लाॅक डाउन का पालन न करने वाले बीजेपी नेता के भतीजे द्वारा यह कहना कि "मैं जामनेर चलाता हूं" पर क्या चला कानून का डंडा? | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

लाॅक डाउन का पालन न करने वाले बीजेपी नेता के भतीजे द्वारा यह कहना कि "मैं जामनेर चलाता हूं" पर क्या चला कानून का डंडा? | New India Times

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च की शाम देश को दिए अपने संबोधन में अगले 21 दिनों तक समुचे भारत में लॉक डाउन की घोषणा की है। जब मोदी जी लॉक डाउन की घोषणा कर रहे थे तभी महाराष्ट्र के जलगांव जिले के जामनेर शहर में बीजेपी के पदाधिकारी का भतीजा तहसीलदार और पुलिस निरीक्षक को कह रहा था कि “मैं जामनेर चलाता हु” इसे घोर विडंबना कहें या फिर पैसा और सत्ता का अहंकार की एक धन्नासेठ का अदना सा बच्चा जिसे कर्फ्यू के दौरान पुलिस टोकती है और जवाब में वह यह कहता है कि “मैं जामनेर चलाता हूं”! पत्रकार सहयोगी द्वारा प्राप्त वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि किस तरह तहसीलदार और पुलिस निरीक्षक के बीच आरोपी के रूप में खड़ा युवक डांट पड़ने के बाद चुपचाप है। वीडियो में तहसीलदार अरुण शेवाले युवक को उसके द्वारा दिए गए उस बयान पर खरीखोटी सुनाते हैं जिसमें वह कहता है कि “मैं जामनेर चलाता हु” ! अधिकारियों के बगल में खड़े युवक के चाचा अपने भतीजे की अभद्र भाषा को लेकर अधिकारियों से माफी भी मांगते हैं।

लाॅक डाउन का पालन न करने वाले बीजेपी नेता के भतीजे द्वारा यह कहना कि "मैं जामनेर चलाता हूं" पर क्या चला कानून का डंडा? | New India Times

वीडियो में तहसीलदार शेवाले यह कहते सुने जा सकते हैं कि पहले युवक पर कानूनी कार्रवाई करें, मैं तहरीर दर्ज करवाता हूं। बाद में युवक को पुलिस हिरासत में ले लेती है। यह पूरा मामला रात के करीब 8 से 9 बजे के बीच का है जब शहर में कर्फ्यू लगा था और जामनेर चलाने वाला युवक बाहर पाया गया जिसे पुलिस ने खदेड़ने का प्रयास किया। समाचार में हम दोषी और धन्नासेठ के नाम इस लिए उजागर नहीं कर रहे हैं क्योंकि आरोपी के खिलाफ देर रात तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी थी। सूत्रों के मुताबिक बताया गया कि प्रशासन ने उस युवक को सख्त चेतावनी देकर रिहा किया है। कल्पना कीजिए अगर किसी आम इंसान ने परेशानी के आलम में या फिर किसी भी अस्वस्थ मानसिक स्थिती में प्रशासन के साथ इस तरह की भाषा का प्रयोग किया होता तो क्या होता? यकीनन राष्ट्रद्रोह या सरकारी कामकाज में दखल जैसी कई संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दायर किया जाता लेकिन यहां केवल सख्त चेतावनी से ही काम चलाया गया। बेहतर होता कि जामनेर चलाने वाले पर कानून का डंडा ही चलता तो शायद कोई अच्छी नजीर पेश की जाती। कर्फ्यू के दौरान ऐसे कई मामले सामने आते आते दबा दिए जाते हैं या फिर कहीं हवा हो जाते हैं। खैर किसी भी धन्ना सेठ का बेटा, भतीजा, जामनेर या किसी भी शहर को चलाने जैसी सनक वाली भाषा का प्रयोग करे और उसका वीडियो जनता तक पहुंचे तब भी नागरिक होने के नाते हर भारतीय का कर्तव्य बनता है कि वह हमारे प्रधानमंत्री की अपील का अनुशासित तरीके से शालीनता के साथ पालन करे। आखिर हम सब को मिलकर हमारे देश को कोरोना के संकट से उबरना है। कर्फ्यू के दूसरे दिन 25 मार्च को सुबह कुछ घंटों तक अत्यावश्यक सेवाओ की बहाली की गई। दुकानों पर लोगों की लंबी कतारें नजर आईं। गुड़ी पाडवा होने के कारण कर्फ्यू में सख्ती कम बरती गई। बाजार में काफी रौनक रही।

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दिहाड़ी मजदूरी करने वाले सैकड़ों परिवार घरों में दुबककर बैठने को मजबूर हैं, इन्हीं परिवारों की मदद के लिए अब्दुल रशीद मुल्लाजी, जावेद मुल्लाजी समेत मुल्लाजी परिवार ने मुफ्त में आटा वितरित किया। पूर्व नगराध्यक्ष सुभाष (राजु) बोहरा ने पुलिस कर्मियों की सुरक्षा के लिए उन्हें मास्क, सैनिटायझर, साबुन सेट्स का वितरण किया।


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