नक्सली विचारों को बंदूक से नहीं बल्कि उन्हें सकारात्मक विचारों से ही मार सकते हैं: गुप्तेश्वर पांडे, पुलिस महानिदेशक, बिहार | New India Times

अतीश दीपंकर, ब्यूरो चीफ, बिहार (पटना), NIT:

नक्सली विचारों को बंदूक से नहीं बल्कि उन्हें सकारात्मक विचारों से ही मार सकते हैं: गुप्तेश्वर पांडे, पुलिस महानिदेशक, बिहार | New India Times

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा गृह मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में आज पटना स्थित कर्पूरी ठाकुर सदन में आरओबी के लोक एवं पारंपरिक कलाकारों के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्याशाला का आयोजन किया गया।
 
लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो (आरओबी), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, पटना तथा गृह मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में आज पटना स्थित केंद्रीय कार्यालय परिसर कर्पूरी ठाकुर सदन में आरओबी के लोक एवं पारंपरिक कलाकारों के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्याशाला का आयोजन किया गया है।

कार्याशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे ने विधिवत रूप से किया।उद्घाटन सत्र की शुरूआत पद्मश्री सम्मानित डॉ. शान्ति जैन की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पर रचित गीत, जिसे आरओबी के कलाकारों ने प्रस्तुति की गई। मौके पर एस एस बी, पटना के आईजी संजय कुमार, बिहार के डीआईजी (एसटीएफ) विनय कुमार, सीआरपीएफ, पटना के कमांडेन्ट मुन्ना कुमार सिंह, पद्मश्री सम्मानित डॉ. शान्ति जैन सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

नक्सली विचारों को बंदूक से नहीं बल्कि उन्हें सकारात्मक विचारों से ही मार सकते हैं: गुप्तेश्वर पांडे, पुलिस महानिदेशक, बिहार | New India Times

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि हमें नक्सली इलाकों में लोगों के विचारों से लड़ना है। डी जे पी पांडे ने कहा कि हम विचारों को बंदूक से नहीं मार सकते, बल्कि हम उनके विचारों को अपने सकारात्मक विचारों से ही मार सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें नक्सलवाद के समर्थकों के belief को बदलना है। आरओबी द्वारा इन नक्सली इलाकों में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों, जिनके माध्यम से सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचानी है, वह सशक्त व कारगर माध्यम है जो नक्सलवाद के समर्थकों के विचार को बदलने का काम करेगा।
 
उन्होनें आगे कहा कि नक्सलवाद पूरे भारत के लिए एक लंबे समय से समस्या रही है। लेकिन अगर हम आज के दौर में देखें तो बिहार में अब नक्सल बहुत बड़ी समस्या नहीं रह गई है। जहां बिहार में पहले माले, पार्टी युनिटी और एमसीसी जैसे संगठन नक्सली वारदातों को अंजाम देते थें।नक्सली आतंको को बिहार ने लंबे समय तक झेला है, वहीं आज केवल सीपीआई (माओवादी) ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो नक्सली कार्यों में संलिप्त है।
     
श्री पांडे ने आरओबी के अपर महानिदेशक को आग्रह करते हुए कहा कि बिहार के वे चार अति नक्सल प्रभावित जिले जहां पर अभी की योजना गीत एवं नाटक के माध्यम से छोटे-छोटे ब्लॉकों में कार्यक्रम करने की है, उन जिला मुख्यालयों में आने वाले समय में चार बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के बड़े कार्यक्रमों के माध्यम से बदलाव का एक बड़ा संदेश जाएगा। यह पहल निश्चित ही दूर्गामी साबित होगी। नक्सलवाद की समस्या से हम संयुक्त प्रयास से इसपर काबू पा सकते हैं।
     
आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आरओबी के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि बिहार के चार जिलों—गया, जमुई, लखिसराय और औरंगाबाद- के 28 जगहों पर विभाग के 250 से अधिक कलाकार भारत सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। गीत एवं नाटक शुरूआत से ही जनसंपर्क का एक सशक्त माध्यम रहा है। हम इन माध्यमों से इन क्षेत्रों से रह रहे खासकर युवाओं को सही दिशा में लाने का प्रयास करेंगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से हमारा मुख्य उद्देश्य सरकार की योजनाओं की जानकारी को उन सूदूर क्षेत्रों तक पहुंचाना है, जहां संचार का कोई और माध्यम आसानी से नहीं पहुंच पाता। विभाग के कलाकार गीत-संगीत एवं नाटक के माध्यम से केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना, किसानों की आय दुगनी करने से संबंधित योजनाएं, सुकन्या समृद्धी योजना, स्वच्छ भारत अभियान जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के बारे में जन-जन को जागरूक करने का काम करेंगें।
 
एसएसबी के आईजी संजय कुमार ने कहा कि सरकार की योजनाओं को पहुंचाने का आरओबी का यह प्रयास एक noble cause के लिए है, जिसकी मैं तहे दिल से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। केंद्र सरकार की ऐसी कई योजनाएं हैं जो किसानों, गरीबों के उत्थान के लिए हैं लेकिन उनके लिए बनायी गई योजनाओं की जानकारी स्वयं उन्हें ठीक ढंग से नहीं है। ऐसे में आरओबी का कार्य बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है, जिसमें उन्हें योजनाओं की जानकारी सही माध्यमों से जन-जन तक पहुंचानी है। हम इस तरह के कार्यक्रम में सहयोग करने के लिए तैयार और खड़े हैं।
 
बिहार के डीआईजी (एसटीएफ) विनय कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि विकास का नहीं होना और समाजिक कुरितियां ही नक्सल की बड़ी वजह है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का implementation gap भी नक्सलवाद की एक वजह है। हालांकि आज बिहार के अति नक्सल क्षेत्र 06 से घटकर मात्र 04 रह गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि नक्सली इलाकों में लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी नहीं होती है। इन इलाकों में गीत एवं नाटक के माध्यम से कार्यक्रमों को पहुंचाया जाना मेरी नजर में soft strategy तो है ही लेकिन मैं इसे  effective strategy भी मानता हूं। जो सबसे कमजोर है, हासिए पर है उन तक योजनाओं को पहुंचाने का यह कार्यक्रम एक सशक्त माध्यम है।
     
तकनीकी सत्र में कलाकारों को संबोधित करते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, बिहार सरकार के संयुक्त सचिव दयानंद मिश्रा ने जन वितरण प्रणाली पर अपने विचार रखें। उन्होनें नवादा के कौआकोल और लखीसराय के श्रृंगीऋषी का उदाहरण देते हुए कहा कि नक्सली इलाकों में सरकार की योजनाओं को ले जाने की परिस्थितियों में आज और कल में बहुत बदलाव आ चुका है। तकनीकी क्रांति ने भ्रष्टाचार पर नकेल कसा है और पारदर्शिता को बढ़ाया है। सरकारी योजनाएं जैसे-जैसे धरातल पर आएंगी वैसे-वैसे नक्सल प्रभाव कम होता जाएगा।
 
सीआऱपीएफ के कमांडेंट मुन्ना कुमार सिंह ने कार्यशाला के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि विध्वंसक तत्वों के पास केवल एक ही काम है – तोड़ना। आप जोड़ने का काम करने जा रहे हैं। आपकी “ध्वनि” ऐसी होनी चाहिए जो आप लेकर जाएं उन तक पहुंचे। हमारा और आपका काम नक्सलवाद के विचारधारा को बदलने का होना चाहिए।
 
तकनीकी सत्र के दौरान डॉ सुरेंद्र कुमार ने आयुष्मान भारत योजना एवं  UNICEF के अनूप कुमार झा ने पोषण विषय पर प्रतिभागियों को विस्तार से बताया।
 
कार्यशाला में दूरदर्शन न्यूज,पटना की उप निदेशक श्वेता सिंह, सहायक निदेशक सलमान हैदर एवं छपरा, दरभंगा, सीतामढ़ी एवं भागलपूर के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी, 25 troop leaders सहित स्थानीय पत्रकार मौजूद थे।
 
 
 


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