Edited by Qasim Khalil, मुंबई, NIT; मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के लिए 1 लाख करोड़ खर्च करने के लिए बेताब मोदी सरकार ने वर्तमान में मुंबई से अहमदाबाद चलने वाली गाड़ियों का अध्ययन शायद नहीं किया है। मुंबई से अहमदाबाद रेलवे में गत 3 महीने में 40 प्रतिशत जबकि अहमदाबाद से मुंबई 44 प्रतिशत सीट्स रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को पश्चिम रेलवे ने दी है। इन 3 महीनों में पश्चिम रेलवे को 29.91 करोड़ के राजस्व पर पानी फेरना पड़ा है।मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने पश्चिम रेलवे से मुंबई से अहमदाबाद और अहमदाबाद से मुंबई ऐसे 3 महीने की विभिन्न जानकारी मांगी थी। पश्चिम रेलवे के मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक मनजीत सिंह ने अनिल गलगली को 1 जुलाई 2017 से 30 सितंबर 2017 तक की जानकारी दी। इसमें मुंबई से अहमदाबाद चलने वाली 30 मेल एक्सप्रेस से 4,41,795 यात्रियों ने सफर किया जबकि 7,35,630 सीट्स उपलब्ध थी। कुल राजस्व रुपए 44,29,08,220 /- आना अपेक्षित था जबकि रुपए 30,16,24,623/- ही राजस्व प्राप्त हुआ और रुपए 14,12,83,597/- का आर्थिक घाटा हुआ है। अहमदाबाद से मुंबई के बीच 31 मेल एक्सप्रेस की सुविधा हैं जिससे 3,98,002 यात्रियों ने यात्रा की जबकि असल में 7,06,446 सीट्स थी, 15,78,54,489/- रुपये का आर्थिक घाटा सहन करने वाली पश्चिम रेलवे को 42,53,11,471 रुपये राजस्व आना अपेक्षित था लेकिन सिर्फ रुपए 26,74,56,982/- राजस्व प्राप्त हुआ है।
इसमें दुरोतों, शताब्दी, गुजरात मेल, भावनगर, सौराष्ट्र, विवेक, भुज, लोकशक्ती जैसे गाड़ियों का समावेश है। अहमदाबाद मंडल प्रबंधक ने अनिल गलगली को बताया कि अहमदाबाद के लिए नई गाड़ी का कोई भी प्रस्ताव उन्हें प्राप्त नहीं हुआ हैं। 12009 शताब्दी जो कार चेअर के लिए प्रसिद्ध है, उसमें अहमदाबाद के लिए यात्रा के दौरान 72,696 सीट में से सिर्फ 36117 यात्रियों ने यात्रा की और रुपए 7,20,82,948 के बजाय सिर्फ रुपए 4,11,23,086 की ही कमाई हुई, वहीं Executive चेअर के लिए 8,216 में से 3,468 सीटस पर यात्री थे। रुपए 1,63,57,898 की कमाई के बजाय रुपए 64,14,345 की कमाई हुई है। अहमदाबाद से मुंबई की ओर आने के लिए 12010 इस शताब्दी में 67,392 में से 22,982 सीट्स पर यात्रियों ने यात्रा की और रुपए 6,39,08,988 के बजाय रुपए 2,51,41,322 की ही कमाई हुई है। वहीं Executive चेअर के लिए 7505 में से सिर्फ 1469 सीट्स पर ही यात्रियों ने यात्रा की जिससे रेलवे को रुपए 1,45,49,714 के बजाय रुपए 26,41,083 का राजस्व प्राप्त हुआ। सभी गाड़ियों की स्थिती समान है और सबसे अधिक मांग स्लीपर क्लास के लिए होते हुए रेलवे मंत्रालय ने इसपर कभी भी गंभीरता से गौर नहीं फ़रमाया है।
अनिल गलगली के अनुसार अहमदाबाद जाने के लिए सबसे अधिक भीड़ स्लीपर क्लास के लिए है। महंगी टिकट के चलते इन गाड़ियों की सीट्स शत प्रतिशत कभी भी आरक्षित नहीं होती हैं। केंद्र और राज्य सरकार सहित रेल्वे मंत्रालय ने इस पर अध्ययन करने के बजाय बुलेट ट्रेन का चयनित किया हुआ विकल्प आम लोगों के लिए सुविधाजनक नहीं है।
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