Edited by Sabir Khan;
मकसूद अली, मुंबई, NIT; डेरा प्रमुख बनने के बाद से गुरमीत सिंह उर्फ बाबा राम रहीम विवादों में कई बार घिरे चुके हैं। राम रहीम से जुड़ा पहला चर्चित विवाद 1998 में तब आया जब गांव बेगू में एक बच्चा डेरा की जीप के नीचे आ गया। यह ख़बर वहां के समाचार पत्र में छापी गई। डेरा के लोगों ने अख़बार के ऑफ़िस में जाकर हंगामा किया। बाद में डेरा की ओर से माफ़ी मांगी गई।
2002 में एक बड़ा मामला सामने आया। एक कथित साध्वी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को एक चिट्ठी लिख कर गुरमीत सिंह उर्फ राम रहीम पर यौन शोषण का आरोप लगाया। इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई।
उसी साल राम रहीम पर एक पत्रकार रामचंद्र छत्रपति, जो डेरा सच्चा सौदा पर ख़बरें लिख रहे थे और डेरा के ही प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या का आरोप लगा। सिरसा के सांध्य दैनिक ‘पूरा सच’ के संपादक रामचंद्र छत्रपति को गोलियां मारी गईं।
2007 में डेरा सलावतपुरा में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ने गुरुगोबिंद सिंह की वेशभूषा में फ़ोटो खिंचवाए। इसके विरोध में बठिंडा में डेरा प्रमुख का पुतला फूंका गया।
प्रदर्शनकारी सिखों पर डेरा प्रेमियों ने हमला बोल दिया, इसके बाद पूरे उत्तर भारत में हिंसक घटनाएं हुईं. सिखों व डेरा प्रेमियों के बीच जगह-जगह टकराव हुए। इसी दौरान एक सिख युवक कोमल सिंह की मौत हो गई। तब पंजाब में डेरा प्रमुख के जाने पर पाबंदी लगाई गई, लेकिन डेरा सच्चा सौदा इस मामले में झुकने को तैयार नहीं था। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पूरे पंजाब व हरियाणा में सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया।
उसी साल सिरसा के एक गांव में पाबंदी के बावजूद डेरा सच्चा सौदा ने नामचर्चा रखी। नामचर्चा में डेरा प्रमुख काफ़िले सहित शामिल होने के लिए पहुंचे। इसके विरोध में सिखों ने काफ़िले को काले झंडे दिखाए। इस बात से दोनों पक्षों में टकराव शुरू हो गया और देखते ही देखते भीड़ ने उग्र रूप धारण कर लिया और दोनों पक्षों में पथराव शुरू हो गया जिससे डेरा प्रमुख को नामचर्चा बीच में ही छोड़कर भागना पड़ा।
इसके बाद गांव मल्लेवाला में नामचर्चा से विवाद उपजा। एक डेरा प्रेमी ने अपनी बंदूक से फ़ायर कर दिया जिसमें तीन पुलिसकर्मियों सहित आठ सिख घायल हो गए जिससे माहौल फिर से तनावपूर्ण हो गया।
सिखों ने डेरा प्रेमियों पर लगाम कसने को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन किए। पंजाब के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने घायलों का हाल-चाल जाना और हरियाणा सरकार से सिखों की सुरक्षा के प्रबंध करने की बात कही।
साल के मध्य में सीबीआई ने डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को अदालत में पेश होने के आदेश जारी किए। डेरा ने सीबीआई के विशेष जज को भी धमकी भरा पत्र भेजा जिसके चलते जज को भी सुरक्षा मांगनी पड़ी।
न्यायालय ने हत्या और बलात्कार जैसे संगीन मामलों में मुख्य आरोपी डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को जमानत दे दी जबकि हत्या के मामलों के सहआरोपी जेल में बंद थे। यह मामले पंचकुला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में विचाराधीन है।
2007 से लेकर अब तक इन तीनों मामलों की अदालती कार्रवाई को प्रभावित करने के लिए डेरा सच्चा सौदा ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
2007 में सीबीआई अदालत अंबाला में थी। उस दौरान पेशी के लिए बुलाए जाने पर डेरा प्रमुख की ओर से वहां हजारों समर्थकों को एकत्रित कर शक्ति प्रदर्शन किया गया और लगातार अदालत पर दबाव की रणनीति के तहत लोगों का हुज़ूम इकट्ठा किया गया।
2010 में डेरा के ही पूर्व साधु राम कुमार बिश्नोई ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर डेरा के पूर्व मैनेजर फ़कीर चंद की गुमशुदगी की सीबीआई जांच की मांग की। बिश्नोई का आरोप था कि डेरा प्रमुख के आदेश पर फ़कीरचंद की हत्या कर दी गई है। इस मामले में भी उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। हालांकि सीबीआई जांच के दौरान मामले में सुबूत नहीं जुटा पाई और क्लोज़र रिपोर्ट फाइल कर दी। बिश्नोई ने उच्च न्यायालय में क्लोज़र रिपोर्ट को चुनौती दे रखी है।
गुरमीत सिंह उर्फ राम रहीम बाबा ने अपने एक वीडियो में कहा है, “बहुत से बच्चे भारत के लिए मेडल्स ला रहे हैं. विजेंदर ने देश का नाम रोशन किया है, विराट कोहली ने भी। हमारे पास उनके वीडियोज़ हैं कि वे यहां कैसे आए, हमसे कैसे सीखा और अब ये बच्चे देश का नाम रोशन कर रहे हैं।”
डेरा के 400 साधुओं को नपुंसक बनाने का आरोप
फ़तेहाबाद ज़िले के कस्बा टोहाना के रहने वाले हंसराज चौहान (पूर्व डेरा साधू) ने जुलाई 2012 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख पर डेरा के 400 साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का आरोप लगाया था। अदालत के सामने 166 साधुओं का नाम सहित विवरण प्रस्तुत किया गया। यह मामला भी अदालत में विचाराधीन है।
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