नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
आजादी के अमृत काल के इस साल को यादगार बनाने के लिए मोदी सरकार द्वारा लॉन्च की गई सैकड़ों योजनाओं के प्रचार में हजारों करोड़ रुपए फूंके जा रहे हैं। इसमें से एक योजना है “अमृत सरोवर” इस योजना से देश के 750 जिलों के प्रत्येक तहसील में जिला परिषद द्वारा पांच तालाब बनाए जाने हैं। कुल 50 हजार तालाब बनेंगे उनमें पुराने तालाबों का कायाकल्प करने की कल्पना भी शामिल है।
NIT ने इस मामले में जानकारी ली जिसमें पता चला कि जलगांव जिले के 15 तहसीलों में 15 अगस्त 2023 तक 75 तालाब बनाए जाने हैं लेकिन आज तक एक भी तालाब नहीं बन पाया है। इस योजना के बारे जिला प्रशासन की ओर से किसी भी तहसील से तालाबों के निर्माण के लिए कोई प्रस्ताव मंगवाया नहीं गया है ना तो स्वसंज्ञान लिया गया है। एक बात अवश्य हो रही है वह यह कि नए तालाबों के निर्माण में बरती गई अकार्यक्षमता को छिपाने के लिए प्रशासन के उच्च स्तरीय अधिकारियों की ओर से पुराने तालाबों के कायाकल्प पर जोर दिया जा रहा है। दो कैबिनेट मंत्रियों के होते हुए केंद्र सरकार की अमृत योजना जलगांव जिले में बुरी तरह से पिट गई है।
जामनेर में गहराया जल संकट
सिंचाई के क्षेत्र में किए कार्यों के प्रचार के आधार पर बीते 6 टर्म भाजपा से विधायक गिरीश महाजन के निर्वाचन क्षेत्र जामनेर के दर्जनों गांवों में पेयजल संकट घना होता जा रहा है। नेरी दीगर में जलजीवन मिशन के तहत ढाई करोड़ की योजना अधर में लटकने से लोगों को पीने के पानी के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। महीने पहले ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत को ताला जड़ दिया था।
जामनेर ब्लॉक में 158 गांवों में हर एक गांव के लिए तीस सालों के भीतर कम से कम 10 करोड़ रुपया पेयजल की योजनाओ पर खर्च किया गया है। मतलब 158 गांवों के लिए एक हजार करोड़ से अधिक का सरकारी फंड खर्च हो चुका है बावजूद इसके 65 गांवों में पीने के पानी की समस्या कायम है।
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