नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
चिलचिलाती धुप और भीषण गर्मी से जहां पुरा देश परेशान है वहीं इस बढ़ते तापमान में बिजली के अतिरीक्त बिलों ने उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका लगा दिया है जिससे ग्राहक त्रस्त नजर आ रहे हैं।
बिजली का अधिभार तथा उपयोग नांपने के लिए लगाए गए गए डीजिटल मीटर्स की सटीक कार्यक्षमता पर कल तक आंख मुंदकर विश्वास करने वाले आम ग्राहक आज इन्हीं मीटर्स द्वारा आंके गए अधिकतम बिलों से उन्हें संदेह की नजर से देखने लगे हैं। ग्राहकों के मुताबिक अप्रैल महिने में आंके गए लगभग सभी भुगतान बिलों में अचानक 700 से 1000 रुपयो तक की बढ़ोतरी हो गयी है। कई उपभोक्ताओ ने बताया कि बिजली कपात अब नहीं हो रही है पर गर्मी के कारण जहां घरेलू कूलर वगैरह जैसे चीजों का इस्तेमाल स्वाभावीक रुप से बढा है तो उसके अनुपात में भुगतान बिलों में इस तरह कि विपरीत तथा गैर वाजीब बढ़ोतरी हमारे समझ में नहीं आ रही है। आए दिन इन अतिरीक्त बिलों की शिकायत लेकर शहर बिजली बोर्ड के कार्यालय पहुंच रहे नागरिकों को उनके सवालों के जवाब में यही बताया जा रहा है कि रीडिंग तो सही है, फीर भी संदेह सत्यापन के लिए आप मीटर जांच की अर्जी लगा सकते हैं जिसके लिए आपको कुछ 230 रुपया सेवा चार्ज देना होगा। तेज धुप में आम लोग भुगतान बिलों की रसिदे लेकर अर्बन आफिस से सब स्टेशन तक डेढ किलोमीटर का चक्कर कांट रहे हैं। बिजली बोर्ड के कामकाज को देखा जाए तो घरेलु उपभोक्ताओ को 100 यूनीटस तक के बाद बिजली इस्तेमाल पर लागू संशोधित दरों के साथ कई प्रकार के अधिभार लादकर भुगतान बिल थमाए जाते हैं। उपयोग के अनूसार बिल आंकलन योग्य रहा तो ग्राहक शिकायतों के झंझट में नहीं पडते लेकिन आर्थिक साल मार्च के बाद ही अचानक से बढने वाले इन बिजली भुगतान बिलों की सच्चाई कहीं सरकार की तिजोरी से या फिर बोर्ड की आंतरिक आडिट प्रबंधन से तो नहीं जुडी है? ऐसे कयी सवाल जनता में उठाए जाने लगे हैं! बिजली विभाग के मामले में सडको पर उतरकर हंगामा मचाने वाला भी अब कोई बचा नहीं है। भले ही अगर इच्छा शक्ती हो तो विपक्ष इसे जनहित में मुद्दा बना सकता है। फिलहाल आम लोगों को उक्त समस्या का निवारण अपने बूते करना होगा। वहीं बिजली के इस झटके के बाद से सोशल मीडिया पर इन दिनों अधिभार लदे बिजली के सरकारी दरों को लेकर एक जनप्रबोधन वाला मैसेज काफी प्रसारित हो रहा है जिसमे बिल भुगतान को लेकर बहिष्कार की अपील जैसी भाषा का भी प्रयोग किया गया है। इस मैसेज की सत्यता को केवल वाट्सऐप पर पढने तक ही जांचा गया है। बहरहाल इस मामले में बोर्ड द्वारा अतिरीक्त बिलों में सुधार के साथ जन शिकायतों के निपटारे कीमांग ग्राहकों से उठने लगी हैं। मामले को लेकर संपर्क बनाने कि तमाम कोशिशों के बावजुद बोर्ड के किसी भी अधिकारी का पक्ष उपलब्ध नहीं हो सका है।
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