योगी राज में ग्रामीण हुए पुलिसिया कहर का शिकार, थानाध्यक्ष पर नशे की हालत में अपनी टीम के साथ ग्रामीणों को पीटने का आरोप | New India Times

फराज अंसारी, बहराइच (यूपी), NIT; 

योगी राज में ग्रामीण हुए पुलिसिया कहर का शिकार, थानाध्यक्ष पर नशे की हालत में अपनी टीम के साथ ग्रामीणों को पीटने का आरोप | New India Times​”दिल में है जो दर्द वो दर्द किसे बताएं! हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ! कहती है ये दुनिया हमे खुश नसीब! मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं!” जी हां ये पंक्तियां इन दिनों उत्तर प्रदेश की पुलिस पर एकदम सटीक बैठ रही है। जिस उत्तर प्रदेश पुलिस के सहारे योगी सरकार प्रदेश की जनता को अपराधमुक्त और भयमुक्त समाज देने और अपराधियों पर नकैल कसने की दुहाई देतेे हुए जिस पुलिस पर जनता के हर सुख दुख और पीड़ा को सुनने व बेहतर सुरक्षा उपलब्ध कराने के दावे कर रही है उसी यूपी पुलिस के थानाध्यक्ष पर शराब के नशे में धुत होकर ग्रमीणों के साथ बर्बरतापूर्ण तरीके से ग्रामीणों पर तांडव का गम्भीर आरोप लगा है। रातभर पुलिसिया कहर झेलने वाले ग्रामीण अपनी व्यथा सुनाने जब जिला प्रशासन से मिल कर अपनी आपबीती सुनाने और आरोपी थानाध्यक्ष के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की मांग करने पहुंचे तो बस उन्हें जांच के आश्वासन की चाशनी चटा कर वापस कर दिया गया, वहीं जब मीडिया ने पुलिस कप्तान का पक्ष जानना चाहा तो कप्तान ने साहब अपने बेलगाम से हो चुके दरोगा जी को बचाने का हर सम्भव प्रयास करते हुए मीडिया से बात करने से साफ मना कर दिया। जिले की सभाराज पुलिस अब गुंडई पर उतर आयी है। बीती रात एक गांव में पुलिस ने जमकर तांडव मचाया, जिसमें महिलाओं, बूढ़ों किसी को भी नहीं बख्शा गया। अमानवीयता की सारी हदें पार करते हुए ग्रामीणों को बर्बरता की हदें पार करते हुए जमकर पीटा गया। मामला थाना रामगाव इलाके के मुर्गीहा मोहम्मदपुर गांव का है जहाँ शराब के नशे में थानाध्यक्ष ने अपनी टीम के साथ जमकर उत्पात मचाया है जिसके विरोध में आज भारी तादाद में ग्रामीण जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे। अपनी पीड़ा लेकर पहुंचे ग्रामीणों में कोई लंगड़ा रहे थे तो किसी के हाथ टूटे हुए थे। बुज़ुर्गों महिलाओं सबको बुरी तरह से पीटा गया था। अपनी शिकायत लेकर पहुंचे ग्रामीणों की मुलाक़ात जब जिलाधिकारी से नहीं हुई तो सभी ने पुलिस कप्तान कार्यालय का रुख किया लेकिन वहां भी इनको न्याय के बजाय सिर्फ आश्वासन ही मिला सभी ग्रामीण थाना रामगांव एसओ पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। वहीं जब पुलिस कप्तान से मिलने गये ग्रामीणों के सम्बंध में मीडिया ने पुलिस अधीक्षक से उनका पक्ष जानना चाहा तो कप्तान साहब ने मीडिया से बात करने से साफ इंकार कर दिया। वहीं मीडिया में चर्चा में आने के चंद घण्टों में पुलिस ने प्रेस रिलीज जारी कर घटना को निराधार बताते हुए थानाध्यक्ष को क्लीन चिट दे दी। ​योगी राज में ग्रामीण हुए पुलिसिया कहर का शिकार, थानाध्यक्ष पर नशे की हालत में अपनी टीम के साथ ग्रामीणों को पीटने का आरोप | New India Timesज्ञात हो कि अपनी फरियाद लेकर जिला प्रशासन के पास गयी इस भीड़ में कोई लंगड़ा के चलता दिखा तो किसी के हाथों में पट्टी बंधी दिखी और किसी का सूज हुआ हाथ दिखा। इनके ज़ख्म थाना रामगाव पुलिस की खुली गुंडई का जीता जागता सबूत है। आरोप है कि बीती रात लगभग साढ़े 11 बजे थाना रामगाव एसओ ब्रह्मानन्द सिंह मुर्गीहा गाँव अपनी टीम के साथ पंहुचे एसओ सहित सभी पुलिसकर्मी शराब के नशे में धुत्त थे। एसओ ने गाँव पहुचते ही बिना सवाल जवाब किये सभी को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। पुलिस का तांडव शुरू हुआ तो चीख पुकार मच गयी। महिलाओं भी किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाने की कोशिश की तो उनको घसीट के लाया गया और उन्हें भी लाठियों से पीटने का गम्भीर आरोप पुलिस पर लगा। ग्रामीणों ने बताया कि बीच बचाव में आगे आये गाँव के बुज़ुर्गों को भी बेरहम पुलिस वालों ने नहीं बक्शा और बर्बरता की हदें पार कर दी। आरोप है की थानाध्यक्ष की अध्यक्षता में पुलिस ने पूरे गाँव में उत्पात मचाया और धमकाते हुए वापस चले गये। पुलिसिया उत्पीड़न का शिकार हुए ग्रामीण जब सुबह जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाने पहुचे मामला मामला मीडिया के सामने आया ग्रामीणों ने रोते बिलखते अपनी आपबीती बतायी। जिलाधिकारी से मुलाक़ात न होने पर ग्रामीणों ने एसपी कार्यालय का रुख किया और वहां जाकर जब एसपी साहब से मिलने की कोशिश की। आरोप यह भी है कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मौजूद पुलिसकर्मी पहले तो उन्हें भगा कर मामले को टालने के प्रयास किया इस दौरान ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों के पैरों में गिर गये। कोई हाथ जोड़ने लगा तो कोई कदमों में गिर गया काफी जद-दो-जहद के बाद एसपी से मिलने की ज़िद करने पर किसी तरह ग्रमीणों को मिलाया तो गया लेकिन वहां भी कोई ठोस राहत नहीं मिली। एसपी सभाराज ने मामले को हल्के में लेते हुए जांच करने की बात कह सभी को वापस भेज दिया। यही नहीं मीडिया ने जब एसपी साहब से सवाल किया तो उनहोंने ये कहते बाइट देने से मना कर दिया की मैं बाध्य नहीं हूँ किसी को बाइट देने के लिए और साथ ही मीडिया को ख़बरों पर ख़बरों का धंधा करने का आरोप जड़ दिया। कप्तान साहब मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है जिसने लोकतंत्र को बचा कर रखा है और समय समय पर लोकसेवकों द्वारा राजशाही चलाने को उजागर करके आमजन को समस्याओं से निजाद दिलाने के लिये खबरें प्रकाशित करती है। वैसे सवाल यह उठता है कि जब पुलिस कप्तान साहब खुद मामले को हल्के में लेके मीडिया के लिए अपशब्द का प्रयोग करेंगे तो आखिर क्यों न उनके सिपाहसालार अपनी वर्दी का रौब ग़ालिब कर दमनकारी नीति अपनाएंगे? इस पूरे मामले में एसपी साहब आरोपी थानाध्यक्ष को ही बचाते नज़र आये जिससे एक बार फिर योगी सरकार की त्वरित न्याय देने की मंशा को पलीता लगता दिख रहा है।​

रामगांव पुलिस की कार्यप्रणाली का विवादों से रहा है पुराना नाता

बताते चलें कि जनपद के थाना रामगांव पुलिस की कार्यप्रणाली पर पहली बार कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगा है बल्कि इसके पहले भी थाना रामगांव सुर्खियां बंटोर चुकी है। बताते चलें कि अभी चंद महीने पहले ही एक पुलिसिया मुठभेड़ का खुलासा रामगांव पुलिस ने कर कुछ शातिर अपराधियों को पकड़ने का दावा करते हुए उसे सराहनीय कार्य बताया था। पुलिसिया मुठभेड़ पर उस समय तब प्रश्नचिन्ह लगा था जब स्थानीय लोगों ने बताया था कि पुलिस ने जिन्हें रात में मुठभेड़ में पकड़ने का दावा किया है वह सरासर झूठा है। इन सभी को मुठभेड़ की रात की घटना से पहले दिन में ही गांव से पुलिस जबरजस्ती पकड़ कर ले गयी थी बिना कोई कारण बताये और दूसरे दिन हम लोगों को पता चला कि पुलिस ने उन सभी को मुठभेड़ का आरोपी बनाया है। इस खबर को जब मीडिया ने उजागर किया था तब भी मामले की जांच उस समय के तत्कालीन पुलिस कप्तान ने भी इसी तरह कराकर अपनी पुलिस को क्लीनचिट दे दिया था। वैसे आम नागरिकों के ओरजर्न की जांच करने में पुलिस को हफ्तों और महीनों लग जाते हैं लेकिन पुलिस के खिलाफ कोई भी प्रकरण हो उसकी जांच चंद घण्टों में ही पूरी भी हो जाती है और पुलिस को क्लीन चिट भी मिल जाती है। क्योंकि अपनी ही पुलिस के खिलाफ जांच बड़ी ही लगन, दृढ़ता और निष्पक्षता से की जाती है।

थानाध्यक्ष पर लगे ग्रामीणों को पीटने के आरोपों में चंद घण्टों ने ही एसओ को क्लीनचिट, पुलिस ने आरोपों को बताया निराधार

कई न्यूज़ चैनलों व पोर्टलों पर जनपद बहराइच से संबंधित वायरल खबर शीर्षक “थाना रामगांव पुलिस ने मचाया उत्पात, दबिश के नाम पर महिलाओं व बच्चों को पीटा” वायरल खबर की जांच में पता चला है कि थाना रामगांव के ग्राम मुर्गिहा में सडक के किनारे घर वाले अपनी गाय बैल बछडा रोड पर ही बांधते है। रात्रि में सडक के किनारे मकान वालो की गाय बैल रोड के किनारे सडक पर बाधे हुये थे तथा कुछ जानवर रोड पर बैठे थे तभी अचानक ट्रक ड्राइवर द्वारा ब्रेक मार कर अपने ट्रक को किसी तरह रोका नही तो कई गाय व बछडे रोड पर ही घायल हो जाते। इसी दौरान गश्त पर थानाध्यक्ष रामगांव बहराइच की तरफ से आ गये जिनके द्वारा सभी जानवर (गाय बैल बछडा) के स्वामी को रात्रि में घर से जगाकर रोड से किनारे करवाया गया तथा बताया गया कि आज से सभी लोग अपने जानवर को पगहा में बांध कर रोड से दूर बाधेंगे नहीं तो सब को 290 में चलान किया जायेगा। इस बात से नाराज हो कर मुर्गिहा के लोगों द्वारा झुठा आरोप लगा कर प्रार्थना पत्र दिया जा रहा है जो पुर्ण रुप से असत्य व निराधार है। ​योगी राज में ग्रामीण हुए पुलिसिया कहर का शिकार, थानाध्यक्ष पर नशे की हालत में अपनी टीम के साथ ग्रामीणों को पीटने का आरोप | New India Times

पुलिसिया सफाई में खामियां ही खामियां

अपने रामगांव थानाध्यक्ष का बचाव करते हुए पुलिस मीडिया सेल ने एक प्रेस नोट जारी कर यह तो बता दिया कि ग्रामीणों का आरोप फ़र्ज़ी है। पुलिस का कहना है कि रात्रि में सडक किनारे मकान वालो की गाय बैल रोड के किनारे सडक पर बाधे हुये थे तथा कुछ जानवर रोड पर बैठे थे तभी अचानक ट्रक ड्राइवर द्वारा ब्रेक मार कर अपने ट्रक को किसी तरह रोका नही तो कई गाय व बछडे रोड पर ही घायल हो जाते। जिस ट्रक की दुहाई देकर पुलिस कप्तान की जांच टीम थाना रामगांव पुलिस को क्लीनचिट दे रही है उसका पुलिस न न तो कोई नम्बर बताया है और न ही उसके चालक या क्लीनर का कोई नाम पता। पुलिस को किसी ने इसकी कोई लिखित शिकायती पत्र दिया गया हो इसका भी कोई उल्लेख नहीं है बस हवा हवाई किला बनाकर अपने को सही साबित करने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गयी है। अगर कुछ देर के लिये पुलिस की दलीलें मैन भी ली जाये तो सवाल यह उठता है कि अगर ग्रामीण अपने जानवर इसी तरह आदतन सड़क या सड़क के किनारे बांधते थे तो उन पर इसकेे पूर्व में ग्रामीणों पर 290 के तहत कार्यवाही क्यों नही की गई आखिर क्या वजह है कि ग्रामीणों की शिकायत के बाद पुलिस चालान करने की बात कह रही है। वहीं थानाध्यक्ष के खिलाफ जांच किसे सौंपी गयी थी और किसके द्वारा जांच पूरी की गयी पुलिस ने इसे भी राज़ ही रखा है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading