धर्म और साहित्यिक से ही समाज को मिलता है सही मार्गदर्शन: कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज | New India Times

सुभाष पांडेय, गोण्डा/लखनऊ (यूपी), NIT:

धर्म और साहित्यिक से ही समाज को मिलता है सही मार्गदर्शन: कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज | New India Times

पिछले दिनों चर्चित अभिनेत्री स्वरा भास्कर के गृह-प्रवेश संबंधी पूजा-अनुष्ठान से चर्चा में आये ज्योतिष सेवा केन्द्र, मुम्बई के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पण्डित अतुल शास्त्री जी तथा अयोध्या के विख्यात भागवत कथावाचक ज्योतिषाचार्य कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज जी की मुलाकात वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रसिद्ध अधिवक्ता राजेश ओझा से बार एसोसिएशन गोण्डा में हुई।

धर्म-साहित्य पर विस्तृत चर्चा
अपने गृह नगर गोण्डा के धार्मिक यात्रा के दौरान अयोध्या के विख्यात भागवत कथाकार ज्योतिषाचार्य कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज जी ने कहा कि धर्म और साहित्य से ही समाज को सही मार्गदर्शन मिलता है और इन्हीं से लोककल्याण होता है।
ज्ञानमुद्रा पब्लिकेशन भोपाल से संबद्ध होप पब्लिकेशन द्वारा सम्मानित लेखकों में से ओझा जी को महाराज जी ने महाकाल नामी शॉल से सम्मानित किया। इस दौरान धर्म और साहित्य को लेकर सार्थक चर्चा हुई। इसी मौके पर कथावाचक कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि यह दोनों ही विधायें समाज को सही मार्गदर्शन के साथ लोककल्याण का काम करती हैं।

अनुवाद संग्रह ‘ द सूप’

इस दौरान बार एसोसिएशन गोण्डा के पूर्व उपाध्यक्ष बाबू दिनेश कुमार मिश्र एडवोकेट की गरिमामयी उपस्थिति में अनुवाद संग्रह द सूप की एक प्रति ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी को लेखक राजेश ओझा जी ने जिला बार एसोसिएशन गोण्डा के हाल में सप्रेम भेंट की।
ज्ञानमुद्रा पब्लिकेशन भोपाल से जुड़ा Hope Publication हिन्दी साहित्य के किसी भी विधा के अनुवाद का संग्रह निकालता है। इस बार देश विदेश के सम्मानित लघु कथाकारों की लघु कथाओं के अंग्रेजी अनुवाद का संग्रह होप ने “द सूप” नाम से प्रकाशित किया है।यह अनुवाद वरिष्ठ साहित्यकार कल्पना भट्ट जी ने किया है।

द सूप’ का महत्व

होप पब्लिकेशन, भोपाल-नागपुर से प्रकाशित ‘द सूप’ (THE SOUP) पुस्तक की महत्ता इसी बात से समझी जा सकती है कि इस संग्रह में हिन्दी व्यंग्य साहित्य की जानीमानी हस्ती गिरीश पंकज जी की लघुकथा इस संग्रह की पहली लघुकथा है। पंकज की 100 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। तमिलनाडु के कुछ विश्वविद्यालयों में इनके व्यंग्य आलेख पाठ्यक्रम में हैं।

इसके अतिरिक्त प्रेम जनमेजय, सुरेश कांत ,सुबोध श्रीवास्तव, डॉक्टर संजीव कुमार, जया आनंद सतीश राज पुष्करणा, प्रयास जोशी,राजेश ओझा समेत 50 से अधिक कथाकारों की रचनाएँ इस संग्रह में शामिल हैं। सुश्री भट्ट की किसी भी बड़े अँग्रेज़ी प्रकाशन संस्थान की तुलना में इस पुस्तक का प्रकाशन किसी भी कोण से कम नहीं है। सुश्री भट्ट ने इन कहानियों का बहुत सुंदर अनुवाद किया है। ऊर्जावान युवा प्रकाशक वरुण माहेश्वरी की दो और प्रकाशन संस्थाएं हैं – ज्ञानमुद्रा और वंश पब्लिकेशन, जिसके द्वारा हिंदी पुस्तकों का प्रकाशन होता है। यह संग्रह बहुत ही बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया गया है।


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