गांव-गांव धधक रही कच्ची शराब की भट्ठियां, चंद पैसों के लालच में युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं जिम्मेदार | New India Times

वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

गांव-गांव धधक रही कच्ची शराब की भट्ठियां, चंद पैसों के लालच में युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं जिम्मेदार | New India Times

ग्रामीण क्षेत्रों एवं जंगल से सटे गांवों मे कच्ची दारू बनाने का धंधा कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है। पुलिस एवं आबकारी विभाग की मिली भगत से यह कारोबार धड़ल्ले से फल फूल रहा है। आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते और अधिक नशेदार दारू बनाने के चक्कर मे कच्ची शराब के ग्रामीण निर्माताओं द्वारा नित्य नये-नये प्रयोग करके दारू निकालने के कच्चे माल लहन में मानव जीवन के लिये हानिकारक वस्तुओं एक्सपायरी डेट के इंजक्शनों, जहरीली दवाओं, खादों तक का इस्तेमाल किया जाने लगा है। जिनसे कच्ची शराब में अनलिमिटेड नशा तो आता ही है बल्कि अक्सर दारू के शौकीन लोगों के सेहत के साथ भी खिलवाड़ कर उन्हे मौत के मुंह में ढ़केला जा रहा है। पहले तो यह कच्ची शराब के निर्माता किसी जंगल या गन्ने के खेतों के बीच में या नदियों के किनारे सुनसान स्थानों पर दारू बनाते थे। लेकिन अब गंवई इंजीनियरों द्वारा निरंतर प्रयोगों से प्राप्त तकनीक अपनाते हुये अपने छोटे से घर या झोपड़ी मे विशुद्ध पूर्ण स्वदेशी सर्व सुलभ कच्ची दारू निर्माण संयत्र लगा कर और दारू उत्पादन कर घर पर ही बिक्री करने का कुटीर कारोबार चरम सीमा पर है। पलिया क्षेत्र के संपूर्णानगर रोड के किनारे खुलेआम कच्ची दारू का कारोबार किया जा रहा है रिक्खी पुरवा,गदनिया, पंजाब घाट, बम नगर, बिशन पुरी, पटिहन, घोला, बंसी, सिंघिया, अतरिया, शारदा नगर,मटहिया, भीरा, मझगई, मलेनियां, तिलक पुरवा, नौगांवा बसंतपुर एवं पलिया कोतवाली थाना क्षेत्र के नर्सरियों, जंगल के किनारे सटे गांवों में कच्ची का कारोबार बहुत तेजी से फैल रहा है। महिलाएं खाना बनाने के बाद चूल्हे पर मिनी दारू उत्पादक संयत्र लगा कर दो – तीन बोतल दारू जरा सी देर मे निकाल कर बिक्री कर स्वयं रोजगार प्राप्त कर रही है।

युवा भी हो रहे हैं नशे के आदी
तराई में कच्ची शराब का कारोबार बहुत तेजी से फैल रहा है। इसमें युवाओं की भी भूमिका सक्रिय है। नशा एक फैशन सा बन गया है। शादी हो या पार्टी किसी भी अवसर पर शराब के शौ़कीन युवा नशा करने से नहीं चुकते। इसका खामियाजा भी जनपदवासियों को भुगतना पड़ रहा है। हर रोज दुर्घटनाएं, हत्या, लूट एवं डकैती की घटनाएं हो रही हैं। इसके पीछे कच्ची शराब का भी सहयोग है। युवाओं के अंदर बढ़ रही नशा की लत से समाज में कई तरह की बुराइयां जन्म ले रही हैं। जो देश के लिए अच्छी खबर नहीं है।

कच्ची शराब से कितने हुए बेघर
नगर में शैक्षिक, सामाजिक एवं विकास के मामले में काफी पिछड़ा है। इस पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण कच्ची शराब का धड़ल्ले से हो रहा कारोबार ही है। इस क्षेत्र का आधे से ज्यादा का हिस्सा जंगल के सटे गांवों एवं नर्सरियों के बच्चे जवान होने से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं। कितनों ने तो नशा की लत में अपने बीवी के गहने, बर्तन आदि बेच डाले। इससे भी मन नहीं भरता तो खेत भी गिरवी रख देते हैं। कुछ तो खेतों को बेचकर भूमिहीन हो गए। उनके बच्चे बेघर हो गए।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading