बजट सेशन के दौरान भाजपा का धरना : गरुड़ ने कहा ऋण माफी को लेकर आंदोलन का नैतिक अधिकार गंवा चुका है विपक्ष | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

बजट सेशन के दौरान भाजपा का धरना : गरुड़ ने कहा ऋण माफी को लेकर आंदोलन का नैतिक अधिकार गंवा चुका है विपक्ष | New India Times

महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सेशन आरंभ हो चुका है! उद्धव ठाकरे सरकार को किसान ऋण माफी के मुद्दे पर सदन में घेरने में नाकाम नजर आ रही भाजपा ने आज राज्यव्यापी धरना आंदोलन का आयोजन किया।

उन्नीस बीस मीडिया की जुबानी संकटमोचक के तमगे से नवाजे गए भाजपा नेता पूर्व मंत्री गिरीश महाजन के गृह नगर जामनेर में भाजपा पदाधिकारियों ने धरना प्रदर्शन किया। कुछ दिनों पहले ही तहसील भाजपा की 100 सदस्यों वाली जंबो इकाई घोषित की गयी है जिसमें शामिल लगभग सभी सदस्य धरने में शरीक हुए। पूर्व मंत्री की पत्नी तथा नगराध्यक्षा श्रीमती साधना महाजन, संध्या पाटिल, प्रयाग कोली, महेंद्र बाविस्कर, राजमल भागवत, गोविंद अग्रवाल राजधर पांढ़रे, अजय पाटिल, प्रो शरद पाटिल, रमेश नाईक, अमर पाटिल, चंद्रकांत बाविस्कर, गोपाल राजपुत समेत तमाम पार्टी पदाधिकारी धरने में शामिल हुए। प्रदर्शन में वक्ताओं द्वारा अपने भाषणों में राज्य की महाविकास आघाडी सरकार को जैसे तैसे लताड़ने का प्रयास किया गया, यही नहीं सरकार के पुतले को भी फूंका गया। भाजपा के इस धरने को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता संजय गरुड़ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि बीते पांच साल सत्ता में रही भाजपा किसानों की ऋण माफी के विषय को लेकर आंदोलन करने का नैतिक अधिकार गंवा चुकी है। इस तरह के धरना प्रदर्शनों से भाजपा किसानों की अनुकंपा प्राप्त करने की कोशिश में है जब कि किसानों को पता है कि ऋणमाफी के विषय में तत्कालीन फडणवीस सरकार ने किस तरह किसानों को धोखा देने का काम किया। गरुड़ ने कहा महाविकास आघाडी सरकार ने किसानों की ऋणमाफी का रोडमैप तैयार कर दिया है। लाभधारक किसानों की पहली सूची प्रकाशित हो चुकी है, चरणबद्ध तरीके से सभी पात्र किसानो को ऋणमाफी योजना का लाभ मिलेगा। विदित हो कि 3 महीने पहले कांग्रेस राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर महाराष्ट्र की सत्ता में आयी ठाकरे सरकार ने 105 सीटों वाली सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को विपक्ष में बैठने और जनता की सेवा करने का अवसर दिया। हमारे लोकतांत्रिक भारत में किसी पार्टी की राजनीतिक समझ इतनी संकीर्ण हो कैसे सकती है जो केवल तीन महीने का कार्यकाल पुरा कर चुकी किसी सत्तारूढ़ दल की सरकार के कामकाज को नाप ले और विरोध में जुट जाए। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि असहमती लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है लेकिन इस वॉल्व को राजनीतिक तर्ज पर पक्ष विपक्ष अपने हिसाब से सेफ्ट करता है। रही बात किसानों के ऋणमाफी की तो फडणवीस सरकार के कार्यकाल में कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले किसानों का आंकड़ा पूर्वावर्ती सरकारों की तुलना में कहीं अधिक है। जामनेर तहसील में ही बीते पांच सालों में 30 से ज्यादा किसानों ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली है। बहरहाल बजट सेशन में 28 फरवरी को सरकार ऋणमाफी की दूसरी सूची घोषित करेगी। राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक विपक्षी भाजपा का सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन बजट सेशन के बाद आरंभ किया जाता तो शायद मुफीद होता।


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