मध्य प्रदेश में सीबीआई अधिकारयों का अजब कारनामा, जिन दोषियों की जांच करने आए थे सीबीआई अधिकारी वह जांच करने से पहले ही खुद हो गए गिरफ्तार | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

मध्य प्रदेश में सीबीआई अधिकारयों का अजब कारनामा, जिन दोषियों की जांच करने आए थे सीबीआई अधिकारी वह जांच करने से पहले ही खुद हो गए गिरफ्तार | New India Times

मध्य प्रदेश में सीबीआई अधिकारयों का अजब कारनामा सामने आया है। नर्सिंग घोटाले में जिन दोषियों की जांच करने आए थे सीबीआई अधिकारी वह जांच करने से पहले खुद ही गिरफ्तार हो गए। इसी को लेकर आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने संबोधित करते हुऐ कहा कि जिस तरह से मध्य प्रदेश में नर्सिंग काउंसलिंग ऑफ इंडिया के मापदंडों की धज्जियां उड़ाते हुए कॉलेज को अनुमति दी गई है, ऐसा उदाहरण पूरे देश में कहीं नहीं देखने को आया है। उन्होंने कहा कि ना तो भवन है, न प्रयोगशालाएं, न लाइब्रेरी, न लैब और न अस्पताल, फिर भी चल रहें हैं कॉलेज। केवल कागजों में नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं, यह कॉलेज उन्हें ही दिखाई दे रहे है, जिन्होंने निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की है और बाकी किसी को दिखाई नहीं दे रहा है। श्री नायक ने कहा कि मध्य प्रदेश में हुए नर्सिंग घोटाले की जांच के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को जिम्मा सौंपा गया, लेकिन सीबीआई के जांचकर्ताओं ने ही जांच की धज्जियां उड़ाते हुये सीबीआई को ही कलंकित कर दिया। सीबीआई के अधिकारी 10-10 लाख रुपए लेते हुए पकड़े जा रहे हैं, यह कैसी सीबीआई जांच है? सीबीआई एजेंट जिन दोषियों की जांच करने आई थी, जांच करने से पहले ही सीबीआई के लोग ही गिरफ्तार हो गए देश में मध्य प्रदेश में यह पहला मामला होगा जब जांच कमेटी दोषियों को गिरफ्तार करने के पहले खुद ही गिरफ्तार हो गई।

श्री नायक ने कहा कि किसी ने ऐसा कभी नहीं सुना होगा कि एक प्राध्यापक या एक सहायक प्राध्यापक एक साथ आठ-आठ महाविद्यालय में नियुक्त होकर अध्यापन कार्य  कर रहा हो, इतना ही नहीं मध्य प्रदेश ही नहीं दूसरे प्रदेशों के कॉलेजों में भी वहीं व्यक्ति उसी समय अध्यापन कार्य कर रहा हो और उसका नाम सरकारी पोर्टल पर भी दर्ज हो, यानी सरकार भी यह मानती है कि एक समय पर एक शिक्षक आठ महाविद्यालय में एक साथ अध्यापन कार्य कर सकता है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने नर्सिंग कालेजों को लेकर यह तक कहा कि ‘हैरत हैं कि नर्सिंग का एन तक नहीं जानने वालों की परीक्षा की इजाजत मिला‘ यह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे ही कई फर्जी नर्सिंग कॉलेज हैं, जिन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हैं, जिससे समाज में जहर घोला जा रहा है। जो  फैकल्टी का ऐसा फर्जीवाड़ा आपने और कहीं नहीं देखा होगा। इससे स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश सरकार आंखों देखी मक्खी निकल रही है।

मप्र विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे में नर्सिंग घोटाले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि मप्र सरकार व्यापमं घोटाले से बाहर नहीं आ पाया और अब नर्सिंग घोटाले का कलंक लग गया। नर्सिंग घोटाले को उजागर करने वाले एनएसयुआई नेता रवि परमार को कई बार जेल भेजा गया, कई मुकदमें उन पर दर्ज किये गये, वहीं अपराधियों को सीबीआई की गिरफ्त में होने के बावजूद फोन पर बातचीत करते पाया गया, जिससे दोषियों के प्रति सरकार की मंशा उन्हें संरक्षण देने की स्पष्ट नजर आती है। मैं अपने विधायक साथियों के साथ विधानसभा में पूरी ताकत के साथ इस मामले को लेकर आवाज उठाऊंगा।

मध्य प्रदेश में सीबीआई अधिकारयों का अजब कारनामा, जिन दोषियों की जांच करने आए थे सीबीआई अधिकारी वह जांच करने से पहले ही खुद हो गए गिरफ्तार | New India Times

भाराछांसगठन मेडिकल विंग के प्रदेश समन्वयक रवि परमार ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये बताया कि सीबीआई के अधिकारी और नर्सिंग कॉलेजों के संचालकों की गिरफ्तारी के बाद मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने विगत दिनों 2022-23 सत्र के 132 नर्सिंग कॉलेजों की छात्रों के नामांकन के लिए सूची जारी की, जिसमें उन कॉलेजों के नाम शामिल हैं, जिनके कॉलेज संचालकों की गिरफ्तारी हो चुकी है और जिनके प्राचार्य रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गये है। नर्सिंग फर्जीवाड़े के चलते मप्र के नर्सिंग छात्र-छात्राओं की पिछले चार साल से परीक्षाऐं नहीं हुई, जिससे उनका भविष्य बर्बाद किया जा रहा है। कॉलेजों की इतनी धज्जियां उड़ने और बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आने पर अब उच्च न्यायालय के आदेश पर विगत 15 मई से परीक्षाएं आयोजित कराने का निर्णय लिया गया है।

श्री परमार ने कहा कि ग्वालियर हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणियों के बावजूद मप्र आयुविज्ञान विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक डॉ. सचिन कुचिया उसी पद पर वर्तमान में भी कार्यरत हैं। परीक्षा नियंत्रक को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट ने कहा था कि तुम चपरासी बनने लायक भी नहीं, किसने परीक्षा नियंत्रक बना दिया, लोगों को मारने वाला बूचड़खाना चला रहे हो। एक अन्य टिप्पणी में यह भी कहा कि किसने अधिकार दिया आपको परीक्षा की घोषणा करने का? यह यूनिवर्सिटी है या जोकर है? इतना ही नहीं कोर्ट ने सुनवाई के दौरान काउंसिल के वकील से यह तक कह दिया कि परीक्षा नियंत्रक को हटाओ नहीं तो ये व्यक्ति जेल जाएगा, ये बहुत बड़ा घोटाला है।

श्री परमार ने कहा कि अशोक खंडेलवाल नये कुलपति और पुष्पराज सिंह बघेल रजिस्ट्रार बने, कॉलेज खुलने के अचानक तीन साल बाद उन्होंने मान्यता दे दी और वे आज तक अपने पद पर बने हुये हैं। 2020-21 सत्र के कॉलेजों को फरवरी 2023 में मान्यता जारी कर दी, वहीं फरवरी में ही उन कॉलेजों के नामांकन एवं परीक्षा के फार्म भरवाना भी शुरू कर दिये, जिससे तीन साल तक जिन छात्रों ने कॉलेजों में पढ़ाई नहीं की उनको कॉलेजों में प्रवेश दिलाकर परीक्षा करवाने की तैयारी कर चुके थे, लेकिन ग्वालियर हाईकोर्ट ने 27 फरवरी 2023 को परीक्षा पर रोक लगा दी, वहीं ग्वालियर हाईकोर्ट ने फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के लिए सीबीआई को आदेश जारी किये।

प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक, भाराछांसगठन मेडिकल विंग के प्रदेश समन्वयक रवि परमार ने नर्सिंग घोटाले में हुये फर्जीवाड़े सहित पूरे मामले की जांच हाई कोर्ट के सिटिंग न्यायाधीश की निगरानी में कराये जाने की मांग की है। पत्रकार वार्ता में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्तात्रय रवि सक्सेना, विवेक त्रिपाठी, अपराजिता पांडे आदि उपस्थित थे।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading