रहीम शेरानी/बृजेश खंडेलवाल, अलीराजपुर (मप्र), NIT:
अलीराजपुर जिला ग्राम आमला में आदिवासी रूढी प्रथा अनुसार बैठक आयोजित की गयी जिसमें अकलघरा और आमला सीमा के बीच में स्थित कालुराणा बाबादेव के स्थल की जगह पर देव स्थल के संरक्षण के लिए बैठक बुलाई, जिसमें पूरे गांव वाले एकत्रित हुये, उनके साथ में गांव के मुखिया पटेल, पुजारा, चौकिदार, सरपंच, पंच और गांव के सम्मानीय नागरिकगण की उपस्थिती में देव स्थल के संरक्षण के लिए चर्चा की गई जिसमें सभी ने अपनी अपनी बात रखी और सर्वसहमति से विचार-विमर्श कर एक साथ बाबा देव कालुराणा देव स्थल के सौंदर्य करण के लिए सहमति दी। आदिवासी रूढी प्रथा का समर्थन करते हुये सभी आदिवासी रिती -रिवाज अनुसार देव स्थल का जिर्णोधार किया जावेगा। जिसमें देव स्थल पर लगभग 50 बाय 50 फिट में निर्माण कार्य का प्राक्कलन तैयार करने की सहमति जतायी और चबुतरा, बउण्डीवाल, सामुदायिक भवन, बिजली, हैण्डपम्प आदि की व्यवस्था किया जाना बताया गया है।
इस कार्यक्रम में अध्यक्षता श्री बलमसिंह पिता सिण्डीया, उपाध्यक्ष श्री गोटिया पिता गमरसिंह, सचिव नजरसिंह पिता सुशवारीया को नियुक्त किया गया और इनके समक्ष बैठक की कार्यवाही गयी। कर्यक्रम का संचालन गांव के ही श्री मुकेश भाई ने किया। जिले से पधारे जयस जिला संयोजक भाई विक्रमसिंह चौहान ग्राम वलवई ने बैठक को सम्बोधित कर आदिवासी संस्क्रति के बारे में समझाया और एकता के सूत्र में बांधने के लिए ज्यादा से ज्यादा संविधान के अधिकारों को जन जन तक पहुंचाने की बात कही। वहीं जिले से पहुंचे जयस जिला उपाध्यक्ष अरविन्द भाई कनेश ने गांव दहेज प्रथा में सुधार करना और नाबालिग लड़के-लड़कियों की शादी नहीं करने और लड़ाई झगड़े में बेवजह अनाप सनाप गुनाह लेना गलत बताया और परम्परागत समाज में फिजुल खर्चा होता है उसे कम कैसे किया जाये ये बात गांव के लोगों को समझाया गया। गावं के सरपंच भाई ने भी गांव के लोगों के सामने बात रखी और गांव वालों से कहा कि हम सब मिलकर गांव की समस्या का समाधान करेंगे और प्रत्येक वर्ष बैठक कर समीक्षा की जाएंगी। गांव के लोगों को संगठित होने का संदेश दिया। रावत सर ने भी समाज पर प्रकाश डाला और कहा कि आदिवासी रिती रिवाज को हमारे समाज के पढ़े-लिखे लोगों के द्वारा ही बर्बाद किया जा रहा है, क्योंकि अनपढ़ों ने अपनी संस्कति को संभाल कर रखा है। इस बैठक में अनुमोदन देने के लिए गांव के सैकड़ों लोग आये। उसके बाद गांव में रानीकाजल माता का भी संरक्षण करना बताया और हनुमान मन्दिर का भी संरक्षण किया जाना और गांव में खत्रीज है जिनका भी संरक्षण करने का फैसला लिया गया है।
कावराणा बाबादेव की विकिपिडिया एक नजर में
हजारों वर्ष पहले गांव में भयंकर अकाल पड़ा था तब गांव के मुखिया द्वारा उस जगह पर तपस्या कर जल देवता को धरती पर बरसने की मन्नतें मांगी और भूखे प्यासे कई दिनों तक तपस्या कर इन्द्रदेवता को बरसने को मजबुर किया और अन्त में इन्द्रदेव ने उनकी मनोकाना पूरी की और जोरदार बारिश हुई। तब से बाबादेव की पूजा पाठ प्रति वर्ष बकरे की बली देकर की जाती है और दारू की धार डाली जाती है। बाबादेव को चढ़ाया जाने वाला बकरा गांव में घूमता फिरता किसी का भी बकरा हो उसे पकड़ कर चढ़ाया जाता है क्योंकि ये परम्परा हजारों वर्षों से चली आ रही है। बारिश नहीं होने की स्थित में गांव पटेल, पूजारा बांध कर वहां बैठाया जाता है तब तक बैठाया जाता है जब तक बारिश नही हो जाती है।
इस अवसर पर जयस जिला संयोजक विक्रमसिंह चौहान, जयस जिला उपाध्यक्ष अरविन्द भाई कनेश, जयस कार्यकर्ता दिपक जमरा, दलसिंह चौहान ग्राम आमला के मुकेश अवासिया, राहुल, रूमालसिंह, हिमता, थावरीया, हरदास, नरेश, विकाश, रमेश, सुरतीया, रमण, रकमसिंह, मिना, कमलेश, दादी, मनुष आदि लोग मौजूद रहे। ग्रामवासियों ने इस बैठक को सफल बनाया। इस बैठक का आभार कुवरसिंह ने व्यक्त किया।
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