पवन परूथी, ग्वालियर (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश में प्रस्तावित नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव फिलहाल होने के आसार नहीं है। महापौर और अध्यक्ष पदों पर आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद अब सशस्त्र बल की उपलब्धता इसमें बाधा बन रही है। दरअसल, प्रदेश के सशस्त्र बल की 50 कंपनियां बंगाल और तमिलनाडु विधानसभा का चुनाव करवाने के लिए भेजी गई है। ऐसे में निकाय या पंचायत चुनाव करवाने के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध नहीं रहेगा।
गृह विभाग ने इस स्थिति से राज्य निर्वाचन आयोग को अवगत करा दिया है। उधर आयोग ने कहा है कि बोर्ड परीक्षाओं के पहले एक चरण का चुनाव कराना प्रस्तावित है। आरक्षण को लेकर विधिक राय ली जा रही है साथ ही पंचायतों का आरक्षण करने के लिए भी शासन को लिखा गया है। प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव लगभग 1 साल पहले हो जाने चाहिए थे लेकिन पहले पंचायतों के परिसीमन और फिर महापौर और अध्यक्षों का चुनाव पार्षदों के माध्यम से करने की व्यवस्था के कारण यह टल गए।
भाजपा सरकार आई तो फिर नियमों में बदलाव करके पुरानी व्यवस्था को लागू किया हालांकि इसमें तेजी दिखाई गई और अध्यादेश के माध्यम से प्रविधान लागू किए गए लेकिन मतदाता सूची तैयार नहीं थी, जैसे ही मतदाता सूची तैयार हुई तो महापौर और अध्यक्ष पद के आरक्षण में विसंगतियों को लेकर हाई कोर्ट ने आरक्षण की अधिसूचना के क्रियान्वयन पर स्थगन दे दिया। जिला और जनपद पंचायतों के पदों पर आरक्षण अभी तक नहीं हो पाया।
उधर चुनाव आयोग की मांग पर गृह विभाग ने सशस्त्र बल की 50 कंपनियां बंगाल और तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए भेज दीं। इससे अब राज्य में चुनाव कराने के लिए सुरक्षाबल की कमी हो गई है। अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के माध्यम से बल मांगा था जो भेजा गया है। 20 कंपनियां बंगाल गई है और 30 कंपनियां तमिलनाडु का चुनाव कराएंगी।
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