कलक्ट्रेट के चंद कर्मियों की दंबगई के चलते जिला कलेक्टर और एसपी ने तोड़ा तीन ट्रैफिक पुलिस कर्मियों का मनोबल | New India Times

यूसुफ खान, ब्यूरो चीफ, धौलपुर (राजस्थान), NIT:

कलक्ट्रेट के चंद कर्मियों की दंबगई के चलते जिला कलेक्टर और एसपी ने तोड़ा तीन ट्रैफिक पुलिस कर्मियों का मनोबल | New India Times

धौलपुर कलक्ट्रेट में पदस्थापित चंद कर्मियों की दंबगई के चलते जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक ने ना केवल 3 ट्रेफिक पुलिसकर्मियों का मनोबल तोड़ा है, बल्कि फौरी जांच कराए बिना तीनों को लाईन में स्थानांतरित कर मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया है। बता दें कि 15 फरवरी, 2022 को गुलाब बाग चौराहे पर ट्रेफिक पुलिस के 3 कर्मियों हैड कांस्टेबल बाबूलाल, मनोज शर्मा व कांस्टेबल वासुदेव शर्मा ने राजस्व मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के संयोजक एवं प्रवक्ता नरेशसिंह परमार के पुत्र को बिना हेलमेट के बाईक चलाने के आरोप में पकड़ 100 रुपए का चालान काट दिया था। इससे गुस्साए कलक्ट्रेट के कर्मचारियों ने पहले तो ट्रेफिक पुलिस चौकी पर पहुंच ट्रेफिक पुलिसकर्मियों के साथ बतौर सबूत वीडियो अभद्ग व्यवहार किया, अब वही वीडियो जिले में वायरल हो रहा है, जो वीडियो को देख रहा है, वही जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली पर तरह तरह के सवाल खड़े कर रहा है। गौरतलब है कि जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट में कई कर्मचारी दशकों से जमे बैठे हैं, जिनकी दबंगई दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है और तो और जिला कलेक्टर राकेश जयसवाल भी कलक्ट्रेट में कई दशकों से जमे कर्मचारियों को हटा उपखंड मुख्यालय का रास्ता नहीं दिखा रहे हैं, इसके कई कारण हैं, जबकि राज्य सरकार के स्पष्ट आदेश हैं कि किसी भी कर्मचारी को एक ही स्थान पर 5 साल से अधिक नहीं रहने दिया जाएगा। शासकों की 5 साल की मंशा का कारण यह था कि लंबे समय तक एक ही स्थान पर रहने से कार्मिक की जड़े काफी गहरी हो जाती हैं और गहरी जड़ों के चलते वह न केवल संवेदनहीन हो जाता है, बल्कि जनहित में निर्णय लेने की बजाय स्वयं के हित में निर्णय लेने लगता है। इसका उदाहरण 15 फरवरी, 2022 की घटना के साथ-साथ 5 वर्ष पूर्व 20 फरवरी 2017 की घटना भी है, जब तत्कालीन उपखंड अधिकारी मनीष फौजदार ने कलक्ट्रेट के संबंधित कर्मचारियों को एनएच 11 बी धौलपुर-करौली व एनएच 123 धौलपुर-भरतपुर वाया सैंपऊ ऊंचा का नगला तक सड़क निर्माण के लिए किसानों की अवाप्त की गई भूमि के मुआवजे के भुगतान में देरी के लिए जवाबदेह कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मौखिक हिदायत दी थी, तब कर्मचारियों ने फौजदार पर अभदग व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए अनुचित दबाव बनाने का प्रयास किया था।

सवाल मांगते जवाब

पुलिस कर्मियों का कोई संघ व महासंघ नहीं है। वे अनुशासन में रहते हैं, उनके अधिकारी का आदेश सर्वोपरि होता है, जबकि इसके उलट राज्य के अन्य सभी कर्मचारियों के संघ हैं और सभी संघ महासंघ से जुड़े हैं। वे अपनी उचित अनुचित मांगों को लेकर शासन प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए पूरे राज्य में कार्य का बहिष्कार, हड़ताल आदि कर सकते हैं। यही कारण है कि संघ से जुड़े कर्मचारी एक ही स्थान पर वर्षों तक जमे रहते हैं और पूरे जिले में संबंध बनाकर उचित अनुचित कार्यों को अंजाम देते हैं, जबकि ईमानदार और कर्तव्यपरायण कर्मचारी फुटवाल बने रहते हैं। बढ़ते भ्रष्टाचार और मनमर्जी के मुताबिक कार्य करने का मुख्य कारण एक ही स्थान पर लंबे समय तक जमे रहना है। इस चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने कर्मचारी को एक ही स्थान पर 5 साल तक नहीं रहने देने का नियम भी बना रखा है पर कलक्ट्रेट में यह नियम हवाहवाई है। इसके चलते कलक्ट्रेट के कई कर्मचारी न केवल कानून तोड़ते हैं बल्कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को भी पनपाते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि लंबे समय से जमे कर्मचारियों के जरिए ही उच्च पदों पर बैठे अधिकारी भी अनियमित कार्यों को अंजाम देकर भ्रष्टाचार की गंगा में जमकर हाथ धोते हैं। पहले तो धौलपुर जिले में कोई अधिकारी आना नहीं चाहता है और आ जाता है तो वह बक्शे भरकर ले जाता है। कलक्ट्रेट के कर्मचारियों द्बारा ट्रेफिक पुलिसकर्मियों के साथ किए गए अभद्ग व्यवहार और फिर उन्हें ट्रेफिक कर्मियों को ही निलंबित करने की मांग को लेकर 3 दिन तक किए गए कार्य बहिष्कार की घटना ने जिले के आमजन को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

क्या बिना हेलमेट बाइक चलाने के आरोप में एक कर्मचारी नेता के पुत्र के चालान की कीमत आमजन के हितों को ताक पर रखकर चुकानी उचित थी? कर्मचारी नेता के कहने पर राज्य के कई जिलों में कर्मचारियों ने कार्य का बहिष्कार किया। क्या इसकी निष्पक्ष जांच करा नुकसान की भरपाई कर्मचारी नेता से कर उसे सेवा से बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए? इस तरह के तमाम सवाल हैं जो न केवल शासन और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है. बल्कि आमजन को दबाव बनाकर कानून तोड़ने के लिए प्रेरित भी कर रही है।

बड़ा सवाल

धौलपुर जिले में किए गए कार्य बहिष्कार की वास्तविक जानकारी लिए बिना ही राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति जयपुर के सदस्य एवं प्रदेश प्रवक्ता देवेन्दुगसिंह नरूका ने 17 फरवरी को मुख्य सचिव राजस्थान सरकार जयपुर को एक पत्र क्रमांक 44 लिख ट्रेफिक पुलिसकर्मियों पर अत्यंत तानाशाही पूर्ण अभद्ग व्यवहार करने का आरोप भी लगा दिया। क्या इससे कानून तोड़ने वाले, भ्रष्टाचार को प्रश्नय देने वाले व आमजन के कार्यों का मन मुताबिक निष्पादन करने वाले कर्मचारियों का मनोबल नहीं बढ़ेगा? वहीं जिला पुलिस अधीक्षक, धौलपुर ने भी मामले को बढ़ते देख एक आदेश क्रमांक 176/22 दिनांक 16 फरवरी, 2°22 जारी कर 3 ट्रेफिक पुलिस के कार्मिकों का स्थानांतरण ट्रेफिक पुलिस से शिकायतन आधार पर कर पुलिस लाईन में कर दिया।

यह लगे आरोप

ट्रेफिक पुलिसकर्मियों ने बिना हेलमेट बाईक चलाने के आरोप में शांतनु पुत्र नरेश परमार का 1०० रुपए का चालान काटा था। खबर मिलने पर नरेश परमार सहायक प्रशासनिक अधिकारी व लिपिक गौरव शर्मा ट्रेफिक गुमटी पर गए, जहां वायरल हो रहे वीडियो के मुताबिक ट्रेफिक पुलिसकर्मियों के साथ बातचीत कर पद एवं प्रभाव का प्रदर्शन किया, वह अत्यंत ही शर्मनाक था। वीडियो ट्रेफिक कर्मियों के साथ अभद्ग व्यवहार करने और पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने वाला है। पुलिसकर्मियों के हाथ अनुशासन से बंधे थे। इस कारण घटना ने तूल नहीं पकड़ा। ट्रेफिक पुलिसकर्मी रसूखदारों के फोनों को मानते रहें और चालान नहीं कांटें तो लक्ष्य को कैसे अर्जित करेंगे और चालान काटते हैं तो उन्हें मानसिक प्रताइना के साथ.साथ लाईन का मुंह देखना पड़ेगा। तीनों ट्रेफिक पुलिसकर्मियों को 16 फरवरी को लाईन हाजिर किया गया, तब कहीं जाकर कर्मचारियों ने 17 फरवरी को दोपहर 12 बजे कार्य बहिष्कार का निर्णय वापस लिया। खास बात तो यह है कि जिला कलक्टर राकेश जयसवाल ने घटना की जांच सीओ सिटी से कराने की बजाय नई परंपरा डालते हुए अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) सुदर्शनसिंह से कराने का आदेश जारी किया है जब तक जांच पूरी नहीं होती तीनों ट्रेफिक पुलिसकर्मी लाईन में ही रहेंगे। उन्हें अन्यंत्र नहीं लगाया जाएगा। जिला कलक्टर ने यह भरोसा कार्य बहिष्कार कर रहे कर्मियों को दिया है। इतने हैं कर्मचारी 24 अगस्त, 2°21 की सूची के अनुसार राजस्व विभाग मंत्रालयिक कर्मचारी संघ में पूरे जिले से करीब 128 कर्मचारी सदस्य हैं, जिसमें राकेशचंद श्रीवास्तव जिलाध्यक्ष व नरेश सिंह परमार संयोजक एवं प्रवक्ता हैं।


पूर्व की घटनाएं

मई, 2021 में राकेशचंद श्रीवास्तव सहायक प्रशासनिक अधिकारी अपने बेटे को कोविड वेक्सीन के लिए भार्गव वाटिका ले जा रहे थे, तब मनोजकुमार ट्रेफिक पुलिसकर्मी ने उनकी बाईक को रोककर चालान काटा था और ट्रेफिक पुलिसकर्मी ने जिला कलेक्टर द्वारा जारी परिचय पत्र दिखाने के बाद भी बाईक को नहीं छोड़ा था। कर्मचारियों ने इसका जिक्र 16 फरवरी को दिए ज्ञापन में भी किया है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading