रहीम शेरानी हिंदुस्तानी, ब्यूरो चीफ झाबुआ (मप्र), NIT:
झाबुआ जिले के मेघनगर में छात्र काफी परेशान हैं उनकी परेशानी का मुख्य कारण अपने पालक का गरीब होना है। गरीबी का अभिशाप आज उनकी पढ़ाई के आड़े आ रही है। शिक्षक कक्षा में ठीक से पढ़ाते नहीं हैं और कुछ पूछने पर कहते हैं कि ट्यूशन लगवा लो, अब उनके भविष्य के सामने एक प्रश्न खड़ा है कि वह करें तो क्या करें। ट्यूशन लगवाएं या घर वालों के पेट की चिंता करें। आज यह हर गरीब परिवार की चिंता का विषय है कि वह अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च दें या अपना पेट भरे, पढ़ाई का विकल्प है परंतु टूयुशन उसका क्या है कलयुगी गुरुओं ने शिक्षा का ऐसा भयानक व्यवसायीकरण किया है कि गरीब छात्रों का पढ़ना दुश्वार हो गया है। जगह-जगह शिक्षा की एसी दुकानें खुल गई हैं जहां शिक्षा ऊंचे भावों में बेची जाती है। शिक्षा के ठेकेदार विद्यार्थी को शिक्षा खरीदने पर मजबूर कर रहे हैं। धनाध्य वर्ग जहां उसका समर्थन करता है वहीं गरीब उसका विरोध तक करने में असमर्थ है। यह डर एक दैत्य की भांति माता पिता के मन में लगा रहता है कि कहीं उनके विरोध करने से उनके होनहार बेटे बेटियों का भविष्य ना बिगड़ जाए। इस विषय में छात्र-छात्राएं भी बताने से डरते हैं। आज सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा स्तर हीन हो गई है। पहले जहां छात्र को ट्यूशन की जरूरत तक नहीं थी आज यह हालत है कि ट्यूशन विद्यार्थी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है।
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