यूसुफ खान, ब्यूरो चीफ, धौलपुर (राजस्थान), NIT:
इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह दौर वाकई बेहद खराब और परेशान करने वाला है। दिनों दिन कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सभी परेशान और आतंकित हैं, किसी के पास कोई समाधान नहीं है लेकिन कहते है न कि अंधेरे में ही आशा की किरण नज़र आती है। ये वक़्त घबराने और संयम खोने का नहीं है बल्कि हौसला बनाये रखने का है। जरूरत इसकी है कि हम सरकार और मेडिकल की एडवाइजरी का कड़ाई से पालन करें, दूसरे लोग क्या कर रहे हैं इसे छोड़कर हमें क्या करना है यह महत्वपूर्ण है, हम खुद घर से तभी निकलें जब अतिआवश्यक हो, सोशल डिस्टनसिंग का कठोरता से पालन करें, बिना मास्क लगाए घर से न निकलें तभी हम अपना बचाव कर सकते हैं। आज हमें ईश्वर ने अवसर दिया है कि हम ईश्वर का ध्यान करें चिंतन करें, परिवार के साथ प्यार के लम्हे गुजारें, हमारे बच्चे जो हमेशा हमारी व्यस्तता की वजह से त्रस्त रहते थे अब उन्हें भरपूर समय दें व्यस्तता के कारण हम अपनी हॉबिज को समय नहीं दे पाए अब उन्हें पूरा करें। कुछ रचनात्मक नया करने की कोशिश करें। फोन के माध्यम से अपने रिश्तेदारों और परिवार के अन्य सदस्यों, मित्रों से सकारात्मक ऊर्जा के साथ बात करें। अपने साथ उनका भी हौसला बढ़ाएं। वक़्त एक-दूसरे पर दोषारोपण का नहीं है, हमें खुद के साथ दूसरों को भी जागरूक करने का प्रयास करते रहना चाहिये। दोस्तों अगर कोई कोरोना संक्रमित है तो उसका आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता है न कि उसे कमजोर करने की, उसे सकारात्मक ऊर्जा की आवश्यकता है, उसके लिये ईश्वर से दुआ करिए कि वह जल्द स्वस्थ होकर घर वापिस आये। इसलिये किसी संक्रमित व्यक्ति का मजाक बनाने के बजाय उसके साथ प्यार और सहानुभूति का व्यवहार करने की आवश्यकता है। संक्रमित व्यक्ति को यह अहसास दिलाने की आवश्यकता है कि तुम चिंता मत करो जल्दी ही स्वस्थ होकर घर वापिस आओगे, हम सब तुम्हारे साथ हैं। आपके द्वारा काहे गए शब्द मात्र शब्द नहीं बल्कि उसके लिये संजीवनी बूटी होंगे।
जहां तक सरकार और प्रशासन की बात है उसके भरोसे सब कुछ नहीं छोड़ सकते, हमें भी प्रयास करने होंगे तभी हम इस कोरोना जैसी महामारी के संकट से बच सकते हैं अन्यथा तो फिर वही होगा कि अब पछताए होता क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.