पत्रकार ने लिखी पत्रकारों की कहानी, युवा पत्रकार अर्पित गुप्ता से मुलाकात के यह अद्धभुत पल सभी पत्रकारों को समर्पित | New India Times

संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, चंबल संभाग (मप्र), NIT:

पत्रकार ने लिखी पत्रकारों की कहानी, युवा पत्रकार अर्पित गुप्ता से मुलाकात के यह अद्धभुत पल सभी पत्रकारों को समर्पित | New India Times

देश भर में लोग अन्य समस्याओं को लेकर लेख व कविताएं अवश्य लिखते हैं परंतु जो मीडियाकर्मी दिन-रात एक कर जनता को घर बैठे घर छोटी से छोटी व बड़ी से बड़ी खबरों से रुबरु कराने का कार्य करते हैं उनके लिये शायद ही कभी कोई लिखता है। जबकि पत्रकारिता समाज को दिशा देने का काम करती है। इसके कारण इसकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।समाज में आई गिरावट का प्रभाव पत्रकारिता पर भी पड़ा है इसके बावजूद अभी भी हमारे तमाम पत्रकार साथी मीडियाकर्मी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पत्रकारिता को गौरान्वित कर सार्थकता प्रदान कर रहें है। आजकल पत्रकारिता पत्रकार के विवेक पर नही बल्कि सम्पादक की इच्छा पर तथा सम्पादक की इच्छा सरकार की इच्छा पर आधरित होती जा रही है इस समय कुछ लोग पत्रकारों की बुद्धि का अपने हित में दोहन करने लगे हैं।लोकतंत्र में पत्रकार और पत्रकारिता दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है,पत्रकार और पत्रकारिता लोकतंत्र से जुड़ी विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका को निरंकुश होने से बचाती है। पत्रकार और पत्रकारिता समाज और सरकार के बीच एक ऐसा दोहरा आइना माना जाता है जिसमें सरकार और समाज दोनों अपना अपना स्वरूप देखकर उसमें सुधार कर सकते हैं। पत्रकार और पत्रकारिता दोनों निंदक और प्रसंशक दोनों भूमिकाएं एक साथ निभाकर समाज और सरकार दोनों को सजग एवं जागरूक करती है।पत्रकार और पत्रकारिता को समाज के दबे कुचले बेजुबान लोगों की जुबान माना जाता है और अन्याय उत्पीड़न के विरुद्ध आवाज बुलंद करने का एक सशक्त माध्यम माना गया है,पत्रकारिता और पत्रकार का इतिहास बहुत पुराना और सभी युगों में रहा है तथा नारद जी को आदि पत्रकार भी कहा जाता है,पत्रकारिता व्यवसाय नहीं बल्कि एक समाजसेवा और ईश्वरीय कार्य करने का सशक्त माध्यम मानी गयी है पत्रकार और पत्रकारिता समाज और सरकार की तस्वीर प्रस्तुत करके वास्तविकता से परिचय कराती है पत्रकारिता के हर क्षेत्र में पत्रकार की भूमिका निभाना आजकल दुश्वार हो रहा है क्योंकि पत्रकारिता के हर क्षेत्र में समाजद्रोही अराजकतत्व भ्रष्ट सभी पत्रकारों को अपना दुश्मन मानने लगे हैं क्योंकि हर क्षेत्र में पत्रकारिता लोकतंत्र की प्रहरी बनी हुयी है।पत्रकारिता हमेशा प्रभावशाली व जिम्मेदारी युक्त होनी चाहिए।गुटों में बंटकर हम अपनी ताकत बांट रहे हैं जो भविष्य में हमारे लिए घातक साबित हो सकती है,आज निष्पक्ष पत्रकारिता के चलते हम पत्रकार मिडियकर्मियो की जान पर बन आती है तब सभी साथ छोड़कर चले जाते हैं इसके बावजूद हमारे तमाम पत्रकार साथी अपने कर्तव्यों की इतिश्री यथावत करते आ रहे हैं यह बात अलग है कि इस कर्तव्य पालन में जरा सी चूक होने पर जान चली जाती है।इधर आये दिन पत्रकारों पर जानलेवा हमलों का दौर शुरू हो गया है जो सरकार के लिए शर्म की बात है आये दिन पत्रकारो की निर्मम हत्या से एक बार फिर पत्रकारिता पर काले बादल मंडराने लगे हैं।वहीं सरकार पत्रकारों की हो रही हत्याओं से जरा भी चिंतित नही लगती है वरना् हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए प्रदेश भर में पत्रकारों के आंदोलन करने की नौबत नही आती।लोकतंत्र के तीन स्तंभ विधायिका,न्यायपालिका कार्यपालिका मे भ्रष्ट होने पर अगर भ्रष्टाचारियो को किसी का डर है तो वह पत्रकार और पत्रकारिता से होता है यहीं कारण है कि पत्रकार के हित की सिर्फ बात की जाती है उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जाता है,धीरे धीरे पत्रकार को जरखरीद गुलाम बनाने की परम्परा की शुरुआत हो गयी है जिससे पत्रकारिता खतरे में पड़कर बदनाम होने लगी है।पर अब वक्त है एक क्रांति लाने का जो हम एक साथ मिलकर ही ला सकते हैं इसलिए एकजुट रहें।यह बात मप्र के युवा पत्रकार अर्पित गुप्ता ने कही वहीं उन्होने अपनी लिखी कविता में सभी को पत्रकारों की देशहित में अहमियत बताई है। यहां बता दें कि अर्पित गुप्ता एक युवा पत्रकार है जो प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पत्रकार हैं साथ ही कुछ प्रिंटमीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की संस्थाओं में बड़े पद पर भी कार्यरत है वह पत्रकारिता के साथ साथ लेखक भी है और लिखने का बखूबी हुनर भी रखते हैं।

चौथा स्तम्भ

धूप में छांव में हम बरसात में भी खड़े रहते हैं,
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
भूख प्यास को भूलकर हम
सबको दिन रात दुनिया का हाल बताते हैं,
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
घर परिवार से आगे हम पहले जनहित को लाते है,
दुनिया मे पहने झूठे मुखौटों को हम हटाते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
घर परिवार की छोड़ चिंता दिन रात खबरों में दिन निकालते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
देशहित में उठा कर मुद्दा हम खबरों को बनाते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
राजनीति लिखते है रणनीति बन जाती है
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
सच को परोसते है हम कभी अखबारों-समाचारों में तो
चौराहे पर कुचले जाते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
देश मे चल रही हवा का रुख बताते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
समाजसेवा से लेकर राजनीति और हर गरीब की भूख बताते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
गलत राह पर चल रहे को हम रास्ता दिखाते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
राष्ट्र की प्रगति में पत्रकार ज्यादा प्रभावशाली कहलाते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
कभी संवेदना,कभी दर्द तो कभी सच लिखते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
शोषित होते हैं कई बार तो उलझने-मुशिबतें भी झेलते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
कभी खाने की खबर तो कभी सुंदरता बटोरते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
कभी आंदोलनों से गुजरते हैं हम कभी थप्पड़ तो कभी धक्के-मुक्के भी खाते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
सियासी साजिशें व लापरवाही दिखाते हैं।
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
बाहरी बुराइयों ताकतों का सदैव सामना करते हैं
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
किसानो की झोपड़ी से लेकर अमीरो के महलों का हाल हम बताते हैं।
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।
खबर बटोर कर हम खबरों की तह तक जाते हैं।
कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading