैं और मामला पूछने चले जाते हैं और सेटिंग कराने की पूरी बात भी कह देते हैं। सभी मामलों से तंग आकर क्षेत्रीय विधायक टांडा संजू देवी ने थाने पहुंचकर बसखारी थाना अध्यक्ष को निलंबित करने की मांग की। इस संबंध में सीओ सिटी धर्मेंद्र सचान ने मामले की जांच करवा कर उचित कार्रवाई करने की बात कही। इस दौरान थाने में भाजपा नेता श्याम बाबू, दिनेश पांडेय, भरत गुप्ता, आनंद जयसवाल, विकास जयसवाल, मोनू अग्रहरी, अभिषेक अग्रहरी, अच्छेलाल गुप्ता, थाने पहुंचकर बसखारी थाना अध्यक्ष का जमकर विरोध किया।
श्याम बाबू ने बताया कि परेशान करने के पीछे पुलिस की भूमिका संदिग्ध रहती है। पुलिस वाले इसके एवज में मोटी रकम वसूल करते हैं। यही कारण है कि पुलिस और पब्लिक का रिश्ता हमेशा से ही भय वाला बना रहता है।
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