संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:
14 अप्रेल को सिबल ऑफ नॉलेज, विश्व के चोटी के विद्वान, विधिवेत्ता, सच्चे देशभक्त, भारतीय संविधान के निर्माता, भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारत रत्न, बोधिसत्व बाबा साहेब डाॅ भीमराव रामजी आंबेडकर के 130 वें जन्म दिवस के अवसर पर गोपाल किरण सामाज सेवी संस्था एवं जय भीम अनु सूचित जाति जन जाति कल्याण समिति के द्वारा शील नगर, बहोडापुर ग्वालियर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमती संगीता शाक्य डिवीजन कमांडेड होमगार्ड
एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अशोक निम उप संचालक पंचायत चंबल संभाग, मुरैना एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. प्रवीण गौतम, इंजीनियर आर .बी. सिंह, श्रीप्रकाश सिंह निमराजे, गोपाल किरन समाजसेवी सस्था, जहाँआरा, जे.पी. मौर्य प्राचार्य शासकीय उ.मा.वि. क्रमांक 1, मुरार, रामप्रसाद बसेडीया जिला पंचायत ग्वालियर, रीना शाक्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों व लोगों द्वारा फूल चढ़ाकर की गयी।
अतिथियों ने अपने विचार में समझाया कि वे जाति उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष के एक महान प्रेरक रहे हैं और उन्होंने दलितों की शिक्षा, महिलाओं के लिए बराबर के सम्पत्ति अधिकारों और समाज में सभी के बराबर के दर्जे व अधिकारों की संवैघानिक गारंटी के संघर्ष के लिए रास्ता दिखाया। इस अवसर पर शानदार गीतो की प्रस्तुती भी हुई और बताया कि स्वतंत्रता, समानता और समाजवाद के दुनिया भर के सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक डा. अम्बेडकर थे। वे केवल जाति सवाल के प्रतीक नहीं थे। उन्होंने सरकार की निजीकरण करने व कल्यांण योजनाओं को समाप्त करने की निन्दा करते हुए कहा कि इससे गरीबों की सरकारी सुविधाएं काटी जा रही हैं और आरक्षण द्वारा शिक्षा तथा रोजगार के संवैधानिक अधिकार को समाप्त करने का प्रयास निरतर किया जा रहा है। जहांआरा ने अपने विचार व्यक्त करते अपेक्षा कि बाबा साहब के दर्शन का अध्ययन कर उसे अपने आचरण में ग्रहण कर समाज के प्रति समर्पित रहे।
अतिथियों ने बताया की एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में इन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लंदन में आयोजित तीनों गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया था। इनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के मऊ में हुआ था। इन्होंने दलितों की आवाज को जीवन पर्यन्त बुलंद किया तथा गोलमेज सम्मेलन में दलितों की आवाज बनकर उन्हें पृथक निर्वाचन क्षेत्र 1935 के भारत शासन अधिनियम के द्वारा प्रदान करवाने में महत्ती भूमिका अदा की। दलितों के अधिकारो के लिए इन्होंने वहिष्कृत हितकारिणी सभा का गठन किया तथा वहिष्कृत भारत नामक समाचार पत्र का प्रकाशन किया। 26 सितम्बर 1932 को पूना के यरवदा जेल में गांधी जी एवं भीमराव अम्बेडकर के बीच प्रसिद्ध पूना पैक्ट हुआ था। 1946 में गठित संविधान सभा द्वारा 29 अगस्त 1947 को बाबा साहब को ” प्रारूप समिति” ( मसौदा समिति )का अध्यक्ष चुना गया। इस समिति में 7 सदस्य थे। संविधान बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था। जीवन के अंतिम क्षणों में नागपुर में इन्होंने लाखों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अंगिकार कर लिये।
-:जीवन परिचय :-
1) जन्म :-14 अप्रैल 1891
2) माता :- भीमा बाई
3) पिता :- रामजी ( सूबेदार )
4) पत्नी:- रमाबाई
5) पुत्र:- यशवंत राव
6) शिक्षा :-
मैट्रिक :-1907 (सतारा हाई स्कूल)
इंटर और बीए:-1912 (एलफेस्टन कॉलेज)
एम ए और पीएचडी :-
1915 (कोलंबिया विश्वविद्यालय अमेरिका )।
अर्थ, समाजशास्त्र, कानूनएवं एम.एस.सी :- लंदन यूनिवर्सिटी 1920-21
1923 से मुंबई में वकालत शुरु
1924 में बहिष्कृत महासभा का गठन
1927 में चावदार तालाब का आंदोलन
1927 में ही मनु स्मृति को जलाना
1930 में कालाराम मंदिर में प्रवेश
1935 में धर्म परिवर्तन की घोषणा
1946 में मुंबई में सिद्धार्थ कॉलेज की स्थापना
1947 में विधि मंत्री बनना एवं संविधान की रचना प्रारंभ
1948 में शारदा कबीर नामक नर्स से दूसरी शादी
1951 में नेहरु मंत्रिमंडल में हिंदू कोड बिल लाना
हिंदू कोड बिल पारित न होने पर मंत्रिमंडल से इस्तीफा
14 अक्टूबर 1956 में नागपुर में बौद्ध धर्म ग्रहण किये.
6 दिसम्बर 1956 अकस्मात मृत्यु दिल्ली में हुई थी।
बाबा साहेब का विद्वता में, भारत में पहला स्थान तथा दुनिया में छठा स्थान था।
डॉक्टर अंबेडकर की जीवनी उनकी शिक्षा उनके द्वारा संविधान की रचना तथा वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला।श्री श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने सभी महमानों का स्वागत करते हुए कहा कि संविधान में दिये अधिकारों की हम सब को रक्षा करने के लिए संघर्ष करना चाहिये।
अंबेडकर ने कहा था कि संविधान चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि वे लोग, जिन्हें संविधान को अमल में लाने का काम सौंपा जाये, खराब निकले तो निश्चित रूप से संविधान खराब सिद्ध होगा. दूसरी ओर, संविधान चाहे कितना भी खराब क्यों न हो, यदि वे लोग, जिन्हें संविधान को अमल में लाने का काम सौंपा जाये, अच्छे हों तो संविधान अच्छा सिद्ध होगा। अंत में कार्यक्रम का आभार अध्यक्षा श्रीमती सुनीता गौतम के द्वारा किया गया मंच संचालन श्री अमर सिंह बंसल जी ने किया। श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने स्मृति चिन्ह के गोपाल किरन समाज सेवी संस्था ने डॉ. अम्बेड़कर जयंती की यादगार को बनाये रखने को बनवाये चिन्ह भेट किया।
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