अरशद आब्दी, झांसी ( यूपी ), NIT;
झाँसी मीडिया क्लब अध्यक्ष मुकेश वर्मा जी ने पत्रकारों की हो रही हत्याओं और हमलों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
बेंगलुरु में वरिष्ठ महिला पत्रकार गौरी लंकेश को खुलेआम गोली मारकर निर्दय हत्या कर दी गयी। यह हत्या कोई नई बात नही है, इससे पहले राजदेव रंजन की बिहार में हत्या की गई लेकिन हत्या के बाद भी बिहार सरकार ने कोई ठोस कार्यवाह नही की, जिससे अपराधियों का मनोबल बढता चला गया और आज आलम यह हैं की पत्रकारों पर हमले रुकने का नाम नही ले रहे हैं। अब यश प्रश्न उठता हैं कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की संज्ञा जो पत्रकारों को दी जाती हैं व जिसे समाज का आईना कहा जाता है क्या इस चौथे स्तंभ की सुरक्षा सुनिशिच करने की जिम्मेदारी हमारे देश के सरकार की नही हैं जबकि राजनेता अपनी सुरक्षा में भारी भरकम जनता के पैसे को पानी की तरह बहाते हैं।अभी देश मे बेंगलूरु में हुये पत्रकार की हत्या की चिंता ठंडी ही नही हुई थी कि प्रदेश के ‘हिन्दी खबर’ के पत्रकार सत्यप्रकाश व बिहार के राष्ट्रीय सहारा के पत्रकार पंकज मिश्रा के ऊपर हुए प्राण घातक हमले हुये। झांसी के एरच में बालू माफियाओं ने पत्रकारों पर हमला किया वहीं गुरसराय में बी के न्यूज़ के पत्रकतार को ज़िंदा जलने की धमकी दी गई, जिसपर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है एवं पत्रकार शम्भू कश्यप व हरि नारायण वर्मा की बीमारी से मौत के बाद सरकार से आज तक किसी भी तरह का कोई मुआवजा नहीं दिया गया।ऐसा ही जनपद झांसी में कई मामले हुए जिसमें पत्रकारिता के दौरान कलम की ताकत पर आम जनता की न्याय दिलाने वाले शहीद हुए पत्रकार मक्खन लाल शर्मा जी, नेकी राम शर्मा जी, पण्डित मूलचंद यादव जी सहित कई और वरिष्ठ पत्रकार भी हैं जिनके परिजनों की ओर न तो सरकार और न ही हम लोगों ने कभी देखने का काम किया है।
झांसी मीडिया क्लब अध्यक्ष मुकेश वर्मा ने सवाल किया कि क्या ऐसे ही पत्रकारों पर हमले होते रहेंगे? क्या पत्रकारों की हत्या और उन पर हमले के प्रतिरूप में हम पत्रकारों को घोर निंदा करने, केंडिल मार्च के सिवा कुछ नहीं कर सकते? दूसरों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ने वाला पत्रकार अपनी लड़ाई को लेकर मूक दर्शननबन कर क्यो देखता है? हर बार पत्रकार पर हमले होते हैं, केंडिल जलती हैं, सुरक्षा सुनिश्चित करने ,मुआवजे की मांग, सैलरी देने इन सभी की मांग होती है, लेकिन फिर कुछ दिन बाद सभी मांगें ठंडे बस्तेे में डाल दी जाती हैं और फिर वही होता है सीनियर पत्रकार कौन व जूनियर पत्रकार कौन, इस जाति का उस जाति का हैं, इन्हीं सब बातों में उलझरकर हम रह जाता हैं। जिसका विरोधी हमलावर फायदा उठाते हैं, और पत्रकारों पर हमले होते रहते हैं। हमें अपनी सोच बदलनी होगी। एक पत्रकार का कोई धर्म जाति नही होता, उसका मात्र एक जाति धर्म होता है कि वह पत्रकार है। इन्हीं सोच के साथ हम लोगों को आगे बढ़ना होगा, जिससे हमारे समाज का कल्याण हो सके। अपनी सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता अध्यक्ष मुकेश वर्मा जी ने एवं झाँसी के समस्त पत्रकारों ने की है व साथ ही वरिष्ट पत्रकार गौरी लंकेश के हत्यारों की गिरफ़्तारी की मांग की है।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.