रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी/पंकज बडोल, रतलाम (मप्र), NIT:
अपने ठेठ अंदाज गांव की स्टाइल धोती-कुर्ता में लबरेज सरवन जमुनिया की मिट्टी से निकला भारत सिंह गुर्जर मालवी हास्य कवि का 56 वर्ष की उम्र में लंबे समय से बिमार रहने के बाद शनिवार को निधन हो गया।
रतलाम क्षेत्र के इस लोकप्रिय कवि की कविता का अंदाज देखते ही बनता था फिर गांव कस्बों के मंच हों मालवा क्षेत्र के रतलाम इंदौर उज्जैन देवास राजगढ़ धार आदि बड़े शहरों महा नगरों के मंच भारत सिंह गुर्जर के बाद शायद ही कवि सम्मेलन में कोई बड़ा कवि जम पाता था। झंडा वंदन व खराड़ी बाई कविता से 1995 में ख्याति पर पहुंचे भारत सिंह गुर्जर ने कभी पलट कर नहीं देखा बड़े कवियों को मन ही मन भारत सिंह का अंदाज प्रसिद्धि चुभती थी व अक्सर सरकारी कवि सम्मेलन से दरबारी कवियों ने भारत सिंह गुर्जर को संस्कृति विभाग के कवि सम्मेलन के बड़े बजट के कवि सम्मेलन से दूर ही रखा। पर मालवा के कबीर इस कवि ने कोई चिंता नहीं की मन का भोला भारत सिंह धन के बाजारवाद से दूर रहा व जो उचित मानदेय मिला संतुष्ट।
मिमिक्री स्टाईल सहित सामयिक मुद्दों पर मालवी गांव की भाषा टिप्पणी संदेश वाहक भी होती थी लोक कवि भारत सिंह गुर्जर रतलाम के आसपास ऐसी साहित्य गांव की पौध तैयार की जो आज़ फूलवारी बन महक यही है।
छोटे-छोटे गांव घुघरी, तितरी, अम्बा, पितमनगर, बिलपांक, बिररमावल, गगाखेडी, धराड़, हनुमतिया, आदि जगहों पर कवि सम्मेलन शुरू किए। वन मेन स्टार जादूगर भारत सिंह करिश्माई शक्ति वाकपटुता का जादू मेघनगर रम्भापुर झाबुआ रानापुर थांदला में खूब चलता था।
बार बार आयोजन मै आमंत्रित करते थे।
आज़ भारत सिंह के निधन से साहित्य जगत स्तब्ध है
भारत सिंह गुर्जर के सर्वाधिक निकट रहें राष्ट्रीय ओजस्वी कवि निसार पठान रम्भापुर बताते हैं भारत सिंह मित्र नव कवि को प्रोत्साहित करते थे। गांव सरवन जमुनिया इनके निवास पर असरानी शक्ति कपूर भी आ चुके हैं।
रतलाम गोलमाल सम्मेलन सहित अनेक बड़े मंच पर सम्मानित हो चुके हैं। भारत सिंह की स्मृति में अभिव्यक्ति साहित्य संस्था हास्य व्यंग का एक पुरस्कार सम्मान भी मालवी कवि देकर भारत सिंह गुर्जर की याद को चिर स्थाई बनाने का प्रयास है
उदू हिन्दी के कवि खोकर रतलामी ने बताया कि अलमस्त भारत सिंह गुर्जर परम स्नेह कवि रहा उसके जाने से रतलाम मालवा की अपूरणीय क्षति है।
रतलाम के चंचल चौहान युवा कवि कहते है बाहर सिंह गुर्जर की कमी सदा खलेगी भारत दादा गांव का जादूगर छवि का कवि आज तक नहीं देखा कोटा से संजय शुक्ला अपने शोक संदेश में रहते हैं भारत सिंह अनपढ़ रहे किंतु संस्कार संस्कारी में उनकी टिप्पणी शब्द का विषय भी है जगदीश गुर्जर का कहना है हमने अपना बड़ा भाई खो दिया ऐसा लगता है कवि कुनबे गुर्जर समाज की शान है भारत दादा।
रतलाम के हास्य व्यंग कवि चमचममुलथानी के कहते हैं भारत सिंह रतलाम त्रिवेणी मेले एवं क्षेत्र के कवि सम्मेलन कि शान हुआ करते थे हमारा छोटा भाई सा स्नेही कवि हंसाते-हंसाते रुला कर चला गया।
क्षेत्र व मालवांचल भारत सिंह गुर्जर के निधन से श्रद्धांजलि का दौर जारी है।
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