इम्तियाज़ चिश्ती, ब्यूरो चीफ, दमोह (मप्र), NIT:
आज देशभर में जहाँ कोरोना वायरस को लेकर आपातकाल जैसे हालात बने हैं, सभी प्राइवेट और सरकारी डॉ की ड्यूटी लगा दी गई हो ऐसे में भी कुछ प्राइवेट डॉक्टर्स कोरोना के डर से अपने अस्पताल बन्द किये हुए हैं जिससे मरीज भटकने को मजबूर हैं। मामला मध्यप्रदेश के दमोह जिले का है जबकि दमोह कलेक्टर तरुण राठी के सख़्त आदेश है कि कोरोना वायरस के चलते सभी प्राइवेट डॉक्टर भी अपनी किलिनिक खोलें। हद तो तब हो गई जब एक मासूम के गले में सिक्का फस जाता है और जब गले नाक के स्पेशलिस्ट डॉक्टर विनोद कुमार कुकरेजा जो पूजा किलिनिक के संचालक हैं से बच्चे के परिजनों ने संपर्क किया तो उनका कहना था अभी गला नहीं देखेंगे कोरोना वायरस के चलते।
हमारे संवाददाता इम्तियाज़ चिश्ती ने भी डॉक्टर से फोन पर बात की तो डॉ विनोद कुकरेजा ने साफ कहा कि फोन पर इलाजे बता देता हूँ लेकिन कोरोना के चलते हम 14 अप्रैल तक अस्पताल नहीं खोल रहे। वहीं इससे पहले जब मासूम बच्चा कल्पेश को दिखाने गये तब भी डॉक्टर का यही जबाब था।
दमोह की पूजा किलीनिक के संचालक डॉ विनोद कुमार कुकरेजा जो नाक कान गले के स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं लेकिन कोरोना के डर से डॉक्टर साहब सिर्फ कान का ही इलाज़ करेगें आखिरकार बच्चे को दूसरी किलिनीक ले गए तब कहीं जाकर बच्चे के गले में फंसा सिक्का दूसरे डॉ ने निकाल। बच्चा खुद हाथों में अपने गले में फंसे सिक्के का एक्सरे लिए अपनी तोतली आवाज़ में अपनी आप बीती बयाँ कर रहा था कि डॉक्टर अंकल ने गले का इलाज करने से मना कर दिया। वहीं बच्चे के पिता राजेश जैन कहते हैं कि डॉ विनोद कुकरेजा से सम्पर्क किया गया तो पहले तो ये बताया गया कि डॉ साहब 14 अप्रैल तक नहीं मिलेंगे जबकि दमोह कलेक्टर के आदेश थे कि सभी प्राइवेट किलीनिक खोली जाएँ। जब हमारी मीडिया टीम ने अस्पताल का मुआयना दोपहर 1 बजे किया तो दमोह कलेक्टर के आदेश की खुली धज्जियाँ उड़ती हुई दिखाई दी क्योंकि किलिनिक पर ताला जड़ा हुआ मिला। दरवाजे पर बैठा एक शख़्स साफ कहता है कि कोरोना वायरस जब तक चल रहा है डॉक्टर साहब नहीं मिलेंगे।
इस संबंध में जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी तुलसा ठाकुर ने साफ कहा कि कलेक्टर साहब के साफ निर्देश सभी प्राईवेट डॉक्टरों को थे कि भले ही आप दो घण्टे को अपना अस्पताल खोलें लेकिन खोलिए ताकि जिला अस्पताल पर सारा भार ना पड़े लेकिन इसके बावजूद भी अगर डॉक्टर अपनी किलिनिक बन्द रखते हैं तो ये गलत है और ऐसे डॉक्टरों पर कठोर कार्यवाही भी हो सकती है।
अब सवाल उठता है जब देश भर में कोरोना का खौफ़ जारी है ऐसे में वो डॉक्टर जो गरीबों से मोटी मोती रकम वसूलते है ऐसे में उन डॉक्टरों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए समाज हित में अपना योगदान भी देना चाहिए लेकिन दमोह जिले के डॉक्टर जब देश और समाज पर संकट आया तो ये डॉक्टर अपना फर्ज भी भूल गये।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.