नरेंद्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र) NIT:
सूखे की स्थिति मानवीय और सजीव चेतनाओं के लिए हजारों संकट लेकर आती है। बफरजॉय चक्रवात तूफ़ान ने दक्षिण से उत्तर भारत तक बढ़ने वाले मॉनसून की गति को बुरी तरह से प्रभावित किया है। जून समाप्त होने को है मुंबई का कुछ हिस्सा छोड़ दें तो महाराष्ट्र के किसी भी प्राकृतिक विभाग में कहीं भी बारिश नहीं है। बारिश पर निर्भर ख़रीफ फसलों की बुआई प्रतीक्षारत है। यही स्थिती बनी रही तो पीने के पानी के लिए आम जनता को काफ़ी संघर्ष करना पड़ेगा। ग्राम विकास मंत्री गिरीश महाजन के जामनेर निर्वाचन क्षेत्र के कुल 154 में 75 गांव के लोगों पर पीने के पानी का संकट गहराता जा रहा है। इन गांवों के लिए दी गई भारत निर्माण, MGP की तमाम योजनाए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है।
स्थानीय प्रशासन की ओर से अकाल समीक्षा के नाम पर किसी भी बैठक का कोई आधिकारिक आयोजन नहीं हुआ है। मार्च 2023 में जामनेर के 113 गांवों के लिए आरंभ की गई जलजीवन योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जा रहा है जिसमें तथ्य है। NIT अपनी कई न्यूज रिपोर्ट में यह साफ कर चुका है कि 1995 से अब तक 30 सालों में जामनेर तहसील के सभी गांवों की पेयजल आपूर्ति योजनाओं पर सरकारी तिजोरी से एक हजार करोड़ रुपए से अधिक पैसा खर्च किया जा चुका है। अक़्सर राजनेता आपदा में अवसर खोज लेते हैं, 2005 के अकाल में गिरीश महाजन ने कृत्रिम तरीके से बारिश कराने के लिए गुजरात से किसी रमेश टीटोरिया को तलब किया जो बाद में बिल्कुल फेल साबित हुआ था। तब मराठी भाषा के तमाम अखबारों ने इस विषय को लेकर धुंवाधार स्टोरीज की जिसमें महाजन को हीरो और कांग्रेस सरकार को विलेन घोषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस प्रकार से किसी की लोकप्रयिता और किसी की आलोचना परोसने वाली खबरों की दुनिया नाटकीय प्रयोगों के अभाव से आज वंचित है। अजीज प्रेमजी विश्वविद्यालय बंगलुरू की ओर से मार्च 2023 में प्रकाशित की गई सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि सूबे में 73 फीसदी गांव बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। ज्ञात हो कि सर्वे रिपोर्ट का विषय महाराष्ट्र के गांव हैं जिनका समग्र विकास करवाना ग्रामविकास मंत्रालय की नैतिक जिम्मेदारी है।
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