इकबाल कुरैशी, धार (मप्र ), NIT;
आजादी के पूर्व से क्षैत्र में रेल की सेवाएं मिलने का सपना देखने वाली निमाड़ व मालवा क्षेत्र की जनता का कई दशकों बाद सपना पूरा होने की एक हल्की सी आशा जागृत हुई थी, जिसपर रेल मंत्रालय की सर्वे समिति ने झुठी व दोषपूर्ण सर्वे रिपोर्ट पेश कर पुरी तरह से पानी फेर दिया है। खण्डवा से खरगोन, बड़वानी व धार तक रेल सेवा शुरू करने में गुपचुप अंदाज में किये गये सर्वे रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इस परियोजना की कुल लागत 2025 करोड़ रूपए है जिससे 260 किमी की रेल लाइन बिछाऐ जाने का प्रावधान है। इस तरह एक किमी रेल लाइन बिछाने में करीब 7.79 करोड रूपए का खर्च आता है, जबकि होने वाला लाभ इससे कम है। अत: यह रेल लाइन शुरू करना घाटे का सौदा रहेगा। इस रिपोर्ट से साफ स्पष्ट है कि यह जो सर्वे कार्य किया गया है वह किसी आलीशान होटल के एसी लगे कमरे में आराम से बैठकर किया हुआ सर्वे प्रतित होता है। अगर सर्वे करने वाले अधिकारी जमीनी स्तर पर आकर क्षैत्र की उपलब्धियों से रुबरु होकर सर्वे रिपोर्ट तैयार करते तो निश्चित ही कई चौंका देने वाले आंकड़े रिपोर्ट में अंकित होते। सर्वे में भ्रमित करते हुए बताया गया है की यह क्षैत्र पुरी तरह से पिछड़ा हुआ है। यहां मात्र एक ही फसल अरहर की दाल का उत्पादन होता है। यहां कोई उद्योग व व्यवसाय नही है साथ ही कोई भी प्राचीन धार्मिक स्थल व पर्यटन स्थलों की भी स्थापना नहीं है । प्रस्तुत भ्रामक सर्वे रिपोर्ट की मानें तो निमाड़ व मालवा क्षैत्र की जनता आदिम काल के खानाबदोश की तरह ही जीवन यापन कर रही है। आजादी के बाद से आज तक इस क्षैत्र ने सुगम यातायात के संसाधनों के बगैर जिस गति से विकास की डोर को थाम कर प्रगति के पथ पर अग्रसर है शायद ही ऐसा कोई अन्य विकासशील क्षैत्र कर पाता। आज हम इस समाचार में निमाड़ और मालवा क्षैत्र की उन सच्ची उपलब्धियों को सभी के सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं जो इस क्षैत्र को विकसित प्रदर्शित तो करती ही है साथ ही उस झुठी सर्वे रिपोर्ट को झुठला कर उस पर से पर्दा उठाकर रख देगी। कृषि उत्पादन के अंतर्गत इस क्षेत्र में होने वाले कपास, मूंगफली, सोयाबीन, गेहूं, गन्ना, पपीता, मिर्च, चीकू, केला, नींबू, अमरूद व सब्जियों की शानदार फसलें प्रदेश व देश के साथ विदेशों में भी खुब प्रचलित हैं । माँ नर्मदा के पावन जल से सिंचित यहां के खलिहानों की कोख से निकलने वाली मिर्च और सफेद सोना कपास की फसलों से खरगोन जिले की बेड़िया मिर्च मंडी को एशिया की दुसरे नम्बर की सबसे बड़ी मंडी होने का गौरव प्राप्त हुआ है। साथ ही क्षैत्र में कपास के भरपूर उत्पादन को देखते हुए अनगिनत आटोमेटीक जिनिंग फैक्ट्रियां भी मौजूद हैं, जिसमें कपास को मोडिफाई कर देश के अलग अलग प्रान्तों में सप्लाई किया जाता है। यहां के फल खासकर केला, पपिता व अमरुद के विशाल बगीचे भी खुब प्रचलित हैं जिनका प्रदाय भी सम्पूर्ण भारत वर्ष में किया जा रहा है और अब तो यहां नर्मदा नदी, अपरवेदा, लोवर गोई जैसी नदियों पर विशाल बांध बन गए हैं जिससे यहां की जमीनें पंजाब, हरियाणा जैसी फसलाें का उत्पादन कर रही है। साथ ही धार जिले की कपड़े पर हाथों से की जाने वाली बाग प्रिंट कला जिसने भारत को विश्व स्तर पर प्रचलित कर दिया है जिसे निहारने के लिए देश के ही नहीं अपितु विदेशी सेलानीयों का भी जमघट धार जिले के बाग व कुक्षी में लगा रहता है। निमाड़ व मालवा के प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल जिसमें सतपुड़ा की विशाल पर्वत मालाओं में स्थित प्रसिद्ध बावनगजा, फिल्म सिटी के रुप में प्रसिद्ध हो चुका महेश्वर, तालनपुर जी, मोहनखेड़ा, बाग गुफाएं, भोजशाला, कमाल मौलाना दरगाह, ऐतिहासिक पर्यटन स्थल माण्डव नगरी और अब तो बाग में देश का पहला जुरासिक पार्क का भी निर्माण हो चुका है। जहां देशी व विदेशी पर्यटकों का तांता लगा ही रहता है। खण्डवा धार रेल लाइन शुरू हो जाने से यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में कई गुना वृद्धि होगी। प्रदेश की राजनीति में इन क्षेत्रों के कई कद्दावर नेता भी अपना सर्वोच्च रुतबा रखते हैं। यहां की आदिवासी महिला नैत्री स्व.जमुना देवी जिनका कुक्षी विधानसभा सीट पर एकतरफा राज था प्रदेश में उपमुख्यमंत्री के पद पर काबिज रही, साथ ही खरगोन जिले के स्व.सुभाष यादव भी प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पद पर सेवा देते रहे। आज भी सेंधवा विधानसभा के अंतर सिंह आर्य प्रदेश के मंत्रीमण्डल में शामिल हैं। बड़वानी जिले के विधायक बाला बच्चन प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष व खरगोन जिले के अरुण यादव कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सेवारत् हैं। मनावर विधानसभा की रंजना बघेल पुर्व राज्य मंत्री एवं फिलहाल भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष के रुप में काबिज हैं। मालवा और निमाड़ में भले ही विशाल स्तर पर उद्योगों की स्थापना न हो पर यहां का व्यापार व्यापक स्तर पर फैला हुआ है। बात करें व्यापारिक नगरी कुक्षी , बड़वानी व खरगोन की तो इन्दौर के बाद सबसे बड़े व्यापार केन्द्र में इनका नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। यहां का कपड़ा व्यवसाय, बर्तन, रेडीमेड कपड़ा, गल्ला व्यापार और खासकर सराफा व्यवसाय में कोई भी विकसित शहर यहां के व्यापार के सामने बौना ही साबित होगा। शिक्षा के क्षैत्र में अगर बात की जाए तो यहां मेडिकल, इंजीनियरिंग, साईंस, कामर्स के साथ हर क्षैत्र की शिक्षा के भव्य निजी व शासकीय शिक्षण संस्थानों की स्थापना है जिसमें अध्ययन करके यहां के विद्यार्थी देश में कई महत्वपूर्ण पदों पर काबिज होकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसी ही कई और अनेकों उपलब्धियां निमाड़ मालवा में मौजूद हैं जिनका जिक्र किया जाये तो निश्चित ही हजारों पन्नों की रिपोर्ट तैयार हो जाये, जो की रेल्वे सर्वे समिति द्वारा सोंपी गई 200 पन्नों की झुठी रिपोर्ट पर भारी रहेगी। सबसे खास बात यह है कि यह सभी उपलब्धियां क्षैत्र के लोगों ने बगैर सुगम यातायात सुविधाओं के ही हासिल की हैं। शेड्यूल एरिया खरगोन, बड़वानी व धार प्रदेश शासन द्वारा घोषित आदिवासी व औद्योगिक रूप से पिछड़े जिले हैं। ऐसे में उक्त रेल मार्ग के क्रियान्वयन से क्षैत्र के किसान अपनी सब्जी व फसलों को दुरस्त शहरों में बिक्री हेतु आसानी से पहुंचा पायेंगे और साथ ही उन शहरों को गुणवत्तापुर्ण व शुद्ध सब्जियों की सौगात भी मिलेगी। रेल लाइन डलने से मालवा निमाड़ को लाभ तो मिलेगा ही उससे भी कहीं ज्यादा दुसरे क्षैत्र लाभान्वित होंगे, जैसे क्षेत्र के 40 लाख लोगों का आर्थिक-सामाजिक विकास होगा ही अन्य शहरों के हजारों बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। बड़े शहरों में पड़े रहे विद्यार्थियों को सीधे परिवहन की सुविधा मिलेगी। बडवानी, खरगोन व धार जिले में रेल लाइन लाने की मुहिम में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों के जन प्रतिनिधियो को बड़वानी के शिक्षाविद व आरटीआई कार्यकर्ता प्रो. ओ पी खंडेलवाल के साथ सामूहिक प्रयास से ही क्षेत्र में छुक-छुक की आवाज गूंजयमान हो सकती हैं। और जिस झुठी सर्वे रिपोर्ट से मालवा निमाड़ क्षैत्र में रेल की सौगात के अरमान पर पानी फेरा गया है उसके झुठ पर हमारी उपलब्धियों की अमृतवर्षा करके रेल मंत्रालय को इस रुट पर पुनः विचार करने हेतु विवश करना पड़ेगा।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.