संदीप शुक्ला, ग्वालियर (मप्र), NIT;
MPPSC की कार्यप्रणाली के खिलाफ जो आन्दोलन छात्रों के द्वारा चलाया जा रहा हैं, उससे आप सब अवगत हैं, जिसमें 29 मार्च को माननीय महामहिम राज्यपाल महोदय से भी छात्रों ने मुलाकात की थी जहां से कोई अशवासन ना मिलने के कारण छात्र आयोग के सामने धरने पर बैठ गए थे। पुलिस ने कुछ छात्रों को गिरफ्तार किया जिन्हें थोड़ी देर बाद छोड़ दिया बाकी छात्रों को आयोग के सामने से पुलिस ने बलपूर्वक भगा दिया जबकि छात्र पूरी तरह शांति पूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। दूसरी और कुछ लोग मान. उच्च न्यायलय भी गए, जिसमें माननीय उच्च न्यायलय द्वारा MPPSC के रिजल्ट पर अगली सुनवाई जो 05 अप्रेल को होगी तब तक के लिए रोक लगा दी हैं। अब इसमें आगे क्या होगा उसके पहले ये जान लेना जरूरी है, कि पिछले साल सितम्बर 2017 में एक फैसला दिया था, वो क्या था? और कैसे वो आने वाले समय में प्रभावित करेगा?
नितिन पाठक जी ने MPPSC 2012 की उत्तर कुंजी के गलत उत्तर दिए जाने के खिलाफ माननीय उच्च न्यायलय जबलपुर में केस लगाया था, जिसमें सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायलय द्वारा जो निर्णय दिया गया हैं, उसका अध्ययन अति महत्वपूर्ण है।नितिन पाठक ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि, मान लीजिये की MPPSC में ये प्रश्न पूछा जाता हैं, की सूर्य किस दिशा से उदय होता हैं? तो इसका सही उत्तर होगा पूर्व दिशा लेकिन यदि आयोग ने इसका उत्तर दक्षिण दिशा माना है, तो हम पहले उस पर 100 रूपये दे कर प्रमाण सहित आपत्ति लगायेंगे, फिर भी यदि आयोग उसका ही उत्तर सही माने की सूर्य दक्षिण दिशा से उदय होगा, तो फिर हमारे पास क्या रास्ता होगा? ऐसे में हमारे पास एक ही रास्ता हैं, न्यायपालिका. लेकिन जब आपको पता चले की आप न्यायलय में भी इसे चुनौती नहीं दे सकते हैं तो फिर क्या होगा? कितनी भयावह स्तिथि होगी? विचार कीजिये. यकीन मानिये लगभग ऐसी ही स्थिति निर्मित होने की कगार पर हैं, यदि हमने अभी कुछ नहीं किया तो हम अब आयोग के खिलाफ कही कुछ भी नहीं कर पाएंगे और आयोग अपनी मनमर्जी चलता रहेगा. आखिर ऐसा क्यों है? समझते हैं?
जैसे की पहले आपको बताया की नितिन पाठक जी ने MPPSC 2012 की उत्तर कुंजी के गलत उत्तर दिए जाने के खिलाफ माननीय उच्च न्यायलय जबलपुर में केस लगाया WP-581/2017 जिसमे माननीय उच्च न्यायलय ने एक संवैधानिक पीठ बनायीं, जिसमे 3 न्यायाधीश शामिल थे 1. माननीय न्यायमूर्ति श्री हेमंत गुप्ता, मुख्य न्यायाधीश, जबलपुर उच्च न्यायलय 2. माननीय न्यायमूर्ति श्री सी. व्ही. सिरपुरकर, न्यायाधीश 3. माननीय न्यायमूर्ति श्री विजय कुमार शुक्ला, न्यायाधीश शमिल थे. माननीय बेंच को निम्न 2 प्रश्नों पर विनिश्चय करना था – 1. क्या न्यायिक पुनर्विलोकन शक्तियों का प्रयोग करते हुए मॉडल उत्तर कुंजी की जाँच के लिए न्यायलय विशेषज्ञ नियुक्त कर सकता हैं? 2. क्या न्यायिक पुनर्विलोकन शक्तियों का प्रयोग करते हुए न्यायलय परीक्षा करवाने वाले संस्थान द्वारा जारी अंतिम उत्तरकुंजी के लिए अपील सुन सकता हैं? जिसमे माननीय न्यायलय ने दिनांक 04 सित. 2017 को फैसला दिया, की इस मामले में न्यायालय का अधिकार सीमित हैं, जिससे न्यायलय को विशेषज्ञ नियुक्त नहीं करके आयोग द्वारा ही विशेषज्ञ नियुक्त किया जाना चाहिए, साथ ही दुसरे प्रश्न के उत्तर में कहा की न्यायलय को आयोग द्वारा जारी उत्तरकुंजी के विरुद्ध अपील सुनने के रूप में कार्य नहीं करना चाहिए. जिसका सीधा सा मतलब हैं की आयोग द्वारा जो उत्तरकुंजी जारी की जाती है वही अंतिम होगी. न्यायलय उसमे हस्तक्षेप नही कर सकता. इस निर्णय के आधार पर MPPSC अपने खिलाफ सारी याचिकाओं को ख़ारिज करवा रहा हैं, संभवतः 5 अप्रेल की सुनवाई में भी यही हो और हमे कोई राहत ना मिले.
उच्च न्यायलय के निर्णय के विरुद्ध नितिन पाठक जी द्वारा माननीय उच्चतम न्यायलय में अपील की गयी हैं, जिसकी अंतिम सुनवाई इसी सप्ताह में होनी हैं, यदि इसमें भी MPPSC के पक्ष में फैसला आता हैं, तो MP और अन्य सभी राज्यों को भर्ती आयोगों के खिलाफ न्यायलय से राहत मिलने का रास्ता बहुत मुश्किल हो जायेगा. फिर कोई भी छात्र गलत के खिलाफ नहीं लड़ पायेगा, ना प्रारंभिक परीक्षा के लिए और न ही मुख्य परीक्षा के लिए. ऐसे में आयोग की मनमानी और ज्यादा बढ़ जाएगी, इसके लिए नितिन पाठक vs म०प्र० शासन के मामले में केस का मजबूत होना अतिआवश्यक हैं, इसके लिए हमारे द्वारा श्री नितिन पाठक एवं उनके अधिवक्ता श्री आदर्श त्रिपाठी जी से विस्तृत चर्चा हुई, जिसमे उनका कहना है की यदि हमे अपना पक्ष मजबूत बनाना हैं, तो इस वर्ष 2018 की परीक्षा में जो गलत उत्तरकुंजी जारी की गयी हैं, उस मामले को भी इसके साथ जोड़ना पड़ेगा एवं अधिक से अधिक अभ्यर्थियों को इसके लिए आवेदन पर हस्ताक्षर कर अपने प्रवेश पत्र की फोटोकॉपी के साथ भेजना होगा, जिससे माननीय न्यायलय को विश्वास दिलाया जा सके की, आयोग की कार्यप्रणाली में 2012 से 2018 तक कोई सुधार नहीं हुआ हैं, जितने ज्यादा लोगो के आवेदन आयेंगे उसके अनुसार माननीय न्यायलय को विश्वास दिलाया जायेगा की इससे हजारों लोगो के साथ अन्याय होगा, जिससे हमारा पक्ष मजबूत होगा और हमे न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ेगी.
अगर हम अभी ये केस हार गए तो केवल 2 ही परिस्थियों में बदलाव संभव हो सकेगा 1. जब माननीय उच्च न्यायलय जबलपुर ने 3 से ज्यादा न्यायधीशों की पीठ इस मामले को पलट दे या सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले को पलटा जाये. और ऐसा कब होगा? कोई नहीं जनता इसीलिए हमारे पास ये स्वर्णिम अवसर हैं अपने भविष्य को सुरक्षित करने का, जिससे हमारे पास कम से कम न्यायलय के माध्यम से न्याय मिलने की उम्मीद बची रह सके अन्यथा MPPSC और ज्यादा निरंकुश हो जायेगा एवं हमारे सपनो को ऐसे ही रोंदता रहेगा.
लेकिन समयसीमा का विशेष ध्यान रखें सभी आवेदन हमे सोमवार दिनांक 2 अप्रेल की शाम तक भेज दें।
इसके लिए आन्दोलन करने वाले साथियों ने इंदौर में निम्न स्थान पर आवेदन पर हस्ताक्षर की व्यवस्था की गयी हैं –
स्थान – होलकर साइंस कॉलेज के पास, भंवरकुआ, इंदौर
दिनांक – 31 मार्च एवं 01 अप्रेल को
आप जहां भी हैं वहां 10-15 साथियों के आवेदन पत्र तैयार कर भेजें. आवेदन का फ़ॉर्मेट की PDF यहाँ से डाउनलोड कर ले एवं 1 पेज पर 14 लोग हस्ताक्षर कर सकते हैं, इसका प्रिंट आउट निकलवा कर तैयार कर लें एवं नीचे कमेंट्स में अपना मो. न. दे दें हम आवेदन को मंगवाने की व्यवस्था कर लेंगे।
जितने भी कोचिंग संचालक हैं, उनसे निवेदन हैं की कृपया आप भी इन दस्तावेजों का अध्ययन करें और अपने सभी छात्रों के आवेदन भेज दें, जिससे उन सबका भविष्य उज्जवल हो सके।
आप सभी दस्तावेजों को यहाँ से download कर सकते हैं –
Nitin Pathak vs MP State Write High Court decision PDF – https://drive.google.com/uc?export=download&id=158wyQsiV4X8fyk8i0tLiV46gk7VSqKGy
PDF OF APPLICATION Sign for SC – https://drive.google.com/uc?export=download&id=1uCBoTa9CA9t5itf–yjg5ONewM9St8B1
कृपया इस पोस्ट पर कमेंट्स और Like करने से ज्यादा जरूरी वो काम करना हैं, विषय की गंभीरता को समझे और अपना दायित्व को निभाएं.
अधिक जानकरी के लिए इस विडियो को पूरा देखें. https://www.youtube.com/watch?v=KyN3VlZvucM
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