ईरान के जनरल क़ासिम सुलेमानी का झांसी में मनाया गया सोयम (तीजा) | New India Times

अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ, झांसी (यूपी), NIT:

ईरान के जनरल क़ासिम सुलेमानी का झांसी में मनाया गया सोयम (तीजा) | New India Times

ईरान के जनरल क़ासिम सुलेमानी के सोयम (तीजा) के दिन मस्जिदे इमामिया झांसी में क़ुरान ख़्वानी, मजलिसे अज़ा और फातिहा हुआ। मौलाना सैयद शाने हैदर ज़ैदी की क़यादत में मौलाना इक़तिदार हुसैन, मौलाना सैयद फरमान अली आब्दी और मौलाना सैयद नावेद हैदर आब्दी मौजूद रहे।सबने अमेरिकी राष्ट्रपति बुज़दिल झूठा और क़ातिल डोनाल्ड ट्रम्प के ईरान की कुद्स सेना के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी को मारने के फैसले का कड़े शब्दों में निंदा की और अमेरिका से सम्बन्ध समाप्त करने की बात रखी।
इस मौक़े पर मौलाना सैयद इक़्तिदार हुसैन ने कहा कि “अमेरिकी हमले में मारे गए ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की कुद्स फोर्स के मुखिया जनरल कासिम सुलेमानी अपने देश में बेहद प्रसिद्ध थे। ईरान की पोलिंग एजेंसी ने अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर 2018 में यह सर्वे किया था। इस सर्वे में सुलेमानी को 83 फीसदी लोगों ने अपना पसंदीदा नेता माना था। हालांकि सुलेमानी ने हमेशा देश का राष्ट्रपति बनने की कोई ख़्वाहिश न होने की बात कही थी। खासतौर पर अमेरिका की तरफ से ईरान को युद्ध की तबाही की धमकी मिलने के बाद सुलेमानी की तरफ से दिए गए जवाब ने उसे जनता के बीच हीरो जैसा बना दिया था। सुलेमानी ने तब कहा था कि ट्रंप ने युद्ध शुरू किया तो उसे खत्म हम करेंगे।”

ईरान के जनरल क़ासिम सुलेमानी का झांसी में मनाया गया सोयम (तीजा) | New India Times

मौलाना सैयद नावेद हैदर आब्दी ने कहा,”जनरल सुलेमानी पश्चिम एशिया में ईरानी गतिविधियों के प्रमुख रणनीतिकार थे और अमेरिका की नाक में नकेल डाले हुऐ थे। झूठे और मक्कार ट्रंप की एक तरफा दादागिरी ख़त्म कर, दूनिया के एक बड़े वर्ग को अमेरिका का विरोध करने की ताक़त दे दी थी। रिपोर्टों में कहा गया है कि अमेरिका को सुलेमानी की शिद्दत से तलाश थी इसीलिए ट्रंप ने सीधे-सीधे सुलेमानी को मारने के आदेश दिए। सुलेमानी को निशाना बनाने का अमेरिका के लिए बड़ा कारण यह भी था कि वह सक्रिय रूप से इराक़ में अमेरिकी दादागिरी ख़त्म करने की योजना बना चुके थे।”

मौलाना सैयद फरमान अली ने कहा, “क़रीब 21 साल पहले क़ुद्स सेना का प्रमुख बनने के बाद कई बार जनरल सुलेमानी की मौत की ख़बरें ग़लत साबित हुईं। ख़ामनेई साहब उन्हें ‘क्रांति का ज़िन्दा शहीद’ कहते थे। कई बार 2006 में उत्तर-पश्चिम ईरान में विमान दुर्घटना में मौत की अफवाह उड़ी। 2012 में सीरिया के दमिश्क़ में बम धमाके में मरने की ख़बर भी झूठी निकली। नवंबर, 2015 में अलप्पो में आईएस के खिलाफ लड़ाई में भी मरने की ख़बर ग़लत निकली। इस बार भी शुरुआत में उनकी मौत की ख़बर को झूठा ही माना गया था।”

मौलाना सैयद शाने हैदर ज़ैदी इमामे जुमा व जमाअत ने कहा, “यह निहायत अफसोस का मुक़ाम है कि इराक़ स्थित पॉपुलर मॉबलाइजेशन फोर्स के दो अधिकारियों के मुताबिक़ अमेरिकी सेना के ड्रोन हमले में जनरल सुलेमानी के बदन के चीथड़े उड़ गए, जबकि मुहांदिस की लाश तक नहीं मिली। सुलेमानी की लाश की पहचान उनके हाथ में पहनी अंगूठी से हुई।

क्या है क़ुद्स सेना ?
विदेश में ईरान के खुफिया ऑपरेशनों को अंजाम देने वाली एलीट सेना है। 15 हजार एजेंट मौजूद माने जाते हैं क़ुद्स सेना के भारत समेत 20 देशों में। पूरी दुनियां में हमले के बाद खलबली मची हुई है।

अमेरिकी हमले के बाद ईरान के बदला लेने की धमकी से पूरे विश्व में हड़कंप मच गया है। बग़दाद में अमेरिकी दूतावास ने डर के मारे अपने नागरिकों से तत्काल ईराक़ छोड़ देने की अपील की। इसके बाद इराक़ी तेल कंपनियों के अमेरिकी कर्मचारी वापस लौटने लगे हैं। ब्रिटिश विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने भी अपने नागरिकों को ईराक़ से लौटने की सलाह दी है। ब्रिटेन ने मध्य-पूर्व में अपने सैन्य अड्डों की सुरक्षा भी बढ़ा दी है। इराक़ में ही ब्रिटेन के करीब 400 सैन्य अधिकारी तैनात हैं। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ग्रीस का दौरा बीच में ही छोड़कर स्वदेश लौट आए हैं। इस्राइली सेना के रेडियो ने बताया कि देश की सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। ईरान ने साफ कहा है कि “अमेरिकी कार्रवाई ख़तरनाक और मूर्खतापूर्ण है, हम ज़रूर बदला लेंगे।
ईरानी न्यूज एजेंसी इरना के हवाले से बताया गया है कि इस हत्या के लिए जो भी ज़िम्मेदार हैं, उन सबसे ईरान सख़्त बदला लेगा। लगातार दूसरे दिन इराक़ पर अमेरिका की एयर स्ट्राइक कर तीसरे विश्व युद्ध के ख़तरे की आशंका को और बढ़ा दिया है।

इस मौक़े पर समाजसेवी सैयद शहनशाह हैदर आब्दी ने बताया कि जनरल का़सिम सुलेमानी की विलादत
11 मार्च 1957, क़नाते मलिक, केरमान, ईरान में हुई थी।आपके वालिद मोहतरम हसन सूलेमानी, वालिदा मोहतरमा फातेमा सुलेमानी हैं।
बच्‍चे: मोहम्मद रज़ा सुलेमानी, ज़ैनब सुलेमानी इस वक़्त ईरान में हैं।

मृत्यु: अमेरिका द्वारा 3 जनवरी 2020, बगदाद, इराक में साज़िशन क़त्ल किया गया।
आपकी राष्ट्रीयता: ईरानी है।
आपको बहादुरी और शेर दिली के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार आर्डर आफ ज़ुल्फ़िक़ार एक बार, आर्डर आफ फतेह तीन बार मिल चुके हैं।

जनरल क़ासिम सूलेमानी के कायर ट्रंप को युद्ध की धमकी के बदले में दिए गए जवाब ने ‘हीरो’ जैसा बना दिया था।

2018 के सर्वे में सुलेमानी को 83 फीसदी लोगों ने अपना पसंदीदा नेता माना था। पश्चिम एशिया में ईरानी गतिविधियों के प्रमुख रणनीतिकार थे जनरल सुलेमानी।

उन्होंने कहा, “दुनिया की अवाम पूछ रही है-

“ऐ रहबरे मुल्को क़ौम बता,
ये किसका लहू है ? कौन मरा?

किस काम के हैं ये दीनो धरम?
जो शर्म का दामन चाक करें।

किस तरह की है ये देश भगत?
जो बसते घरों को ख़ाक करे।

ये रूहें कैसी रूहें हैं ?
जो धरती को नापाक करें।

आँखें तो उठा, नज़रें तो मिला,
ऐ रहबरे मुल्को क़ौम बता,

ये किसका लहू है ? कौन मरा?”

आज आलम यह हो गया है कि:

“माना कि अभी मेरे अरमानों की क़ीमत कुछ भी नहीं,

मिट्टी का भी है मोल मगर इंसानों की क़ीमत कुछ भी नहीं।“

हम सब इस मुश्किल वक़्त में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईरान के साथ हैं और ज़ालिम अमेरिका के ख़िलाफ़ हैं। हमें अपने हिन्दुस्तानी होने पर सबसे ज़्यादा फ़ख़्र है। इसलिये हमें अपने मुल्क की ज़्यादा फिक्र है। इसलिए हमारी गुज़ारिश है कि, “ऐ प्यारे, देश वासियो होशियार-ख़बरदार। हमें अपनी और अपने देश की मुस्कुराहट की हर क़ीमत पर हिफाज़त करनी है। जिन्हें अज़ीम हिन्दुस्तान की मिली जुली तहज़ीब और संस्कृति रास नहीं आ रही वो अब भी पाकिस्तान, भूटान और नेपाल जा सकते हैं क्योंकि वहां उनके मज़हबों की हुकुमतें हैं।

हिन्दुस्तान के झण्डे का रंग तिरंगा है और तिरंगा ही रहेगा, इसे एकरंगा बनाने की हर कोशिश को आम हिन्दुस्तानी हर हाल में नाकामयाब कर देगा।”

कार्यक्रम का संचालन जनाब ग़ज़नफर हुसेन और आभार इं. काज़िम रजा़ ने ज्ञापित किया।

इस अवसर पर सर्वश्री ज़ायर सग़ीर मेहदी, हाजी नज़र हैदर, सैयद सरकार हैदर, ज़ायर जावेद अली, ताज अब्बास, फुरक़ान हैदर, क़मर अली, अज़ीम हैदर, इंतज़ार हुसेन, मोहम्मद शाहिद, सुख़नवर अली, दिलशाद हुसेन, नईमुद्दीन, अली रज़ा, रईस अब्बास, अख़्तर हुसेन, शाहिद हुसेन, सुल्तान आब्दी, अरशद रज़ा, इरशाद रज़ा आदि के साथ बड़ी संख्या में हिन्दुस्तानी शिया मुसलमान मौजूद रहे। सभी में अमेरिका के प्रति काफी रोष देखा गया।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading