विवेक जैन, बागपत (यूपी), NIT:
नेशनल हाइवे 334 बी, सोनीपत उत्तर प्रदेश बॉर्डर के यमुना पुल के निकट स्थित शिव मंदिर के महंत व मुख्य पुजारी शीतलदास महाराज जी का शरीर पूरा होने के बाद उनको शिव मंदिर के प्रांगण में साधु-संतों की उपस्थिति में भू समाधि दी गयी। लगभग 80 वर्षीय महान संत शीतलदास महाराज जी मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना तहसील के बिटावदा गांव के निवासी थे। महाराज श्री के परम भक्त व वर्ष 2008 से उनकी पुत्र की भांति सेवा करने वाले रवि वर्मा ने बताया कि महाराज श्री कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे।
सोमवार को महाराज श्री की तबीयत अधिक खराब होने पर जनपद बागपत उत्तर प्रदेश के जिला अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन सभी प्रयास करने के बावजूद भी उनको बचाया नही जा सका। रवि वर्मा ने बताया कि वे महाराज श्री की वर्ष 2008 से सेवा कर रहे थे और उनका इलाज़ करवा रहे थे। रवि वर्मा ने कहा कि महाराज श्री जैसी महान शख्सियतें सदियों में कभी कभार ही जन्म लेती है। महाराज श्री के परम शुभचिंतकों में शुमार वरिष्ठ पत्रकार व प्रमुख समाजसेवी सुरेन्द्र मलनिया ने बताया कि महाराज श्री का जाना उनके लिए बहुत दुखदायी है।
महाराज श्री एक महान सन्यासी, एक अच्छे मार्गदर्शक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। कहा कि महाराज श्री का सम्पूर्ण जीवन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और धर्म के प्रचार व प्रसार में बीता। महाराज श्री 4 भाई और 3 बहन है महाराज श्री भाईयों में दूसरे नम्बर के थे। महाराज श्री के तीन सुपुत्र और 1 सुपुत्री है। महाराज श्री जब लगभग 50 वर्ष के थे, तब इन्होंने गृह त्याग किया और अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान शिव को समर्पित कर दिया। वह जब तक इस जमीन पर रहे, लोगों के उद्धार और शिव भक्ति में लीन रहे। इस अवसर पर महाराज श्री के भक्तों ने महाराज श्री के साथ बिताये यादगार पलों की तस्वीरें साझा की।
महाराज श्री की भू समाधि के अवसर पर अनेकों साधु-संतो के अलावा महाराज श्री की पुत्री पूनम उर्फ डॉली, महाराज श्री के भाई भोपाल सिंह, सोहनवीर सिंह व कृष्णपाल सिंह, महाराज श्री की बहन विद्या प्रधान, कमला आगरा व शिक्षा, भतीजे बिट्टू, संजीव व नवीन, भांजा अनिल, बहनाई सतपाल सिंह आगरा, पोता अभि, बब्लू व अन्य परिवारगण, गौरीपुर जवाहरनगर के पूर्व प्रधान सत्यपाल उर्फ सत्तो चौहान, अर्जुन कश्यप, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार विपुल जैन सहित अनेकों शुभचिंतक और भक्तगण उपस्थित थे।
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