नरेंद्र इंगले, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
7 सितंबर को मूसलाधार बारिश और चक्रावात के कारण जामनेर तहसील के करीब 20 से अधिक गांवों में बनी बाढ़ की स्थिति सामान्य होते ही इन गांवों में अब सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और उनसे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े महान आत्माओं के दौरों की आ चुकी आंधी थमने का नाम नहीं ले रही है. मोबाइल मीडिया में नेताओं के दौरों को ब्रेकिंग में चलाया जा रहा है. निलंबित विधायक गिरीश महाजन के नेतृत्व में भाजपा एक संघ होकर कार्यतत्पर है वहीं मुख्य विपक्षी दल NCP अलग अलग धड़ों में बंटा हुआ नजर आ रहा है. हर कोई नेता अपने समर्थकों के साथ बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर फोटो सेशन और फ़ाइल वर्क में जुटा है. NCP महिला जिला प्रमुख वंदना चौधरी, अशोक चौधरी, अरविंद चितोड़िया, समाजसेवी कचरूलाल बोहरा, प्रहार संगठन के अनिल चौधरी, युवासेना के विश्वजीत पाटिल समेत अन्य महानुभावों ने पीड़ितों को सांत्वना दी है.
NCP के प्रमुख मान्यवर संजय गरुड़ ने उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पीड़ितों के लिए सरकार की ओर से माकूल मदत की मांग कि है. 2016 में जब मूसलाधार बारिश के साथ ओले पड़े थे तब गरुड़ ने सबसे पहले आगे आकर पीड़ितों की सुध ली थी. सूत्रों से पता चल रहा है कि आने वाले कुछ सप्ताह के भीतर कांग्रेस के कुछ कैबिनेट मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले बाढ़ पीड़ित गांवों का मुआयना करने वाले हैं. प्रशासनिक हल्के से खबर है कि पंचायत राज कमेटी भी आने वाली है उनके द्वारा समीक्षा तो बनती ही है.
बाढ़ और चक्रावात से फसलों का काफी नुकसान हुआ है. प्रशासन की ओर से पंचनामे किए जा रहे हैं लेकिन क्षति का आधिकारिक आंकड़ा अब तक सामने नहीं आया है. बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे को लेकर फसल बीमा कंपनी का दायित्व बनता है. बीमा कंपनी के कामकाज का आंकलन उत्तर भारत के हिंदी भाषी प्रदेशों में कंपनी की ओर से किसानों को दी गई सेवा से पता किया जा सकता है. महाराष्ट्र विधानसभा में कई बार बीमा कंपनी के रवैये को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच केंद्र के खिलाफ घमासान मच चुका है. इस विवेचना को हिंदी मुवी OMG के Act of God से तुलना करना OMG होगा क्योंकि यहाँ policy of Government का मामला है. प्रशासन के फ्रेम वर्क पर मुआवजे का पैकेज निर्भर होगा. फिलहाल हाउस पावर में नहीं है लेकिन शीतकालीन सत्र में मुआवजे को लेकर पक्ष विपक्ष में घमासान होना ही है. पीड़ितों ने सरकारी मदत की राह जोते बिना अपनी जेब से क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत कर ली है. किसानों को अब फसलों की क्षतिपूर्ति का इंतजार है.
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